20-Jan-2017 09:49 AM
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मध्यप्रदेश में अब स्थानीय निकायों के कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले वार्डों का परिसीमन कर लिया जाएगा। मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम में मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक 2016 के विधानसभा में पारित होने के बाद यह व्यवस्था की गई है। इससे निकाय चुनाव निर्विवाद संपन्न होंगे। अगर कभी ऐसा होता है कि समय पर परिसीमन नहीं हो पाता है तो उसे अगले साल लागू किया जाएगा। इस साल फरवरी में होने वाले 52 निकाय चुनाव के लिए ये प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
दरअसल, सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है कि प्रदेश में जब भी नगरीय निकाय चुनाव होते हैं, वार्डों का परिसीमन और आरक्षण किया जाता है। नए सिरे से परिसीमन होने से कई वार्ड तितर-बितर हो जाते हैं। ना केवल मतदाता, बल्कि वार्ड पार्षद भी इधर से उधर हो जाते हैं। इससे विवाद की स्थिति निर्मित होती है और मामला अदालत तक पहुंच जाता है। इससे चुनाव में विलंब होता है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। इसलिए सरकार ने नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने से 6 माह पहले परिसीमन कराने की तैयारी की है। इसके लिए प्रस्ताव विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लाया गया था। जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। अब से मध्यप्रदेश में सभी नगरीय निकायों का कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले वार्डों का परिसीमन किया जाएगा। वार्डों के परिसीमन के बाद चुनाव से पहले मतदाता सूची तैयार करने में मदद मिलेगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को ये सुझाव दिया था।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह कहती हैं कि अभी नगरीय निकायों के वार्डों में स्थानों को जोडऩे, हटाने या सुधार करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को सूचना देने की कोई समय सीमा नहीं है। इससे मतदाता सूची तैयार करने तथा निर्वाचन का संचालन करने में दिक्कतें होती हैं। शहरी स्थानीय निकाय हमेशा आयोग से परिसीमन के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग करते रहते हैं। इस कारण कई बार निर्धारित समयावधि में चुनाव नहीं हो पाते। वही इस संशोधन विधेयक के बारे में कार्यकारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन कहते हैं कि कई आदिवासी क्षेत्र में स्थानीय निकायों के छह महीने बाद चुनाव होने जा रहे हैं। वहां इसकी सूचना नहीं है जिससे अद्र्धविकसित कॉलोनियां स्थानीय निकाय में शामिल नहीं हो पाईं है। इस कारण न तो ये मतदान कर पाएंगे और जब उन्हें स्थानीय निकाय में शामिल किया जाएगा तो वे अद्र्धविकसित ही रह जाएंगी। माना जा रहा है कि वार्ड परिसीमन से राजनीति में बहुत कुछ तय होगा। दरअसल, इस वर्ष कई नगरीय निकाय चुनाव होना है। इस मसले में परिसीमन सबसे अहम माना जा रहा हैं। कौन से वार्ड में कौन सा मोहल्ला जुड़ जाएगा और कौन सा हट जाएगा, इस पर सभी की निगाह जमी हुई हैं।
इस संदर्भ में राज्य निर्वाचन आयोग की राय है कि वार्डों को सम्मिलित करने, हटाने या उसमें सुधार करने का कार्य नगरीय निकायों की अवधि के पूर्ण होने के छह माह पूर्व पूरा कर लिया जाये जिससे राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों का समय सीमा में निर्वहन कर सके और न्यायालयीन प्रकरण उत्पन्न ना हो। अतएव, इस स्थिति से निपटने के लिए मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 (क्रमांक 23 सन् 1956) की धारा 10 तथा मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) की धारा 29 में यथोचित संशोधन किये गये हैं। इस विधेयक के लागू होने के बाद अब नगरीय निकायों के चुनाव निर्विवाद हो सकेंगे।
वार्डों का परिसीमन हर चुनाव के दौरान होता है
परिसीमन एक शासकीय प्रक्रिया है। वर्ष 2011 की जनसंख्या में 15 का भाग देने पर जो आंकड़ा आता है उससे 15 प्रतिशत अधिक या कम एक वार्ड में मतदाता हो सकते हैं। इससे ज्यादा या कम का आंकड़ा नहीं चलता हैं। इस कारण हर बार होने वाले चुनावों में वार्डों का परिसीमन अनिवार्यत: किया जाता है। मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1956 (क्रमांक 23 सन 1956) की धारा 10 तथा मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 (क्रमांक 27 सन 1961) की धारा 29 में क्रमश: नगरीय निकायों के वार्डों की संख्या तथा उनकी सीमाओं के निर्धारण का उपबन्ध है। वर्तमान वार्डों को सम्मिलित करने या हटाने या उनमें सुधार करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को सूचना देने की समय सीमा का कोई प्रावधान नहीं है। इससे मतदाता सूची तैयार करने तथा निर्वाचन का संचालन करने में काफी समस्याएं आती है, और शहरी स्थानीय निकाय, राज्य निर्वाचन आयोग से परिसीमन के लिए अतिरिक्त समय दिये जाने के लिए हमेशा मांग करते रहते हैं और कई बार राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित समयावधि में निर्वाचन पूर्ण नहीं करा पाता है। इस कारण इस बार प्रदेश में सरकार ने यह व्यवस्था की है कि चुनाव से छह माह पहले वार्डों का परिसीमन हर हाल में हो जाना चाहिए।
-प्रशासनिक संवाददाता