03-Jan-2017 07:35 AM
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भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयीं हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी बिसात बिछाने लगे हैं। भाजपा की चुनावी मशीन यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अटेर में अपना मायाजाल फैलाना शुरू कर दिया है। इससे कांग्रेस में खलबली मची हुई है। उधर गत दिनों क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने माहौल को और गर्मा दिया है। दूसरी तरफ सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
अटेर विधानसभा का उपचुनाव संभवत: अगले साल फरवरी में होगा। लेकिन क्षेत्र में नेताओं की धमक ने अभी से चुनावी माहौल बना दिया है। स्व. सत्यदेव कटारे के सुपुत्र हेमंत कटारे जनाधार बनाने में लगे हैं तो भाजपा के नेता भी गोटियां बिठाने में जुट गए हैं। एक ओर जहां हेमंत कटारे अपने समर्थकों के साथ क्षेत्र का सघन दौरा कर रहे हैं वहीं सत्ताधारी भाजपा नेता सत्ता का उपयोग करने के लिए प्रशासनिक सर्जरी में लगे हैं। भाजपा का मकसद किसी भी सूरत में चुनाव जीतना है क्योंकि यहां पर भाजपा के तेजतर्रार नेता अरविन्द सिंह भदौरिया की साख दांव पर है। अधिकांश उपचुनावों में जनमत उसी परिवार की ओर रहता है जिसके नेता के गुजरने पर उपचुनाव हो रहे हों, ऐसे में यह उपचुनाव जीतना भाजपा के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
प्रदेश में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दो ही पार्टियां प्रमुख रहतीं हैं बसपा और सपा जैसी पार्टियां इन दोनों का केवल जीत का गणित बनाने बिगाडऩे का काम करतीं हैं। ऐसे में इन दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए अपने प्रत्याशियों का चुनाव करना सबसे बड़ी सरदर्दी है। हालांकि कांग्रेस के लिए प्रत्याशी का चुनाव ज्यादा मुश्किल नहीं है क्योंकि वह तो स्व. सत्यदेव कटारे के वोट बैंक और उनके असामयिक निधन पर लोगों की सहानुभूति का फायदा लेना चाहेगी और सूत्रों की मानें तो स्व. सत्यदेव की पत्नी या उनके पुत्र हेमंत में से किसी एक को टिकट देगी। हालांकि स्व. सत्यदेव के अलावा कटारे परिवार का कोई व्यक्ति राजनीति में या क्षेत्र में पहले से कुछ खास सक्रिय नहीं रहा। लेकिन विगत वर्ष से अपने खराब स्वास्थ्य को देखते हुए स्व. कटारे ने अपने पुत्र हेमंत को क्षेत्र में सक्रिय किया और अपने खास लोगों के बीच पहुंचाया। स्व. सत्यदेव के निधन के बाद भी हेमंत क्षेत्र में खासे सक्रिय हो रहे हैं इसके चलते अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से हेमंत पर ही जीत का दांव लगाया जायेगा। प्रत्याशी के चयन को लेकर सबसे बड़ी उलझन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की है। कांग्रेस के पास सहानुभूति वोट होंगे जिसके चलते भाजपा को जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। और इसके लिए सुयोग्य उम्मीदवार का चयन भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर होगा।
सत्ताधारी पार्टी के पास इस समय दो मुख्य नेता हैं जिन पर वो दांव लगाना चाहेगी, एक तो पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया और दूसरे पिछले चुनाव में स्व. कटारे से लगभग 11 हजार वोटों से हारने वाले पूर्व विधायक अरविन्द सिंह भदौरिया। इसके अलावा भी कुछ प्रतिष्ठित चेहरों पर मंथन चल रहा है जिसमें पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह का भी नाम शामिल है। अटेर क्षेत्र के ब्राह्मण बाहुल्य होने से राकेश चौधरी को भी टिकट का एक प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। हालांकि क्षेत्र में जातिवादी समीकरण भी हावी रहते हैं ऐसे में दोनों प्रमुख पार्टियों से ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट मिलना मुश्किल रहता है। चौधरी बेशक कुछ समय पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये हों लेकिन स्व. कटारे से उनका विरोधाभास काफी पुराना रहा है। हालांकि टिकट मुन्ना सिंह या अरविन्द सिंह में से किसी एक को दिए जाने की सम्भावना ज्यादा बन रही है। दोनों संभावित नेता जमीनी स्तर पर तैयारियों में लगे हुए हैं। सम्भावना अरविन्द सिंह की ज्यादा है इसके चलते वह भी भोपाल छोड़कर अटेर में डेरा जमाये हुए हैं। हालांकि अरविन्द एक तेज तर्रार और चुनाव मैनेजमेंट में माहिर नेता हैं, लेकिन अपने ही क्षेत्र में उनका मैनेजमेंट उतना कारगर साबित नहीं हो पाता जितना अन्य जगह।
हेमंत और अरविंद हो सकते हैं आमने-सामने
एक माह बाद होने वाले शहडोल विधानसभा उपचुनाव होते ही अटेर विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएगी। यहां भी पांच माह में उपचुनाव होना तय है। कांग्रेस हेमंत को इस सीट से लड़ाएगी। जबकि भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में महामंत्री और पूर्व विधायक अरविंद भदौरिया को टिकट दे सकती है। इस उपचुनाव को जीतना भाजपा के और खुद अरविन्द सिंह के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। इसलिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्रीगण भी क्षेत्र के दौरे पर आने लगे हैं। हाल ही में प्रभारी मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने क्षेत्र का दौरा किया और कई विकास कार्यों की आधारशिला भी रखी। उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी क्षेत्र में जल्द ही सक्रिय नजर आएंगे। मुख्यमंत्री की क्षेत्र में सक्रियता बढऩे से कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजनी तय है।
-सुनील सिंह