20-Jan-2017 09:19 AM
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आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा संगठन अभी से सजग हो गया है। इसलिए संघ, संगठन और सरकार ने अपने मंत्रियों पदाधिकारियों, विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। पार्टी ने सबको हिदायत दे दी है कि जो काम नहीं करेगा वे आगे नहीं चलेंगे। यानी अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ मंत्रियों, कई विधायकों को टिकट से वंचित रख सकती है वहीं क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बना सकती है।
अभी हाल ही में सागर में संपन्न प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मंच से काम न करने वालों को भी हिदायत दी गई है। प्रदेश भाजपा द्वारा जो प्रस्ताव बनाया गया है उसमें एक बार फिर कार्यकर्ताओं के आचरण और व्यवहार की बात सामने आई है। मिशन 2018 की रणनीति को लेकर बनाए गए प्रस्ताव में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जिस कार्यकर्ता का आचरण अच्छा है पार्टी उसी को आगे मौका देगी। इसके अलावा प्रस्ताव में भाई-भतीजावाद समाप्त करने पर भी जोर दिया गया है।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री अजय प्रताप सिंह ने प्रदेश भाजपा का राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। हालांकि जितनी बेसब्री से इसका इंतजार था, वैसा कुछ इसमें निकला नहीं। लोग कयास लगा रहे थे कि पार्टी राजनैतिक प्रस्ताव में कोई बड़ा निर्णय लेकर आएगी। लेकिन इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामों पर मुहर ही लगाई है। बैठक में उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर गंभीर आरोप जरूर लगाए गए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष इस समय नोटबंदी एवं सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर जिस तरह क्रियाकलाप कर रहा है, उससे सहसा विश्वास नहीं होता कि वे भारत के लिए राजनीति कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी निष्ठा राष्ट्र के शत्रुओं के साथ है।
कार्यसमिति की बैठक से यह तो साबित हो गया कि भाजपा मिशन-2018 को लेकर पूरी तरह चुनावी मोड में आने की तैयारी कर रही है। लेकिन राजनीतिक प्रस्ताव और आर्थिक प्रस्ताव भी पारित मेें जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यशोगान किया गया, उससे साफ है कि आगामी चुनाव भी भाजपा शिवराज के भरोसे ही लड़ेगी। भाजपा पिछले 13 साल से राज्य की सत्ता में है और कांग्रेस इस दौरान उसके सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं पेश कर सकी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेस को मिशन 2018 के लिए कोई बड़ी चुनौती मानकर नहीं चल रहे हैं। फिर भी भाजपा विरोधी दल को कमजोर नहीं मानती है। ऐसे में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को टक्कर देना और चौथी बार सरकार बनाने के लिए राजनेता से जननेता बने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियों का बखान किया गया।
इस बैठक में भी मंत्री रडार पर रहे। पार्टी के पदाधिकारियों ने मंत्रियों को कई तरह के पाठ पढ़ाए। साथ ही उन्हें हिदायत भी दी गई। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने मंत्रियों को अपनी कार्यशैली बदलने का सुझाव दिया। वहीं यह बैठक उन मंत्रियों, विधायकों, पदाधिकारियों आदि के लिए शुभ नहीं रही, जिनके वारिश अगली बार टिकट की आस लगाए हैं। क्योंकि पार्टी ने इस बैठक में सबको भाई भतीजावाद से मुुक्त होने की न केवल सलाह दी बल्कि प्रस्ताव भी पारित किया गया। प्रदेश कार्यसमिति में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में नोटबंदी से परहेज बरतते हुए विमुद्रीकरण और मुद्रा विहीन विनिमय को कठोर और निर्णायक कदम बताया है। बावजूद इसके जिम्मेदार नेताओं के बयान के साथ सामने आई सोच कुछ सवाल जरूर खड़े करती है चाहे फिर वह नोटबंदी पर चुप्पी हो या फिर भाई-भतीजावाद की आड़ में नरेंद्र
मोदी की गाइडलाइन के तहत पार्टी में टिकट के दावेदारों पर वंशबंदी की लाइन पर पूर्ण
विराम लगाने की कोशिशें खूब की गईं
लेकिन फिर भी सवाल खड़े हुए हैं। सवाल तो बैठक के बाहर कटनी घोटाले को लेकर भी
खूब किए गए लेकिन पार्टी में मोदी की
वंशबंदी को लेकर साफ सोच के अभाव में मतभेद नजर आए।
मैदानी कार्यकर्ताओं से लिया जा रहा फीडबैक
प्रदेश में दो साल बाद होने वाले चुनाव पर मिशन 2018 के लिए संघ और भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। तीन बार से सत्ता में होने से एंटी इंकम्बेंसी बढ़ी है। साथ ही ब्यूरोक्रेसी की कार्यप्रणाली से न तो संगठन और न ही संघ खुश है। इसलिए अब संगठन और संघ मैदान कार्यकर्ताओं से सरकार को लेकर फीडबैक ले रहा है। इस फीडबैक की समीक्षा करने के लिए फरवरी में संघ की बैठक आयोजित की गई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत व सीएम की उपस्थिति में चिंतन बैठक फरवरी के पहले सप्ताह में 7 से 10 तारीख को होगी। बैठक में चुनाव पर मंथन होगा। वनखेड़ी के पलिया पिपलिया में भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास संस्थान में होने वाली बैठक में संघ के प्रमुख पदाधिकारी, प्रचारकों के साथ पार्टी पदाधिकारी शामिल होंगे। चुनाव के लिए भेजे जाने वाले पूर्णकालिक रहेंगे।
-श्याम सिंह सिकरवार