02-Feb-2017 09:49 AM
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मप्र में वन्य प्राणियों के अभय होकर विचरण करने के लिए जिन अभयारण्यों की स्थापना हुई है वे उनके लिए मौतगाह बन गए हैं। दरअसल इन अभयारण्यों में शिकारी बेखौफ होकर शिकार कर रहे हैं। पिछले साल प्रदेश में 33 बाघों की मौत के बाद वन विभाग ने इस साल सतर्कता बरतने को कहा था। लेकिन पहले ही महीने में दो बाघ, एक तेंदुए सहित कई वन्यप्राणियों का शिकार हुआ है। वहीं कई वन्यप्राणी अकाल मौत मरे हैं।
वन विभाग का दावा है कि मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्वों में दौड़ रहे लगभग 1000 किमी लंबे करंट से वन्य प्राणियों की सुरक्षा की योजना बनायी जा रही है। अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 190 किमी लंबा करंट दौड़ रहा है। बफर जोन में 125 किमी लंबा और कोर क्षेत्र में 65 किमी लंबाई की विद्युत लाइन बिछी हुई है। लगभग इतनी ही लंबाई का करंट कान्हा टाइगर रिजर्व में भी दौड़ रहा है। पेंच, सतपुड़ा, संजय धुबरी और पन्ना में भी लगभग 600 किमी की विद्युत लाइन है। इसके बावजूद इन क्षेत्रों में लगातार वन्यप्राणियों का शिकार हो रहा है। इसकी वजह है टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली विद्युत लाइन का दुरूपयोग शिकारी करंट फैलाने के लिए करते हैं। पिछले एक साल में मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्वों में करंट फैलाकर छह बाघों का शिकार किया गया यानी हर दूसरे महीने एक शिकार हो रहा है।
अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 125 किलोमीटर दूर टी-1 नामक बाघिन का शव मिला। मृत बाघिन की आंख पर जख्म तथा पूंछ पर जलने के निशान मिले हैं। आशंका जताई जा रही है कि शिकारियों ने करंट लगाकर बाघिन की जान ली और पकड़े जाने के डर से उसे रेत में दबा दिया। शहडोल रेंज के मुख्य वन संरक्षक प्रशांत कुमार जाधव ने बताया बाघिन के शरीर पर चोट के तथा पूंछ पर जलने के निशान हैं। बाघिन की मौत बाघों के क्षेत्राधिकार के संघर्ष या बिजली का करंट लगने से होने का संदेह है। विभाग के दावे के विपरीत देखें तो यह घटनाक्रम शिकार का लगता है। दरअसल वनविभाग में शिकारियों को रोकने की जो युक्ति लगाई है वही शिकारियों के लिए शिकार करने की आसान तरकीब बन गई है। इसलिए अभयारण्यों में निरंतर शिकार हो रहे हैं।
इसी तरह जनवरी माह में भी तेंदुए का शिकार करने वालों के खिलाफ टीएसएफ सतना व पन्ना टाइगर रिजर्व की संयुक्त कार्रवाई में पन्ना जिले के ददरी गांव से दो शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से तेंदुए की खाल भी बरामद की गई है, जिसे वे जंगल में छिपाकर रखे हुए थे। इस पूरी कार्रवाई के पीछे भूमिका महामाया होटल से पकड़े गए दो शिकारियों से पूछताछ हो रही है। शिकारियों ने बताया था कि ददरी निवासी दो अन्य साथी लक्ष्मण सिंह परिहार व हरिशंकर सिंह भी शिकार में सहयोग करते हैं। कई शिकार में इनकी भूमिका रही है। इसके बाद वन विभाग की टीम ने इन्हें पकडऩे की रणनीति बनाई थी। पूछताछ के दौरान दोनों ने बताया कि लगभग एक माह पहले ही ददरी के जंगल क्षेत्र में तेंदुए का शिकार किया था। उसे बेचने का सौदा नहीं हुआ था लिहाजा जंगल में उसे छिपा दिया था। ताकि घर पर किसी की नजर न पड़े और किसी को शक न हो। शिकारियों द्वारा पूरा कदम रणनीति के तहत उठाया जा रहा था। सूत्रों की मानें तो शिकारियों ने बताया है कि सतना में सौदा होना था, जिसके लिए विगत सप्ताह दो साथी आए थे, लेकिन टीएसएफ के हत्थे चढ़ गए। उनका मूल उद्देश्य ये था कि पहले एक खाल का सौदा करते हैं, अगर रकम उचित मिल जाती है, तो दूसरी खाल बेचेंगे। नहीं तो अन्य तस्कर से संपर्क करेंगे। इसलिए दूसरे तेंदुए की खाल जंगल में छिपा कर रखी थी। सूत्रों की मानें तो शिकारी जानबूझकर तेंदुए का शिकार करते रहे हैं। पूछताछ के दौरान बताया है कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अधिकारियों की नजर अकसर बाघ जैसे वन्य जीव पर होती है। अगर, अन्य जीव का शव आदि मिलता है तो कई बार बाघ द्वारा उन्हें मारा जाना समझा जाता है। अधिकारियों की मॉनीटरिंग भी नहीं होती, लिहाजा रैकी करना व शिकार करना आसान होता है।
शिकारियों से पूछताछ के बाद वन विभाग अब नए सिरे से अभयारण्यों की सुरक्षा पर विचार कर रहा है। बिजली की लाइन बिछाने के साथ ही मुस्तैदी से निगरानी भी की जाएगी। सभी टाइगर रिजर्व में सबसे पहले विद्युत लाइन की कुल लंबाई निकाली जाएगी और उसकी स्थिति देखी जाएगी। इसके पश्चात विद्युत मण्डल को यहां से गुजरने वाली लाइन को इंसुलेटेड करने के लिए वन विभाग राशि उपलब्ध कराएगा। जहां सबसे पहले जरूरत होगी वहां की लाइनें पहले इंसुलेटेड की जाएंगी। अरबों रुपए खर्च कर वन्यप्राणियों की रक्षा के लिए तैयार हो रही यह रणनीति कितनी कारगर होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
-राजेश बोरकर