8 साल के अनाचार की खुली पोल
20-Jan-2017 10:16 AM 1234763
करीब आठ साल तक भ्रष्टाचार, अनाचार, छात्रों के शोषण स्थल, विवाद, कलह, आर्थिक अनियमितता, शिक्षा क्षेत्र में पक्षपात, भाई-भतीजावाद का अड्डा रहे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को इस दुर्दशा से मुक्ति मिलने की आस जगी है। यह आस जगी है राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार आईएएस अधिकारी तकनीकी शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव को मिलने से। श्रीवास्तव के प्रभार संभालते ही विश्वविद्यालय केविभिन्न विभागों में अधिकारी टेंशन में हैं। इस टेंशन को कुलपति की छापामार कार्रवाई ने और बढ़ा दिया है। दरअसल, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव ने बतौर कुलपति यूनिवर्सिटी का निरीक्षण किया तो अव्यवस्था ही अव्यवस्था नजर आई। बाहरी व्यक्ति की तरह विश्वविद्यालय परिसर पहुंचकर कुलपति सबसे पहले स्टूडेंट से मिली और फीडबैक लिया। कोई छात्र उन्हें पहचानता नहीं था और उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि कल्पना उनके सामने थी। इसलिए छात्रों ने उन्हें हकीकत से रूबरू कराया। फिर उन्होंने कक्षों का निरीक्षण किया जहां प्राध्यापक गायब थे।  विद्यार्थियों ने बताया कि अधिकतर कक्षाएं संविदा शिक्षक लेते हैं। निरीक्षण में डायरेक्टर डॉ. संजय सिलाकारी समेत एचओडी और फेकल्टी मेंबर गायब मिले। करीब दो घंटे कुलपति श्रीवास्तव द्वारा किए इस औचक निरीक्षण में बड़े पैमाने पर अव्यवस्थाएं सामने आई। कंप्यूटर साइंस की प्रेक्टिकल परीक्षाएं थीं। लेकिन लैब चालू नहीं थीं। परीक्षाएं चल रही थीं, लेकिन कंट्रोलर एग्जाम सीमा सक्सेना और डिप्टी कंट्रोलर उदय चौरसिया गायब थे। परीक्षार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। अव्यवस्थाओं की पोल खुलते ही मैडम थोड़ा भावुक हुईं जैसे लगा यहां पढऩे वाला हर बच्चा उनके बच्चे जैसा है और इस तरह की असुविधाएं उन्हें झेलनी पड़ रही है। कुलपति श्रीवास्तव ने बॉयज हॉस्टल पहुंचकर विद्यार्थियों से भी फीडबैक लिया। यहां टूटे कांच मिले और बल्ब भी नहीं था। वाटर कूलर सही नहीं था। वहीं गंदगी भी चारों ओर पसरी थी। इस बात को लेकर उन्होंने संबंधितों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। वहीं एक छात्र को भी इस काम को कराने की जिम्मेदारी और स्वच्छ वातावरण बनाने की जिम्मेदारी दी। इस दौरान यहां पर पौधरोपण भी किया गया। वहीं लाइब्रेरी में भी अव्यवस्थाएं पाई गईं। यहां बाहर खाली पड़े रैक और किताबें बंद कमरे में मिली। कमरा खुलवाकर देखा तो किताबें जमीन पर पड़ी थीं। मशीन भी खराब मिलीं। इस बात को लेकर श्रीवास्तव ने लाइब्रेरियन डॉ. एसएस चौकसे को फटकार लगाई और निर्देश दिए कि किताबें बाहर रैक में होनी चाहिए। निरीक्षण के दौरान मिली तमाम तरह की अव्यवस्थाओं पर कुलपति ने रोष व्यक्त किया साथ ही अव्यवस्थाओं के लिए विभागाध्यक्षों सहित अन्य को नोटिस थमा दिया। कुलपति के दौरे के दौरान ईसी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ.आरके चिढ़ार सहित डॉ. विनिता सक्सेना, डॉ. अनुभूति खरे भी गायब मिलीं। वहीं मैथ्स डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. विजय गुप्ता गायब मिले। केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. मंजू सिंह गायब थीं। ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के प्रमुख डॉ. अनिल कोठारी नहीं मिले। कुलपति ने औचक निरीक्षण में गायब मिले इन सबको नोटिस जारी कर चेतावनी जारी की गई है कि समय पर विवि पहुंचे और नियमित रूप से कक्षाएं लें। वहीं विद्यार्थी अपनी समस्याएं सीधे कुलपति तक पहुंचा सकें इसलिए 15 से 20 स्टूडेंट का वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। आईएएस कुलपति ने यह तो दर्शा दिया कि अगर ठान लिया जाए तो विश्वविद्यालय को विश्व स्तरीय बनाया जा सकता है। उधर सरकार को भी समझ में आ गया है कि अगर अच्छे हाथ में विश्वविद्यालय की कमान रहे तो विश्वविद्यालय अपना गौरव हासिल कर सकता है। नया हॉस्टल बनकर तैयार, पुराने में छात्रों को देखकर हैरान विश्वविद्यालय कैम्पस में छात्रों के लिए नया हॉस्टल बनाया गया है। लेकिन उसके बाद भी पुराने हॉस्टल में ही छात्र रहने को मजबूर हैं। यह दृश्य देखकर कुलपति हैरान हुईं। उन्होंने जब विश्वविद्यालय के जिम का निरीक्षण किया तो वहां ट्रेडमिल टूटी मिली और साइकिल खराब थी। यह स्थिति देखकर कुलपति को समझ में आ गया कि विश्वविद्यालय को नए सिरे से व्यवस्थित करने की जरूरत है। उनके इस रुख को देखकर ये बात तो तय हो गई है कि विश्वविद्यालय में रुके हुए कार्य अब फटाफट होंगे। वहीं वर्तमान रजिस्ट्रार सहित अन्य अधिकारियों की कई मामलों में शिकायतें हैं, जिनकी अब खैर नहीं है। कई फाइलों पर रजिस्ट्रार सुरेश कुमार जैन आपत्ति लगाकर जबरिया रोकते थे, अब पीएस श्रीवास्तव के अतिरिक्त प्रभार होने से फाइलों पर निराकरण जल्द होगा। दरअसल पीएस श्रीवास्तव ने विभाग की कई समस्याओं को फटाफटा निपटाया है, जिसके कारण राजभवन ने उन्हें ये दायित्व सौंपा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी को लगातार आरजीपीवी की प्रशासनिक और परीक्षाओं की अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। इसे लेकर मंत्री जोशी  और मुख्यमंत्री चौहान ने पीएस श्रीवास्तव पर सहमति जताई। -भोपाल से राजेश बोरकर
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