मतलब पूरी दाल काली है!
20-Jan-2017 10:20 AM 1234884
हम सभी जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान बेहद सौम्य और शांत स्वभाव के हैं। उनकी सदा कोशिश रहती है कि अगर किसी से कोई गलती हो जाती है तो उसे इसका अहसास करा दिया जाए, ताकि वह आइंदा कोई गलती न करे। अगर दाल में कुछ काला भी नजर आता है तो वे इसका संकेत बराबर देते रहते हैं, ताकि सुधार हो सके। लेकिन साल 2017 में पहली बार बुलाई गई मंत्रियों और अफसरों की बैठक में उनके तल्ख तेवरों को देखकर मंत्री से लेकर अफसर तक हैरान रह गए। मुख्यमंत्री की नाराजगी बेवजह नहीं है। प्रदेश में भ्रष्टाचार का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है। विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार पर विभागीय मंत्री और वरिष्ठ अफसर चुप रहते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री ने अफसरों को बर्खास्त करने तक की हिदायत दे डाली है। आज भले ही मध्यप्रदेश सुशासन के लिए उदाहरण बना है। लेकिन प्रदेश की अफसरशाही इस सुशासन के किले को मजबूत करने की बजाए उसमें सेंध लगाने में जुटी हुई है। अफसरशाही अपने आपको लोकतंत्र से भी ऊपर मान रही है। इस कारण मंत्री और उनके बीच हमेशा दरार पड़ी रहती है। अफसरशाही विकास अपने अनुसार चाहती है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि न तो मंत्रियों का अपने अफसरों के ऊपर विश्वास टिक पा रहा है और न ही उनके क्षेत्र में विकास कार्य हो पा रहे है। जो विकास कार्य चल रहे हैं या संपन्न हुए हैं वे भ्रष्टाचार की जद में हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री का आक्रोशित होना लाजमी है। दरअसल 2018 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में साल 2017 आते ही उसकी उल्टी गिनती भी शुरु हो गई है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्री और उनके विभागों से जुड़ें अफसरों के साथ मंत्रालय में समीक्षा बैठक बुलाई थी। बैठक के दौरान शिवराज ने भ्रष्टाचार पर बेहद ही सख्त रुख अपनाया। यही नहीं उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि किसी विभाग में अगर भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है, तो उस विभाग के मंत्री को भी नहीं छोड़ा जाएगा। शिवराज ने कहा कि विभाग में करप्शन के लिए मंत्री भी जिम्मेदार होंगे। मंत्रियों के बाद मुख्यमंत्री ने अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर कोई अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो वो जाएगा ही, लेकिन जिन अफसरों के खिलाफ पहले भी भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं और अगर वो चेतावनी के बाद अभी भी नहीं सुधरे हैं तो उन्हें अब सीधे बर्खास्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री का यह गुस्सा इस बात का संकेत है कि व्यवस्था में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ रहा है। हम जानते हैं कि जब कोई बात हद से गुजर जाए तो कोमल व्यक्ति को भी कठोर होना पड़ता है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब भ्रष्टाचार के विरूद्ध आक्रामक रवैया अपनाया है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब शिवराज जी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाया हो। वे लगभग हर बैठक में मंत्रियों-अधिकारियों को सूचिता, सदाचारिता का पाठ पढ़ाते हैं और भ्रष्टाचार को रोकने की हिदायद देते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार रूकने की बजाय बढ़ता जाता है। इसलिए इस बार उन्हें भ्रष्ट अफसरों का बर्खास्त करने की हिदायत देनी पड़ी। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने मप्र को बीमारू राज्य की श्रेणी से तो निकाल दिया है लेकिन यहां भ्रष्टाचार ऐसा नासूर बन गया है कि न केवल सरकार की किरकिरी हो रही है, बल्कि विकास भी बाधित हो रहा है। इसलिए नए साल के शुरुआत में ही विभागों की समीक्षा कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अधिकारियों को यह संकेत दे दिए कि अब भ्रष्टाचार पर कोई रियायत नहीं होगी। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि वर्ष 2017-18 सुशासन, विकास और जन कल्याण पर फोकस होगा। इसलिए भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दरअसल, मप्र की अफसरशाही इतनी निर्भीक हो गई है कि वह सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करती है। ऐसे में सवाल यहीं खड़ा होता है कि आखिर अफसरशाही मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन क्यों नहीं कर पा रही है। ऐसे में यदि शिवराज भ्रष्टाचार, लापरवाही, कामचोरी, दलाली, योजनाओं की मैदानी हकीकत और अधिकारियों का औचक निरीक्षण से दूरी बनाने का जिक्र कर सार्वजनिक तौर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग में अधिकारियों को समय रहते सुधर जाने की नसीहत देते हैं तो सवाल यहीं पर खड़े हो जाते हैं। चाहे फिर वो सर्वे के हवाले से विभागों के काम-काज से नाराजगी व्यक्त करते हुए ये कहना कि मेरे पास सबकी कुंडली है, वो खुद सुधर जाएं वरना मुझे सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सवाल ये है कि आखिर कमजोर कड़ी कौन है और उसको दुरुस्त करने के लिए अभी तक सख्त फैसले क्यों नहीं लिए गए। यदि हालात चिंताजनक हैं तो फिर इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है। शिवराज कई बार कह चुके हैं कि वे भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद भी प्रशासकीय भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम नहीं लग सकी है। सवाल यह भी उठता है कि क्या केवल ब्यूरोक्रेसी में भ्रष्टाचार है? क्या राजनेता दूध के धुले हैं? यदि राजनेता पूरी तरह प्रमाणिक है तो फिर भ्रष्टाचार पर नियंत्रण क्यों नहीं हो पाता? शायद यह सवाल शिवराज के मन में भी उठा है इसलिए उन्होंने मंत्रियों पर भी नकेल कसी है। अब देखना यह है कि अपने विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मंत्री क्या कदम उठाते हैं। इसी तरह मुख्यमंत्री पुलिस विभाग की समीक्षा के दौरान भी आक्रामक नजर आए। राज्य के डीजीपी ऋषिकुमार शुक्ला समेत पुलिस के आला अफसरों के साथ मीटिंग की। इस अवसर पर वे राज्य के दूसरे जिलों के एसपी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री से रूबरू हुए। सीएम शिवराज ने करप्शन को पुलिस के सामने बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि पुलिस को कानून व्यवस्था को बरकरार रखते हुए करप्शन से भी लडऩा होगा। बैठक में सीएम ने पुलिस को माफिया का सफाया करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही सीएम ने जिले के आला पुलिस अफसरों को निर्देश दिए कि वो सभी प्रकार के माफियाओं की सूची बनाएं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अभियान चलाएं। सीएम ने कहा कि जिले के एसपी दफ्तर में ना बैठ कर फील्ड पर रहें ताकि जनता के बीच संदेश जाए कि पुलिस उनके साथ है। बदल रहा शिवराज का अंदाज! मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब तक की सियासत में सबसे शांत और सौम्य नेता के तौर पर सामने आए हैं। लेकिन पिछले कुछ माह से उनका अंदाज बदला है। वे जिस तरह आक्रामक अंदाज से शासन और प्रशासन को संचालित कर रहे हैं उससे मंत्रियों से लेकर अधिकारी भी भौंचक्के हैं। प्रदेश भाजपा के एक नेता कहते हैं कि पिछले 11 साल से मुख्यमंत्री सबको साथ लेकर विकास कार्य में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री के प्रति जनता का विश्वास है कि प्रदेश में भाजपा निरंतर अजेय है। लेकिन मंत्रियों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली कहीं न कही चिंतनीय है। उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव कहते हैं की मुख्यमंत्री अपनी विफलता का ठीकरा दूसरे के सिर पर फोडऩा चाहते हैं इसलिए वे बार-बार अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। वह कहते हैं कि प्रदेश में ईमानदार अफसरों को हासिए पर भेजा जा रहा है और भ्रष्ट मुख्यधारा में है। वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक नेता कहते हैं कि भाजपा भले ही चुनाव जीत रही है लेकिन जनता के बीच सरकार की छवि खराब हो रही है। इससे मुख्यमंत्री का नाखुश होना लाजमी है। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री को ऐसी आक्रामकता बहुत पहले दिखानी चाहिए थी। -भोपाल से अजयधीर
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^