झाडू अब मध्यप्रदेश में ...!
03-Jan-2017 07:34 AM 1234800
पंजाब, गुजरात और गोवा के बाद अब अरविंद केजरीवाल ने मध्यप्रदेश में पांव पसारना शुरू कर दिया है। भोपाल में अरविंद केजरीवाल की रैली के साथ एंट्री का मतलब क्या मध्यप्रदेश की सियासत में  शक्ति के उदय का एक नया संकेत समझा जा सकता है? लगातार कमजोर साबित हो रही कांग्रेस के लिए क्या यह खतरे की घंटी मानी जाए, वह भी तब जब उसकी विपक्ष की भूमिका का विकल्प नहीं बन पाई बसपा, सपा की असफलता सामने है। ऐसे मे भाजपा के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी और कुनबे में मची कलह से कांग्रेस चाह कर भी बाहर नहीं निकल पर रही तब आम आदमी पार्टी जनाधार बढ़ाने की संभावनाएं तलाशे तो सवाल खड़ा होना लाजमी कि क्या दिल्ली से बाहर पंजाब में बढ़ती सक्रियता के बाद गुजरात पर पैनी नजर रखने वाली आपÓ मध्यप्रदेश में  भाजपा को सीधी चुनौती देने की रणनीति पर क्या आगे बढ़ सकती? दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के साथ सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेकर रोजमर्रा की राजनीति में मीडिया की सुर्खियां बनने वाले अरविंद केजरीवाल ने जब से पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ाई और गुजरात में दखलअंदाजी बढ़ाते हुए अब नोटबंदी के मुद्दे पर देश में 80 सभाओं का एलान किया है। इसी कड़ी में 20 दिसंबर को उन्होंने भोपाल में सभा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तंज कसे। इस रेली से पहले केजरीवाल ने मप्र सरकार के भ्रष्टाचार के बड़े खुलासे का दावा किया था, लेकिन रेली में वह टांय-टांय फिस्स हो गया। फिर भी उन्होंने भाजपा और कांग्रेस को यह संदेश दे दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे चुनाव गणित जरूर बिगाड़ेंगे। प्रदेश मेें आम विधानसभा चुनाव में भले ही दो साल का समय हो, लेकिन केजरीवाल की सभा के बाद सत्तारुढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कर्ताधर्ताओं में बैचेनी बढ़ गई है। बैचेनी का आलम यह है कि इन दोनों ही दलों द्वारा इस रैली के आयोजन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी की खुफिया रिपोर्ट तैयार कराई गई है। सूत्रों की माने तो रिपोर्ट की दोनों ही दलों द्वारा अपने स्तर पर समीक्षा कराई जाएगी। प्रदेश में दो दशक से अधिक समय से सत्ता में मौजूद भाजपा और कांग्रेस भले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की इस रैली को सार्वजनिक रूप से महत्व नहीं दे रहे हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। जानकारों की मानें तो दोनों दलों ने इस रेली की तैयारियों से लेकर आमसभा तक गोपनीय तौर पर अपनी पैनी निगाहें बनाई रखी है और दोनों दलों द्वारा अपने-अपने स्तर पर खुफिया रिपोर्ट भी तैयार कराई गई है, जिसमें वास्तविक भीड़ कितनी रही? रैली में शामिल हुए लोग स्वयं भोपाल पहुंचे या उन्हें कोई लालच देकर लाया गया? रैली में पार्टी के किन लोगों द्वारा परदे के पीछे से मदद की गई। इन सभी बिंदुओं पर पैनी नजर रखी गई है। उधर कांग्रेस भी केजरीवाल की परिवर्तन रैली की समीक्षा कर रही है। हालांकि कांग्रेस और भाजपा के नेता केजरीवाल की रैली को लेकर ज्यादा महत्व नहीं देना चाहते। भाजपा का कहना है कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी आप ने मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ा था लेकिन उनके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी जबकि कांगे्रस का कहना है कि आप से उसे नहीं अलबत्ता भ्रष्टाचारी सरकार चलाने वाली भाजपा को विचलित होना चाहिए क्योंकि आम आदमी पार्टी और कांगे्रस का एक ही लक्ष्य है कि कैसे प्रदेश से भाजपा सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। इधर परिवर्तन रैली को सफल मानने वाली आप दावा करने लगी है कि वर्ष 2018 में आप ही प्रदेश की सत्ता व्यवस्था में परिवर्तन करेगी। