03-Jan-2017 07:32 AM
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राजस्थान की सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा संगठन में पटरी नहीं बैठ रही है। असंतुष्ट नेता इसके लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जिम्मेदार मान रहे हैं। मुख्यमंत्री को जवाब देने के लिए संघ और प्रदेश भाजपा नेतृत्व से अंसतुष्ट नेता अब एकजुट होने लगे है। इसी के तहत असंतुष्ट नेता घनश्याम तिवाड़ी ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं। दो तरफ से हो रही घेराबंदी में वसुंधरा फंस गई हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खिलाफत के लिए जाने जाने वाले बड़े नेताओं ने राजस्थान में राजनीतिक त्रिकोण बनाने के संकेत दे दिए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता विधायक घनश्याम तिवाड़ी और मीणा समाज से बड़े नेता राजपा प्रमुख किरोड़ी लाल मीणा साथ खड़े हो गए हैं। पहले भाजपा में रहे मीणा ने कहा कि वे तिवाड़ी के हर मुद्दे पर उनके साथ हैं। इधर, भाजपा से निकाले गए निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल भी उनके साथ मिल सकते हैं।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अभी दो साल है लेकिन राजनीतिक गतिविधियां अभी से तेज हो गयी हैं। बीते साल कांग्रेस ने आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए डिनर डिप्लोमेसी (रात्रिकालीन भोज) का सहारा लिया वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने लाल बती बांटने (राजनीतिक नियुक्तियां) देने का सिलसिला तेज कर कार्यकर्ताओं को रिझाना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस से नाता तोड़ कर भाजपा में गए पूर्व सांसद डॉ हरि सिंह कांग्रेस में इस साल लौट आए। उनकी वापसी पर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने खुल कर विरोध जताया। बड़े अरमान लेकर भाजपा में गए डॉ. सिंह खाली हाथ ही रहे। भाजपा में तीन साल से संगठन और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नीतियों का विधानसभा में और बाहर खुलकर कथित विरोध करने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी दीनदयाल वाहिनी के अध्यक्ष बनाए गए। भाजपा से ही नाराज होकर नयी पार्टी बनाकर सरकार और कांग्रेस पर सात साल से हल्ला बोल रहे वरिष्ठ विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी सक्रिय हो गये हैं। संभावनाएं देखते हुए आम आदमी पार्टी ने भी सक्रियता बढा दी है लेकिन वाम दल फिलहाल बयानों तक ही सीमित हैं। सत्ताधारी भाजपा ने पौने तीन साल तक राजनीतिक नियुक्तियां देने के लिए गहन विचार मंथन के बाद पिटारा खोलना आरंभ कर दिया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में मंत्रिमंडल में फेरबदल कर छह मंत्रियों को शपथ दिलायी और पांच संसदीय सचिवों की नियुक्ति की। शपथ लेने वाले छह मंत्रियों में से दो को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री तथा चार नए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मुख्यमंत्री ने खराब प्रदर्शन के चलते दो मंत्रियों को बाहर भी किया। पूर्व नेताओं को भी मंडल और आयोग का अध्यक्ष और सदस्य बनाकर उपकृत किया गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार के अगले दिन ही नगर निगम के महापौर निर्मल नाहटा ने इस्तीफा दे दिया और तेजतर्रार लेकिन मिलनसार भाजपा पाषर्द अशोक लाहोटी महापौर बनाए गए। इस कवायद में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी की अहम भूमिका बताई जाती है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और परनामी आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तेजी से संगठनात्मक निर्णय ले रहे हैं। राजे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनाव के लिए कमर कसने का आहवान करने के साथ ही तेजी से घोषणाओं पर अमल करने और लोगों की समस्याओं का त्वरित गति से समाधान करने के निर्देश मंत्रियों और अधिकारियों को दिये हैं। स्वयं राजे भामाशाह योजना, अन्नपूर्णा रसोई सहित केन्द्र एवं राज्य की अन्य योजनाओं के सहारे विधानसभा चुनाव तक भाजपा लहर बनाने के लिए सघन दौरे कर रही हैं। उधर कांग्रेस भी चुनावी रंग में रंगती नजर आ रही है।
सरकार के खिलाफ रथयात्रा निकालेंगे तिवाड़ी
तिवाड़ी ने राजस्थान में रथयात्रा निकालने की घोषणा की है। वे दीनदयाल वाहिनी में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम करेंगे और इसे राजनीतिक शाखा के तौर पर स्थापित करेंगे। तिवाड़ी ने अपने पुत्र के साथ मिलकर दीनदयाल वाहिनी का गठन किया था। उन्होंने सरकार के तीन साल पर तंज कसते हुए कहा कि राजस्थान में कही भी सरकार नहीं दिख रही है। इस अवसर पर मीणा भी उनके साथ शामिल हुए और कहा कि हम साथ-साथ हैं। राजे के पिछले और वर्तमान कार्यकाल में घनश्याम तिवाड़ी से लगातार अनबन रही है। इसके चलते वरिष्ठ नेता होने के बावजूद राजे ने उन्हें शुरू से ही मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया। मीणा और बेनीवाल भी राजे पर भ्रष्टाचार के व्यक्तिगत आरोप लगाते रहे हैं।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी