03-Jan-2017 07:40 AM
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अब तक 3,10,000 से ज्यादा लोगों की मौत और लाखों लोगों के पलायन के बाद सीरिया में अच्छे दिन की आहट हो रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि सीरियाई सरकार और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी है और दोनों पक्ष शांति वार्ता के लिए राजी हो गए हैं। ये संघर्ष विराम लागू हो गया है। लेकिन यह कब तक रहेगा इसको लेकर अभी असमंजस है। क्योंकि इस संघर्ष विराम को अमेरिका के साथ ही तुर्की और अन्य कई देश रूस की विफलता मान रहे हैं। जबकि रूस इसे अपनी कामयाबी मान रहा है।
दरअसल रूस का सीरिया के साथ सोवियत संघ के जमाने से रणनीतिक रिश्ता रहा है। लंबे समय से सीरिया के तट पर रूस का एक छोटा सा नौसैनिक अड्डा रहा है और सीरिया की फौज के साथ रूस का मजबूत संबंध रहा है। रूस सीरिया की फौज को हथियार मुहैया कराने वाला मुख्य आपूर्तिकर्ता देश है। सीरिया रूस के लिए मध्य पूर्व के इलाके में अपना प्रभाव जमाए रखने का आखिरी जरिया है। इस रिश्ते ने व्लादिमीर पुतिन को सीरिया में कार्रवाई करने के लिए उकसाया। सीरिया एक तरह से रूसी फौज की क्षमताओं की नुमाइश करने की जगह बन कर रह गई है। अमरीका न केवल कूटनीतिक रूप से समान स्तर पर रूस से समझौता करने पर मजबूर हुआ बल्कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को लेकर भी उसे रुख बदलना पड़ा। अमरीका लंबे समय तक अड़ा था कि असद को राष्ट्रपति पद छोडऩा होगा। अमरीका ने शर्त रखी थी कि किसी भी बातचीत से पहले असद को सत्ता छोडऩी होगी। सीरिया में रूसी हस्तक्षेप के कारण अमरीका से शत्रुता बढ़ी है। लेकिन युद्व विराम के बाद स्थिति बदलने के संकेत हैं।
उल्लेखनीय है कि सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में राष्ट्रपति बशर अल-असद ने बड़ी जीत हासिल की है। सरकार की सेना ने अलेप्पो पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है। यह साल 2011 से शुरू हुए गृहयुद्ध में सरकारी पक्ष की सबसे बड़ी जीत है। इसके साथ ही पिछले एक महीने से पूर्वी अलेप्पो में चल रहे खूनी संघर्ष के अंत की उम्मीद है। शहर को विद्रोहियों से पूरी तरह खाली कराए जाने के बाद सीरियाई सेना ने अलेप्पो पर नियंत्रण की घोषणा की। इससे पहले रेड क्रॉस ने शहर से चार हजार से ज्यादा विद्रोहियों को खदेडऩे की बात कही थी। इसके साथ ही सीरियाई सरकार का देश के पांच सबसे बड़े शहरों अलेप्पो, होम्स, हमा, दमिश्क और लताकिया पर नियंत्रण हो गया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि सीरियाई शासन के बलों द्वारा अलेप्पो शहर को फिर से नियंत्रण में लेना युद्धग्रस्त देश में स्थिरता लाने की दिशा में बहुत अहम कदम है। पुतिन ने रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगू से कहा कि कट्टरपंथी तत्वों से अलेप्पो को मुक्ति मिलना सीरिया में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में बहुत अहम हिस्सा है और मुझे उम्मीद है कि यह संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी अहम है। सीरियाई सेना ने 2011 में गृह युद्ध शुरू होने के बाद से विद्रोहियों के खिलाफ अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। अलेप्पो से विद्रोहियों को खदेडऩे के बाद मॉस्को अब समूचे देश से लड़ाई को खत्म करने की दिशा में देखेगा। पुतिन ने कहा कि समूचे सीरियाई क्षेत्र में लड़ाई को रोकने के लिए जो भी जरूरी होगा वो किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो हम इस दिशा में कोशिश करते रहेंगे। रूसी विशेषज्ञों के अनुसार, रूस, ईरान और तुर्की तीनों देश सीरिया में जारी गृहयुद्ध से बुरी तरह थक चुके हैं। अब ये तीनों देश मिलकर सीरिया की दिक्कतों को सुलझाएंगे। ये देश अब इस बात का इन्तजार नहीं करेंगे कि पश्चिमी देश और पश्चिम एशिया के दूसरे देश पहले आपस में अपने सवालों को सुलझा लें।
अमेरिका-रूस में मूंछ की लड़ाई!
सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका को बिना किसी युद्ध के यकायक विश्व के एकमेव सुपरपावर होने का दर्जा प्राप्त हो गया था। किंतु सीरिया के गृह युद्ध में दखल देकर रूस ने अमेरिका को इस बात का अहसास करा दिया कि वह अभी भी कमजोर नहीं है। इसलिए सीरिया युद्ध अमेरिका रूस के लिए मूंछ की लड़ाई बन गया है। अमेरिका नहीं चाहता है कि इस युद्ध में रूस को सफलता मिले। विशेषज्ञों को विश्वास हो चला है कि अमेरिका अपनी इस अनुकूल स्थिति का न तो स्वयं कोई लाभ ले पाया और न ही विश्व की व्यवस्था या अनुशासन में कोई प्रभाव डाल पाया। पिछले दो दशक की बात करें तो अमेरिका के सारे कूटनीतिक दांव असफल रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ तो दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर ला खड़ा करने के लिए अमेरिका को दोषी मान रहे हैं। शीतयुद्ध काल में विरोधी राष्ट्र के विरुद्ध छद्म युद्ध एक बहुत ही प्रभावी हथियार माना जाता था जिसमें मात्र धन ही खर्च होता था।
-इंद्रकुमार