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि उनकी पार्टी आप को गंभीरता से नहीं लेती। वर्ष 2018 में चुनाव लडऩा उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन उसकी स्थिति वर्ष 2013 से भी बदतर होने वाली है, क्योंकि वर्ष 2013 में अरविंद केजरीवाल की शख्सियत बंद मुठ्ठी में थी, लेकिन अब वे एक्सपोज हो चुके हैं। परिवर्तन रैली की आड़ में भीड़ केजरीवाल के उस एनजीओ का हिस्सा थी जो विदेशों के फंड से संचालित है। इसलिए मैं कहता हूं कि आप को भाजपा गंभीरता से नहीं लेती है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि आप की परिवर्तन रैली से कांग्रेस को नहीं अलबत्ता भ्रष्टों के समूह वाली सत्ताधारी दल भाजपा को चिंता होनी चाहिए क्योंकि आप और कांग्रेस दोनों का लक्ष्य भाजपा की सरकार को सत्ता से बेदखल करना है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल का मध्यप्रदेश में प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है, जिससे कांग्रेस के विचलित होने का सवाल ही नहीं है। उधर आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल का कहना है कि उनका दल पूरे मध्यप्रदेश में बूथ स्तर पर संगठनात्मक ढांचे के रूप में सक्रिय है। उसे किसी एनजीओ से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि वे और उनके कार्यकर्ता अपना पूरा समय पार्टी के लिए दे रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता परिवर्तन रैली से उत्साहित है और अगले विधानसभा चुनाव में पूरी ऊर्जा के साथ चुनावी मैदान में उतरकर प्रदेश की सत्ता व्यवस्था को परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाएंगे। मप्र की राजनीति में आप का उदय निश्चित रूप से भाजपा और कांग्रेस के लिए ङ्क्षचतन का विषय है। वैसे इतिहास गवाह मध्यप्रदेश में सत्ता की राजनीति का धु्रवीकरण कांग्रेस और भाजपा के इर्द-गिर्द ही सीमित रहा है। उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में यदि सपा और बसपा ने गिनी चुनी सीट  जीतकर  दो प्रमुख दलों की परेशानी बढ़ाई है तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी कुछ गिनी-चुनी सीट पर सभीकरण गड़बड़ाती रही है। भारतीय जनशक्ति पार्टी ने भी  भाजपा को निशाने पर लेकर चुनाव लड़ा था लेकिन  बात आई गई हो गई। ऐसे में जेडीयू या राष्ट्रवादी कांग्रेस और दूसरे क्षेत्रीय दलों के बेअसर साबित होने के बाद आम आदमी पार्टी कांग्रेस और भाजपा की कमजोरियों को भुनाकर मध्यप्रदेश में अपनी संभावनाएं तलाशे तो कोई बड़ी बात नहीं। यह सच सत्ता की हैट्रिक बना चुकी भाजपा के खिलाफ न सिर्फ मुद्दों की भरमार है बल्कि विधायक और सांसद के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है लेकिन विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस इसे नहीं भुना पाई। ऐसे में आम आदमी पार्टी जो भाजपा से ज्यादा मोदी सरकार के खिलाफ मुखर है क्या वह मध्यप्रदेश में शिवराज के खिलाफ सीधे मोर्चा खोलकर जनता की नब्ज पर हाथ रख सकती है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। जिसका सभी को इंतजार रहेगा। केजरीवाल सरकार के कारण रो रही दिल्ली की जनता मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी की बढ़ती सक्रियता से किसी निर्णायक सियासी असर की संभावना को खारिज करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप सरकार के खराब प्रदर्शन के कारण वहां की जनता रो रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनावों में आप का जीतना एक दुर्घटना थी। लेकिन केजरीवाल सरकार के कारण आज दिल्ली की जनता रो रही है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के खराब प्रदर्शन को पूरा देश देख रहा है। मध्यप्रदेश की राजनीति मेें तीसरे धु्रवÓ के प्रभावी ढंग से उभरने की कोई गुंजाइश नहीं है।   चौहान का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2014 के पिछले लोकसभा चुनावों में आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल को खंडवा सीट पर बुरी तरह हराया था।   उन्होंने आम आदमी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।ÓÓ  प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, हम अच्छे प्रदर्शन वाले भाजपा विधायकों को अगले विधानसभा चुनावों में फिर टिकट देेंगे, जबकि खराब प्रदर्शन वाले पार्टी विधायकों के टिकट काट दिये जायेंगे।ÓÓ -भोपाल से अजयधीर
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