01-May-2013 10:49 AM
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कई लोगों को इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं होता है कि बैठने और चलने की सही अच्छी मुद्रा क्या होती है। गलत तरीके से बैठने की वजह से इसका असर आपकी रीढ़ की हड्डी को भुगतना

पड़ता है और बाद में यह बैक पेन का रूप ले लेती है। आजकल हर ऑफिस में काम करने वाला इंसान बैकपेन, कंधों तथा गर्दन के दर्द से पीडि़त है। बैक पेन को दूर करने के लिये जहां लोग ऑयल मसाज और दर्द निवारक दवाएं खाते हैं वहीं कुछ लोग गरम पानी से सिकाई भी करते हैं। पर इस तरह के दर्द से बचने के लिये वे कभी अपना बैठने का तरीका नहीं बदलते। यदि थोड़ी सी सावधानी और व्यायाम कर लिया जाए तो बैकपेन से निजात मिल सकती है। जब लोगों से योगा या व्यायाम करने को बोलो तो वे अपने सिर पर काम का बोझ होने का बहाना बना कर छुटकारा पा लेते हैं। यह समस्या जैसे ही शुरु होती है आपको तुरंत ही इसका उपचार कर लेना चाहिये वरना किसी के पास इतना पैसा नहीं है कि वह डॉक्टर के ऊपर लुटा सके। यह बीमारी पहले बूढ़े लोगों को होती थी लेकिन आज तो यह 20-21 साल के युवाओं को भी होने लग गई है। अपने आहार में विटामिन डी, सी और फास्फोरस शामिल करें तथा धूम्रपान से भी बचें। जब शरीर के किसी भाग में दर्द होता है तब आप उस भाग को किसी दूसरी ओर मोड़ लेते हैं जिससे दर्द में थोडा़ आराम मिलता है। आपका यह दर्द किसी पुरानी चोट से हो सकता है जो कि मासपेशी में लगी हो।
संतुलित आहार की कमी : रीढ की हड्डी को विशेष तौर पर पोषण चाहिये होता है जिससे की वही हमेशा सीधी और मजबूत बनी रहे। मासपेशियों और हड्डियों में विटामिन, कैल्शियम और पोषण की कमी से उनमें कमजोरी आती है और पीठ दर्द पैदा होता है। यदि परिवार में पीठ दर्द की समस्या किसी को थी तो आपको भी अब यह तकलीफ हो सकती है। इससे कोई फरक नहीं पड़ता कि आप कितने भी सीधे बैठ लें लेकिन यह तो आपकी जीन में ही है तो आपको इस बीमारी का शिकार बना देगी। जिन लोगो के पेट के पास अधिक चर्बी होती है उनके बैठने की मुद्रा गड़बड़ हो जाती है। साथ ही ऐसी महिलाएं जिनके ब्रेस्ट बड़े होते हैं उनका शरीर आगे की ओर अधिक मुड़ता है जिससे उनकी मुद्रा खराब हो जाती है और पीठ दर्द पैदा होता है।
गलत आदत : कुछ लोगों की आदत होती है गलत तरीके से लेटने और बैठने या फिर वे चलते समय नीचे सिर झुका कर चलते हैं। जो लोग पीठ झुका कर बैठते हैं उनको यह समस्या होते देर नहीं लगती। बैठने वाली जॉब पीठ दर्द का बड़ा कारण है। लगातार बैठने की वजह से गर्दन और सिर दोनो ही आगे कि ओर निकल जाते हैं जिससे दर्द पैदा होता है। कपड़े और जूते शरीर की मुद्रा पर बहुत असर डालते हैं। महिलाओं के पेंसिल हील पहनने से उनका पोस्चर खराब हो जाता है। यहां तक की फिटिंग के कपड़े, चौड़े बेल्ट, लो वेस्ट जींस और बूट्स आदि पीठ दर्द पैदा करते हैं।
कार या बाइक से ड्राइविंग करना आज कल की जरुरत बन चुकी है। घंटों एक ही सीट पर समय बिताने से न केवल ड्राइवर बल्कि उसके पीछे बैठी सवारी को भी कमर दर्द, कंधे का दर्द और घुटनों का दर्द झेलना पड़ता है। सबसे अच्छी बात यह है कि थोड़ी सावधानियां बरत कर ऐसे पीठ दर्द से बच सकते हैं। यदि आपका ऑफिस बहुत दूर है तो अच्छा होगा कि रास्ते में कुछ देर कार रोक कर टहल लें, इससे आपको दोबारा घंटों तक ड्राइव करने में आसानी रहेगी ।
लक्षणों पर करें गौर
* किसी नर्व के दब जाने से पैरों में अकडऩ।
* जलन, सुन्नपन, झुनझुनी होना।
* कमर के पिछले हिस्से में सामान्य दर्द की शुरुआत।
* दर्द का फैलाव पैर की अंगुलियों तक होना।
* ज्यादा से ज्यादा आराम करने पर ही आराम महसूस होना।
ये होते हैं ज़्यादा प्रभावित
बैकपेन लोगों को विभिन्न कारणों से और अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है। ऐसे लोग जिनका वजन लगातार बढ़ रहा हो, वे इसके लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। कंप्यूटर पर लगातार काम करने वाले लोग, गलत ढंग से कसरत करना दर्द की शुरूआत करता या उसे बढ़ाता है। जिन्हें लगातार एसिडिटी की शिकायत हो या गरिष्ठ भोजन करने वाले भी इसके लिए वल्नरेबल होते हैं। ज्यादा कोमल गद्दों पर सोना भी दर्द दे सकता है।
दर्द से कैसे पायें निजात
ड्राइविंग के दौरान अपना पोस्चर सही रखें और समय-समय पर अपनी पोज़ीशन बदलते रहें। अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी लें साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी करें। अपनी सीट को थोड़ा आगे रखें, जिससे पैरों पर अतिरिक्त खिंचाव ना पड़े। अपनी सीट को उतना ऊपर करें जितना आसानी से रोड दिख सके। अपने घुटनों पर प्रेशर आने से रोकें। शोधों से ऐसा पता चला है कि आपकी सीट की स्थिति लगभग 100 से 110 डिग्री के बीच होनी चाहिए। लगातार घंटों कार या बाइक चलाने से बचें। अगर आपके लिए लंबी ड्राइव आवश्यक है, तो बीच-बीच में रूककर अपनी टागों और हाथों को स्ट्रैच करना ना भूलें। ऐसे दर्द सामान्य होते हैं और तात्कालिक आराम के लिए आप गुनगुने पानी से नहा सकते हैं।
न करें
* औंधे मुंह न सोएं।
* न अचानक उठें, न एकदम से बैठें।
* बॉश बेसिन का उपयोग झुककर न करें।
* भारी सामान को धकलने की कोशिश न करें।
* दो हफ्तों से ज्यादा बेड रेस्ट न करें।