20-Jan-2017 10:18 AM
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बिहार में शराबबंदी के निर्णय की प्रशंसा पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कर दी कि उसके बाद से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी शराबबंदी की दिशा में तत्परता दिखाने लगी। सोशल मीडिया पर भी जमकर हल्ला मचा कि 2 अक्टूबर से मध्यप्रदेश में पूर्ण रूप से शराबबंदी लागू करने का निर्णय शासन ने ले लिया है। दरअसल गत दिनों शिवराज मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक में शराबबंदी को लेकर चर्चा तो अवश्य हुई, मगर कोई निर्णय नहीं लिया गया। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि 2018 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार अगले साल प्रदेश में शराबबंदी लागू कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में शराबबंदी के खिलाफ माहौल बन रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर पिछले कई सालों से प्रदेश में नई शराब की दुकानें नहीं खुल रही हैं। मुख्यमंत्री अपने हर चौथी पांचवीं सभा में शराबबंदी की वकालत करते हैं। ऐसे में यह साफ संकेत मिल रहा है कि उनके मन में कहीं न कहीं शराबबंदी की मंशा है। हालांकि शराबबंदी से प्रदेश में हर साल 7 हजार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचेगा। लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री ने शराबबंदी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा की है उससे उम्मीद जगी है कि मप्र में भी शराबबंदी हो सकती है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आदत है कि जैसे ही मोदी सरकार कोई घोषणा करती है तो वे उसे सबसे पहले मध्यप्रदेश में न सिर्फ लागू करने की पहल करते हैं, बल्कि आंकड़ों के जरिए यह भी साबित किया जाता है कि इस योजना में पूरे देश में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है। मोदी द्वारा शराबबंदी के मामले में नीतीश कुमार की बड़ाई करने से मध्यप्रदेश में हल्ला मचने लगा कि मुख्यमंत्री आगामी वित्त वर्ष से शराबबंदी लागू करने जा रहे हैं और इसके लिए उन्होंने गुजरात के अलावा बिहार का भी सर्वे शुरू करा दिया है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया, खासकर वॉट्सएप ग्रुप और फेसबुक पर भाजपा से ही जुड़े लोग यह जानकारी पोस्ट कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में भी शराबबंदी लागू होने जा रही है। इधर आबकारी विभाग ने मुख्यमंत्री को जो आंकड़े दिए उसके मुताबिक अगर मध्यप्रदेश में शराबबंदी घोषित की जाती है तो सीधे-सीधे 7 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। पंजीयन, वाणिज्यिक कर विभाग की टैक्स वसूली में गिरावट आ गई है और अगर केन्द्र सरकार जीएसटी लागू कर देती है तो इससे भी प्रदेश सरकार के राजस्व पर अच्छा-खासा असर पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष में ही आबकारी विभाग को 7 हजार करोड़ रुपए से अधिक का लक्ष्य पूरा करना है। अभी तक वह साढ़े 5 हजार करोड़ रुपए हासिल कर चुका है। नर्मदा किनारे की दुकानें बंद करने से ही 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व की चपत पड़ेगी, लिहाजा फिलहाल शिवराज सरकार शराबबंदी नहीं करने जा रही है।
क्या नर्मदा के अलावा अन्य नदियां पवित्र नहीं हैं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नमामि देवी नर्मदे यात्रा के शुभारंभ अवसर और उसके बाद यात्रा में हर बार शामिल होने पर कहा है कि नर्मदा पवित्र नदी है अत: इसके किनारे शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए। इसके मद्देनजर मध्यप्रदेश में सरकार ने निर्णय लिया है कि नर्मदा नदी के तट से पांच सौ मीटर के दायरे में अब कोई शराब दुकान नहीं होगी। इस दायरे में आने वाली सभी दुकानों की जगह बदली जाएगी। इसके लिए दुकानों की नीलामी में अलग से प्रावधान किए जा रहे हैं। लेकिन अन्य नदियों के लिए कोई मापदंड नहीं तय किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि प्रदेश की अन्य नदियां पवित्र नहीं है। कहीं सरकार का नर्मदा किनारे शराबबंदी का यह कदम इसलिए तो नहीं है कि मुख्यमंत्री नमामि देवी नर्मदें यात्रा में शामिल हो रहे हैं। और उन्होंने नर्मदा किनारे स्थित शराब दुकानों से होने वाले दुष्प्रभाव का अनुभव किया है। तो क्या मुख्यमंत्री इस प्रदेश में जो कुरीति देखेंगे, जो खामी देखेंगे सरकार उसे ही दूर करने का कदम उठाएंगी। हकीकत यह है कि प्रदेश में नर्मदा से अधिक अन्य नदियों के किनारे अपकर्म (शराबखोरी, अवैध खनन, अवैध शिकार) हो रहे हैं। लेकिन अपनी प्रशासनिक व्यस्तता के कारण मुख्यमंत्री हर जगह तो जा नहीं सकते। इसलिए शासन-प्रशासन को इस दिशा में पहल करनी चाहिए और अन्य नदियों के किनारे भी स्थित शराब दुकानों को बंद करके तट से दूर भेजना चाहिए। सरकार द्वारा नेशनल हाइवे के किनारे स्थित शराब की दुकानों को हटाए जाने का भी फैसला सराहनीय है। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएंगी।
द्यभोपाल से रजनीकांत पारे