बंद होगा राजस्व मंडल!
20-Jan-2017 10:03 AM 1234871
सितंबर 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा बेहतर रख-रखाव व कार्यप्रणाली में लागू की गई पारदर्शिता व पक्षकारों को उपलब्ध कराई जा रहीं बेहतर सुविधाओं के लिए आईएसओ अवार्ड प्राप्त करने वाला राजस्व मंडल सरकार के लिए सफेद हाथी साबित होने लगा है। इसलिए सरकार द्वारा राजस्व मामलों के अपीलीय मामलों का निपटारा करने वाले राजस्व मंडल को भंग करने की तैयारी की जा रही है। गत दिनों प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंडल की प्रासंगिकता पर विचार किए जाने के निर्देश के बाद इस बात को और बल मिला है। इस मंडल में राजस्व से जुड़े अपीलीय प्रकरणों के दस हजार से अधिक मामले वर्तमान में लंबित हैं। ज्ञातव्य है कि राजस्व मंडल राजस्व न्याय प्रणाली में राज्य का सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है। राजस्व मंडल का गठन भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 3 के अंतर्गत किया गया है। इसका मुख्यालय ग्वालियर में है। इसके अतिरिक्त राजस्व मंडल की रीवा, इन्दौर, जबलपुर, भोपाल, उज्जैन तथा सागर संभागीय मुख्यालयों पर भी आयोजित हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार राजस्व विभाग की महत्वपूर्ण इकाई को भंग कर इसमें विचाराधीन प्रकरण हाईकोर्ट को सौंपने पर विचार कर रही है। हालांकि अभी सब कुछ प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन बीते दिनों मुख्यमंत्री की वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ संपन्न बैठक में राजस्व मंडल भी चर्चा का एक बिंदु रहा। मंडल में बढ़ी तादाद में प्रकरणों के लंबित रहने, लंबे समय तक इनका निराकरण नहीं होने व कुछ विवादित फैसलों को लेकर भी मंडल बीते कुछ वर्षों में सरकार की आंख की किरकिरी बना है। इसी के चलते उक्त बैठक में मुख्यमंत्री को मंडल की प्रासंगिकता पर विचार करने के लिए कहना पड़ा। दरअसल, आईएएस अधिकारियों के लिए न्यायिक प्रक्रिया की इस अपेक्स संस्था में पूर्व में राजस्व मामलों के अनुभवी, ईमानदार व बारीकियों के जानकार अधिकारियों की पदस्थापनाएं ही होती रही हैं, लेकिन अस्सी के दशक के बाद यह सजा का स्थल बन गया। अर्थात नापसंद के अधिकारियों को दंडित करने के इरादे से उनकी पदस्थापनाएं मंडल में की जाने लगी। इसका असर मंडल की व्यवस्था पर भी पड़ा तो अधिकारियों की मानसिकता पर भी। वे इसे लूप लाइन मान कर अपने कार्यों को उसी तरह अंजाम देने लगे जिसके लिए वे दंडित किए गए। आलम यह है कि मंडल में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला और राजस्व से जुड़े अनेक पेंचीदे मामलों में फरियादी आवेदक फायदे में रहे और सरकार को अपनी संपत्तियां गंवानी पड़ी। वहीं प्रकरणों को लंबा खींचने के इरादे से अकारण लंबित रखा जाने लगा। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि चुनावों के बाद सरकारें बदलती थीं तो पिछली सरकार के मुख्य सचिव को भेजने के लिए यह बोर्ड बनाया था। अब जब सरकार नहीं बदल रही तो इसकी जरूरत ही क्या? वैसे भी यह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। जिसका तबादला करो, बेमन से जाता है। फिर अंधाधुंध भ्रष्टाचार में जुट जाता है। सारे कोर्ट केस में सरकार हार जाती है। बोर्ड अब सरकार पर बोझ है। राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता कहते हैं कि बोर्ड में तहसीलदार, अपर कलेक्टर, कलेक्टर, अपर आयुक्त, आयुक्त न्यायालय के नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा संबंधी आदेश के खिलाफ अपील और रिवीजन के मामले सुनवाई में आते हैं। विवाद निपटाने में पीढिय़ां निकल जाती हैं। फैसला, अपील, निगरानी में ही न्याय लंबित रहता है।  अधिकारिक सूत्रों का दावा है कि मंडल को भंग करना इतना आसान भी नहीं है। इसके परिणामों पर भी विचार करना होगा। ज्ञात हो कि कांग्रेस शासनकाल में राज्य प्रशासनिक अधिकरण यानी सेट को भंग कर इसमें लंबित मामले हाईकोर्ट को सौंप दिए गए थे। सेट  प्रशासनिक मामलों का निपटारा करने वाली न्यायालयीन निराकरण करने वाली इकाई थी। इसे भंग किए जाने के बाद हाईकोर्ट में प्रकरणों का दबाव बढ़ा। अब राजस्व मंडल को भंग किए जाने पर भी इसमें लंबित दस हजार से अधिक मामले हाईकोर्ट को ही सौंपने पड़ सकते हैं। ऐसे में उच्च न्यायालय पर काम का दबाव और अधिक बढ़ेगा। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि हाईकोर्ट लंबित राजस्व मामलों को स्वीकार करता है अथवा नहीं। रेवेन्यू बोर्ड खत्म करने के विरोध में वकील उधर, ग्वालियर में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू का दफ्तर बंद करने की खबर से पक्षकार, वकील व यहां काम करने वाले कर्मचारी परेशान हैं। वकीलों ने तो इस मामले में प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। उन्होंने आदेश वापस न लेने पर मुख्यमंत्री के घेराव की भी चेतावनी दी है। दूसरी तरफ प्रदेश के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि अभी सिर्फ भू-सुधार आयोग रेवेन्यू बोर्ड के कामकाज का रिव्यू कर रहा है। आयोग अगले 15 दिन में जांच रिपोर्ट देगा, इसके बाद ही बोर्ड को लेकर कुछ फैसला लिया जाएगा। मंत्री ने स्वीकारा कि रेवेन्यू बोर्ड में केस डिले होने से लेकर अन्य कई तरह की शिकायतें मिल रही थीं। इसलिए बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की उपयोगिता, कार्यप्रणाली में परिवर्तन, इसे रखने या बंद करने के संबंध में भू-सुधार आयोग का गठन किया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के राजस्व न्यायालयों का उच्चतम न्यायालय है रेवेन्यू बोर्ड। उधर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने शासन से राजस्व मंडल को बंद करने संबंधी निर्णय वापस लेने का आग्रह किया है। -सुनील सिंह
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