20-Jan-2017 10:11 AM
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नरेंद्र मोदी की टक्कर अब ममता बनर्जी से है। जंग का मैदान पश्चिम बंगाल है और निशाने पर 2019 का चुनाव है। राजनीति के ज्ञानी मानते हैं कि लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी तो बस झलक भर है कि अगले ढाई साल में क्या-क्या होने वाला है? कोलकाता की सड़कों पर जो हुआ वह आने वाले वक्त की झांकी भर है।
विपक्ष के एक बड़े नेता के मुताबिक नोटबंदी एक ऐसा हथियार था जिसका उपयोग मुंहबंदी के लिए किया गया। सरकार के शीर्ष नेताओं को उम्मीद थी कि इस नोटबंदी का विरोध कोई बड़ा नेता कर नहीं पाएगा और विपक्ष के जो नेता इसके खिलाफ बोलेंगे भाजपा उन्हें भ्रष्ट बताने में देर नहीं करेगी। लेकिन पूरब से एक ऐसी नेता ममता बनर्जी - सामने आईं जिनकी छवि ईमानदार, जुझारू और लोकप्रिय मुख्यमंत्री की है। मोदी सरकार के एक कैबिनेट मंत्री बताते हैं कि नोटबंदी का विरोध राहुल गांधी करेंगे इसकी उम्मीद तो प्रधानमंत्री को रही होगी, लेकिन ममता बनर्जी इतने कठोर शब्दों में इसकी मुखालफत करेंगी इसका अंदाजा सरकार को नहीं था।
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक इसके अस्थाई डायरेक्टर राकेश अस्थाना आजकल दो मामलों पर ज्यादा वक्त दे रहे हैं। पहला केस अगस्ता वेस्टलैंड है जिसमें अगले कुछ हफ्तों में बड़ा खुलासा हो सकता है। इस मामले में सीबीआई एक ऐसे गवाह को अदालत के सामने पेश करने वाली है जो कुछ बड़े नेताओं के नाम ले सकता है। दूसरा मामला है पश्चिम बंगाल में चिटफंड घोटाले का। सीबीआई के चीफ चिटफंड घोटाले में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं, यह पहेली तब सुलझने लगी जब ममता बनर्जी की पार्टी के दो सांसद की गिरफ्तारी दो दिन में हुई। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक ममता बनर्जी को लगता है कि अगले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर उनकी पार्टी के नेताओं की धरपकड़ होने वाली है। अपने सबसे करीबी नेता और भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम तो ममता ने खुद कुछ पत्रकारों को बताया। दरअसल सीबीआई के अस्थाई डायरेक्टर राकेश अस्थाना भी जल्दबाजी में हैं। उनकी जगह नए डायरेक्टर की नियुक्ति होनी है, उस नियुक्ति से पहले उन्हें कुछ खास मामलों में कुछ करके दिखाना है। अगर सरकार इन नतीजों से खुश हुई तो राकेश अस्थाना को भी वरिष्ठता के पैमाने का त्याग करते हुए स्थाई तौर पर सीबीआई डायरेक्टर बनाया जा सकता है।
जीएसटी विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस मोदी सरकार के साथ आ चुकी थी। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति के चीफ हैं। ऐसे में ममता बनर्जी की पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है, लेकिन इस सारी कवायद की टाइमिंग सरकार के लिए बिलकुल सही नहीं लगती। 31 जनवरी से बजट सत्र शुरू होने वाला है और इस बार एक फरवरी को संसद में बजट पेश किया जाएगा। जीएसटी विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस मोदी सरकार के साथ आ चुकी थी। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति के चीफ हैं। ऐसे में ममता बनर्जी की पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है। जीएसटी पर बन चुकी सहमति अब बिखरती दिख रही है। कहा जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से विरोधी दलों का एक नया मोर्चा तैयार हो चुका है, इस मोर्च के केंद्र में मोदी विरोध है, इसे आप मोदी रोको मोर्चा भी कह सकते हैं। अब तक इस तरह के मोर्चे का नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे थे, अब उनके साथ पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव हैं। तजुर्बे के हिसाब से अभी ममता इन दोनों नेताओं पर भारी हैं। ममता से उलझना मोदी सरकार और सीबीआई दोनों को उल्टा पड़ सकता है।
ममता की सड़क की सियासत
देश में इस वक्त सड़क की सियासत ममता बनर्जी से अच्छे अंदाज में शायद कोई दूसरा नेता नहीं कर सकता। वे अपने नेताओं की गिरफ्तारी को दबाना नहीं भुनाना जानती हैं। इसलिए उन्होंने अपनी पूरी पार्टी को आक्रामक होने के लिए कहा है। अगर सरकार और सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में घुसकर ममता की पार्टी को बेघर करने की कोशिश की तो तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक इसका अंजाम कुछ वैसा ही हो सकता है जैसा बिना तैयारी के मधुमक्खी के छत्ते पर हाथ मारने पर होता है। तब मधुमक्खियां पलटवार करती हैं। अगर ममता की पार्टी पर हाथ डालने से पहले सीबीआई ने पूरी तैयारी नहीं की तो 2019 से पहले पश्चिम बंगाल ऐसा मैदान साबित हो सकता है जहां मोदी का रथ फंस सकता है। क्योंकि कहने वाले कहते हैं कि बंगाल में आज भी ममता की लहर है जहां मोदी का असर नहीं।
-इन्द्रकुमार