03-Mar-2017 08:36 AM
1234732
27 फरवरी को इंदौर हाईकोर्ट में विशेष जज बीके पालोदा की कोर्ट ने आतंक का पर्याय बने सिमी सरगना सफदर नागौरी सहित 11 सिमी आतंकियों को उम्रकैद की सजा दी तो पुलिस ने भी राहत की सांस ली। ये आतंकी देश के लिए खतरा बने हुए थे। इन पर गुजरात सहित देश के अन्य प्रदेशों में आतंकी घटनाएं करने के आरोप है। हालांकि सिमी गुर्गों के वकीलों ने कोर्ट में तर्क पर तर्क देकर इन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन अदालत ने उन्हें देशद्रोही मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दे दी।
ज्ञातव्य है कि करीब 9 साल पहले नागौरी सहित 17 आरोपियों को 27 मार्च 2008 को 13 आरोपियों को पकड़ा था, पूछताछ के बाद चार आतंकियों को और पकड़ा गया। इस तरह से 17 आतंकियों में से 6 के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय में मुकदमा चला, तीन को सजा हो चुकी है और तीन बरी हुए हैं। बचे हुए 11 में से 10 गुजरात बम ब्लास्ट के मामले में साबरमती जेल में बंद हैं। सुरक्षा के चलते आरोपियों को यहां नहीं लाया गया था। सिमी के खिलाफ देश के सबसे बड़े केस सरगना सफदर नागौरी ने एक ही दिन में दो अलग-अलग जगह पर जब्ती की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन वह विरोधाभास पैदा नहीं कर पाया। कोर्ट ने उसकी दलील नकारते हुए कहा कि कोई गुनाहगार भी कोर्ट से नहीं छूटना चाहिए, यह जज का कत्र्तव्य है।
नागौरी सहित 11 मुजरिमों की ओर से कोर्ट का ध्यान इस तथ्य पर लाया गया था कि 2 अप्रैल 2008 को पुलिस ने विस्फोटक सामग्री की जब्ती ग्राम अरोदा से की है, यह कार्यवाही सुबह 9 से दोपहर तक की जाना बताई गई है। इसी तारीख को श्यामनगर इंदौर से भी तत्कालीन टीआई बीपीएस परिहार ने आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है, ऐसे में एक ही दिन में दो अलग-अलग जगह पर कार्यवाही संदिग्ध है। इसलिए मुजरिमों को संदेह का लाभ देकर छोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर कहा गया था कि जहां साक्ष्य से दो परस्पर विरोधी परिस्थितियां सामने आती है तो संपूर्ण प्रकरण विश्वास के योग्य नहीं रहता हैÓ। लेकिन इसे नकारते हुए यहां की सेशन कोर्ट ने कहा कि अरोदा में की गई कार्रवाई सुबह की है और श्यामनगर में कार्रवाई शाम 5 बजे के बाद की जाना दर्शाई गई है, यह क्रमबद्धता में है और ऐसा किया जाना स्वाभाविक है। इस केस में कई सालों बाद गवाहों के बयान हुए है, जिससे प्रत्येक पंचनामे के समय, स्थान, दूरी आदि के बारे में गवाहों के बयानों में छुटपुट फर्क आ सकता है लेकिन इससे कोई युक्ति युक्त संदेह पैदा नहीं होता हैÓ। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम अनिल सिंहÓÓ के केस में 1988 में सुप्रीम कोर्ट की नजीर का हवाला देते हुए इसमें किसी तरह का युक्ति युक्त संदेह नहीं माना और कहा कि कोर्ट का कर्तव्य है कि वह वास्तविक सच्चाई का पता लगाए। जज महज इसलिए क्रिमिनल केस के विचारण में पीठासीन नहीं होता कि वह सुनिश्चित करें कि किसी बेगुनाह को दंडित न किया जाएं बल्कि जज इसलिए भी पीठासीन होता है कि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि कोई दोषी व्यक्ति दंडित होने से बच न पाएं। ये दोनों ही महत्वपूर्ण कर्तव्य है जिनका जज को पालन करना होता हैÓÓ।
कोर्ट ने सफदर नागौरी, आमिल परवेज व कमरूद्दीन से विस्फोटक सामग्री जब्त होने व सफदर, आमिल के अलावा कामरान, शिवली, कमरूद्दीन, अहमद बेगव हाफिज हुसैन से हथियार जब्त होने से उन्हें भारत सरकार के खिलाफ युद्ध की तैयारी का अपराध होना प्रमाणित माना तथा उनके कब्जे से आपत्तिजनक सामग्री जब्त होने से देशद्रोह भी साबित होना मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्हें गुरिल्ला युद्धÓ को अंजाम देने का दोषी माना गया। हालांकि इन जुर्म से यासीन, मुनरोज, अंसार व शार्दुली साफ बच निकले थे लेकिन उनके द्वारा देशद्रोह की जानकारी नहीं देने व देशद्रोह के लिए उकसाने की सामग्री रखने व लोगों को ट्रेनिंग देने पर उन्हें आईपीसी की धारा 124- (क), 123 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इन्हें विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोपों से बरी कर दिया।
ऐसे पकड़ा था आतंकियों को
9 साल पहले ये सिमी आतंकी एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की रणनीति बना रहे थे। इसकी भनक पुलिस को लगी और 27 मार्च 2008 को श्याम नगर में जूनी इंदौर थाने की टीम और एसटीएफ ने रात करीब 11.30 बजे सबसे पहले गफूर खां की बेकरी को चारों और से घेर लिया, इसके बाद हथियारों से लेस 30 से अधिक पुलिसकर्मी बिल्डिंग में घुसे। दबे पैर घुसने के बाद तीसरी मंजिल का दरवाजा खटखटाया, जैसे ही एक आतंकी ने दरवाजा खोला पुलिसकर्मी धड़धड़ाते हुए अंदर घुस गए। दो कमरों में 13 सिमी आंतकी छिपे थे, उनके पास हथियार भी थे। पहले कमरे में 5 और दूसरे कमरे में 8 आतंकी छिपे हुए थे। इनके पास से खतरनाक हथियार, गोलियां, देश विरोधी साहित्य, सीडी और पेन ड्राइव सहित अन्य सामग्री मिली थी। सिमी आतंकियों को कड़ी सुरक्षा के बीच पकड़कर एसटीएफ ऑफिस ले गए। कड़ी पूछताछ के बाद उनकी निशानदेही पर पीथमपुर के एक ठिकाने से विस्फोटक जिलेटीन की छड़ें बरामद की गई। मकान मालकिन व गफ्फूर की बहू शहनाज बी ने कोर्ट को बताया था कि उसके ससुर ने कमरूद्दीन नागौरी को यह मंजिल ढ़ाई हजार रूपए प्रतिमाह से किराए पर दी थी। कमरूद्दीन के पकड़ाने पर उसके व ससुर के खिलाफ जूनी इंदौर थाने में केस दर्ज हुआ था जिसमें पूर्व में मातहत कोर्ट ने उन दोनों पर पांच-पांच सौ रूपए का जुर्माना ठोंका था।
-सुनील सिंह