02-Feb-2017 09:41 AM
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आज देश में चारों तरफ डिजीटल की बात हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना होने के कारण मध्यप्रदेश में इस सपने को तत्परता से पूरा करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। विकास के नाम पर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों अरबों का फंड खपाया जा रहा है। पंचायतों को ई-पंचायत में तब्दील किया जा रहा है। लेकिन अभी हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को जो रिपोर्ट मिली है उससे सरकार को भी सांप सूंघ गया है। मप्र सरकार की ग्रामीण व्यवस्था को एक बार फिर अफसरों व पंचायतों ने झटका दिया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को पंचायतों ने मूलभूत सुविधाओं के जो आंकड़े भेजें हैं उसमें खुलासा हुआ है कि 4800 ग्राम पंचायतों में आज भी बिजली नहीं है। इन पंचायतों के गांव-कस्बों में सालों से अंधेरा छाया हुआ है। वहीं 5 हजार ऐसी पंचायतें हैं जहां पर मृत व्यक्ति को जलाने के लिए उचित स्थान नहीं है। 2500 से ऊपर पंचायतों के पास खुद का भवन नहीं है तो 8 हजार पंचायतें खेल मैदान को तरस रहीं हैं। इन आंकड़ों के बाद फिर से प्रदेश के अधिकारियों की अफसरशाही खुलकर सामने आई है। मूलभूत सुविधाएं नहीं होने पर भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जिले की पंचायतें भी शामिल हैं।
पंचायत ग्रामीण विकास विभाग ने प्रदेश भर की पंचायतों में मूलभूत सुविधाएं होने व न होने की जानकारी मांगी थी जिसमें 10 हजार 793 पंचायतों ने जानकारी भेजने के लिए पंजीयन कराया था। पंचायतों से मिले आंकड़े के बाद विभागीय अफसर भी हैरान है कि इतनी कवायद और शासन की ढेर सारी योजनाओं के बावजूद पंचायतों की स्थिति बद्तर है। अधिकारी यह पता करने की कोशिश में लगे हुए हैं कि कैसे पंचायतों में इतनी सारी व्यवस्थाएं बेपटरी है। जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर सहित 32 जिलों को छोड़ शेष 19 जिलों की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा बुरी स्थिति है। इन जिलों में 200 से ऊपर ऐसी पंचायतें हैं जहां पर बिजली-भवन, खेल मैदान और मोक्षधाम नहीं है। प्रदेश भर की 5 हजार पंचायतों में मोक्षधाम नहीं है, जबकि भारत सरकर की महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की उपयोजना शांति धाम से गांव-गांव शांतिधाम बनाए जा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि हजारों की तादद में पंचायतों में मोक्षधाम नहीं है, फिर शांतिधाम योजना कहां संचालित हो रही हैं। वहीं खेल मैदान भी मनरेगा से बनाने का प्रावधान है फिर 8 हजार पंचायतों में अब तक क्यों खेल मैदान नहीं बने। आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि अफसरशाही ने योजना का बंटाधार कर दिया है।
जिला पंचायत बिजली खैल मैदान मोक्षधाम
भवन नहीं नहीं नहीं नहीं
जबलपुर 54 87 115 69
भोपाल 18 26 44 16
इंदौर 50 55 119 45
ग्वालियर 15 57 60 26
अपडेट नहीं हो पाया पंचायत ग्रामीण विकास विभाग
मप्र सरकार सभी विभागों को हाईटैक बनाने की जुगत में है, इसके लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं और इसमें कुछ विभाग हाईटैक भी हुए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद सरकार का महत्वपूर्ण पंचायत ग्रामीण विकास विभाग तकनीकी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जबलपुर जिले की 26 पंचायतों को ढाई साल पहले ही नगर निगम सीमा में शामिल किया जा चुका है, लेकिन विभाग की बेवसाइट आज भी 26 पंचायतें ग्रामीण विकास विभाग की बता रहा है। इतना ही नहीं विभागीय अधिकारी सभी योजनाओं का आंकलन, संचालन पंचायतों के पुराने आंकड़ों पर ही कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह स्थिति सिर्फ जबलपुर जिले भर की नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में बनी हुई है। प्रदेश भर में परिसीमन होने के बाद भी पंचायत ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी बेवसाइट पर पंचायतों के आंकड़ों को अपडेट नहीं किया। मालूम हो कि पंचायत ग्रामीण विकास विभाग तकनीकी क्षेत्र में विस्तार करने वाला सबसे बड़ा विभाग है। विभाग की प्रत्येक जानकारी आपकों को बेवसाइटों में मिल जाती है, लेकिन इसके बाबजूद पंचायतों का आंकड़ा ठीक न कर पाना तकनीकी अधिकारियों की योग्यता पर सवाल खड़े कर रहा है। उपसंचालक (आईटी) पंचायत राज संचालनालय डॉ. विनोद यादव कहते हैं कि विभाग पूरी तरह से अपडेट है, परिसीमन के बाद पंचायतों के आंकड़े पोर्टल में क्या दर्ज इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। विभाग आंकड़ों के अनुरूप योजनाओं का संचालन नहीं करता है।
-भोपाल से अजयधीर