आठ आत्महत्याएं और एक हत्या
15-May-2013 05:56 AM 1234781

पश्चिम बंगाल में चिटफंड घोटाला अब मासूम लोगों की बली भी ले रहा है। अभी तक आठ लोगों ने आत्महत्याएं कर ली हैं और इसी घोटाले से जुड़े एक व्यक्ति के मर्डर की भी खबर है। उधर चिटफंड घोटाले में ममता से जुड़े कई राजनीतिज्ञों के नाम सामने आने के बाद अब सरकार की तरफ से भी कुछ कंपनियों पर जवाबी कार्रवाई की जा रही है।
कभी फिल्मों में देखते थे कि आसानी से पैसा कमाने की चाह में घर के किसी काबिल नौजवान ने चिटफंड या लॉटरी की राह पर चलते हुए लोगों का लाखों रुपए डुबा दिया और बेटे के कर्ज से परेशान बाप ने आत्महत्या कर ली। बंगाल में चिटफंड घोटाले के बाद यह फिल्मी कहानियां अब आम जनता की कहानियां बन चुकी है। अभी तक 8 लोगों ने आत्महत्या कर ली है और एक हत्या भी हो गई है। सबसे ज्यादा दर्दनाक है जगदीश राय की आत्महत्या। जगदीश राय का बेटा विधान चिटफंड कंपनी में काम करता था और उसने लोगों से लाखों रुपए उगाह कर कंपनी के खाते में डलवाए थे कंपनी तो लोगों का पैसा खाकर भाग गई पर लोगों ने विधान को पकड़ लिया। पिटाई के डर से और जान लेवा हमले की आशंका के कारण विधान भी घर छोड़कर भाग गया। लेकिन लोग कहाँ मानने वाले थे वे विधान के पिता जगदीश राय को आय दिन परेशान करने लगे। लोगों के ताने सुन-सुन कर जगदीश राय आजिज आ गए अंतत: उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हुबली में तो चिटफंड कंपनी का एजेंट जयंतो खुद ही फांसी पर झूल गया। लेकिन 48 वर्षीय जयंत सरकार मरना नहीं चाहता था बल्कि वह मेहनत करके लोगों के पैसे लौटाने की कोशिश कर रहा था रकम छोटी नहीं थी बड़ी थी इसी कारण उस पर भारी दबाव था पर लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ और 48 वर्षीय सरकार अपने घर पर मृत पाया गया। बताया जाता है कि चिटफंड प्रकरण में ही किसी ने उसकी हत्या कर दी। बंगाल में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। चिटफंड कंपनी ने जिस तरह लोगों के साथ विश्वासघात किया है उससे जनता में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। ममता बनर्जी ने भले ही 500 करोड़ रुपए की राहत देने की घोषणा की हो पर सच्चाई तो यह है कि ममता की उस घोषणा के बाद भी जनता का विश्वास लौटा नहीं है क्योंकि 500 करोड़ रुपए की रकम ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ममता बनर्जी ने चिटफंड घोटाले के लिए पूर्ववर्ती बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए एक तस्वीर का हवाला दिया है जिसमें बुद्धदेव कथित रूप से किसी घोटालेबाज के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। बुद्धदेव का कहना है कि वे 10 साल तक मुख्यमंत्री थे अगर किसी ने उनके साथ फोटो खिंचवा ली तो कौन सी बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी जानबूझकर उनका नाम चिटफंड घोटाले में घसीट रही हैं। उधर  सारधा चिट फंड घोटाले से बुरी तरह घिरी बंगाल की तृणमूल सरकार कुछ और कंपनियों को बेनकाब करने में जुट गई है। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग से लेकर रीयल इस्टेट व मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े एमपीएस समूह के बही खातों की पड़ताल की गई है और कंपनी के कोलकाता स्थित मुख्य कार्यालय को पुलिस ने बंद करा दिया है। इस कार्रवाई से राज्य की अन्य चिट फंड कंपनियां सकते में हैं। एमपीएस ने बंगाल के अलावा अन्य कई राज्यों में निवेशकों से विभिन्न स्कीमों में हजारों करोड़ रुपये जमा कराए हैं। समूह की पांच कंपनियां एमपीएस ग्रीनरी डेवलपर्स, फूड प्रोडक्ट्स, रिसोर्ट एंड होटल्स, इंडस्ट्रीज एंड एग्रो रिसर्च और एमपीएस एक्वामैरिन प्रोडक्ट्स लिमिटेड हैं। गत वर्ष सेबी ने ग्रीनरी डेवलपमेंट को निवेशकों से पैसा न लेने की हिदायत दी थी, बावजूद इसके एमपीएस ने लोगों से पैसे लेने बंद नहीं किए। अब सेबी ने एमपीएस को लोगों से लिए 1169 करोड़ रुपये लौटाने को कहा है। राज्य के कृषि विपणन मंत्री अरूप राय ने दो दिन पहले आरोप लगाए थे कि एमपीएस गैरकानूनी तरीके से 13 कोल्ड स्टोरेजों का संचालन कर रही है। एमपीएस समूह के मालिक प्रमथनाथ मन्ना का अतीत भी सारधा के मालिक सुदीप्त सेन की तरह ही संदिग्ध बताया जा रहा है। 80 के दशक में झाडग़्राम में मन्ना ने ग्रामीणों से सामूहिक निवेश योजना के तहत पैसे जमा कराना शुरू किया था। करीब 15 साल बाद उसने कंपनी बंद कर दी और निवेशकों के 50 करोड़ डूब गए। 1997 में मन्ना ने एमपीएस समूह की स्थापना की। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल एमपीएस का टर्नओवर 500 से 1000 करोड़ के बीच है। इसके अलावा बंगाल की कुछ अन्य चिट फंड कंपनियों के खिलाफ अन्य राज्यों में भी कार्रवाई हो रही है। चिटफंड घोटाले का असर पश्चिम बंगाल के फुटबाल खेल पर भी पड़ा है। अब फुटबाल क्लबों को उतना फंड नहीं मिला करेगा क्योंकि चिटफंड घोटाले में अपना पैसा गंवाने वाले लाखों निवेशक दिवालिया हो चुके हैं। पिछले सत्र में तो 13-14 करोड़ रुपए की आमदनी हो गई थी, लेकिन इस सत्र में फुटबाल क्लबों को बड़ी आमदनी होने की संभावना कम ही है। भारतीय फुटबाल संघ के अंतर्गत पश्चिम बंगाल में 325 क्लब पंजीकृत हैं। जिन्हें आम जनता से भी सहयोग मिलता रहा है।
इस बीच ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी ने कहा है कि उनकी बहन ममता ने चिटफंड कंपनियों को कुछ ज्यादा ही छूट देकर रखी थी। बनर्जी ने कहा कि एक वर्ष पहले ही उन्होंने सारधा समूह की गतिविधियों के विषय में पार्टी नेताओं को चेताया था, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। कार्तिक ने आरोप लगाया कि ममता तो ईमानदार हैं पर उनके इर्द-गिर्द रहने वाले बेइमान हैं। यह बेइमान लोग कौन हैं इनका पता लगाने के लिए ही इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की जा रही है।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^