03-Jan-2017 07:08 AM
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मप्र को इस बात का गुमान है कि उसके पास सबसे अधिक वनक्षेत्र है। लेकिन व न विभाग की निष्क्रियता के कारण वन भूमि पर निरंतर अतिक्रमण हो रहा है जिससे वन क्षेत्र कम हो रहा है। आलम यह है कि वनभूमि पर अवैध रूप से कब्जा होने के मामले में मध्यप्रदेश की हालत देश में सबसे खराब है। वर्तमान में सर्वाधिक कब्जा मध्यप्रदेश में पाया गया है। यहां अवैध कब्जे वाली जमीन 5 लाख 34 हजार 777 हेक्टेयर है। यह खुलासा हुआ है पर्यावरण वन मंत्रालय की रिपोर्ट से।
खास बात यह है कि वर्ष 2014 में वन विभाग ने जितनी जमीन पर अतिक्रमण बताया गया था, उसमें अब भी कोई कमी नहीं आई। इधर भोपाल जिले की समरधा रेंज में मुंगालिया कोर्ट गांव में राजस्व का पट्टा लेकर 50 हेक्टेयर वनभूमि पर कब्जा कर लिया गया है। इसके बाद भी प्रशासन और वन अधिकारी मौन साधे हुए हैं। वन भूमि पर इतने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण को लेकर वर्ष 2014 में आई रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मई 2014 को विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। इसमें कई निर्देश दिए थे, लेकिन उनका शत-प्रतिशत पालन विभाग ने नहीं किया। इसमें मुख्य रूप से विभागीय मंत्री द्वारा हेलीकॉप्टर से दौरा करने को कहा गया था, जो नहीं हुआ। इसके अलावा जो पत्र सभी मुख्य वन संरक्षकों को लिखा गया था, उसमें वर्ष 2005 के बाद से हुए वन भूमि में हुए अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई तत्काल शुरू करने की बात भी कही थी। उसके बावजूद अतिक्रमण बढ़ता ही गया।
अवैध कटाई के दो लाख मामले
इधर मप्र वन विभाग के अनुसार पिछले पांच सालों में अवैध वन कटाई के मामले दो लाख 65 हजार 945 तक पहुंच गए हैं। अवैध परिवहन की संख्या भी 10 हजार 708 हो गई। पिछले पांच सालों में फॉरेस्ट की 16 हजार 48 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किया गया। प्रदेश की वन भूमि पर पिछले बारह साल में अतिक्रमण की संख्या में पांच गुना वृद्धि हुई है। चौंकाने वाले इस प्रकरण में सबसे रोचक मामला पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में देखने को मिला है। यहां वर्ष 2002 में 16.70 हेक्टेयर में अतिक्रमण था। अब यह आंकड़ा बढ़कर 16 हजार 68 हेक्टेयर हो गया है। यानी बारह साल में अतिक्रमण की संख्या में एक हजार गुना की वृद्धि हुई है। वन भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण खंडवा, शिवपुरी और भोपाल में हुए हैं। वन विभाग का कहना है कि इसकी एक प्रमुख वजह वन अधिकार अधिनियम 2006 की आड़ में नए अतिक्रमण तैयार होना है। विभाग की एक गोपनीय रिपोर्ट में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की वन भूमि 31 दिसम्बर 2002 की स्थिति में एक लाख 38 हजार 31 हेक्टेयर में अतिक्रमण था। वर्ष 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 5 लाख 34 हजार 717 हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल वन अपराध के 60611 प्रकरण दर्ज हुए थे। इसमें 2.1 प्रतिशत अतिक्रमण के हैं। दरअसल वनभूमि पर हो रहे अतिक्रमण की लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं। लेकिन दोषियों पर कार्यवाही नहीं हो रही है। एक शिकायत कर्ता रंजीत सिंह ने बताया कि जो भी अधिकारी मौके पर जाकर जांच रिपोर्ट तैयार करता है वह वन विभाग की पूरी जमीन अतिक्रमण नहीं देखता। एक जगह बैठे-बैठे वह पंचनामा तैयार कर रिपोर्ट बना लेते हैं। जिसमें लिखा जाता है कि वन अमले मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण हटवाया, जबकि वास्तव में वह अतिक्रमण देखते ही नहीं है।
2500 एकड़ पर अतिक्रमण कर हो रही खेती
्रप्रदेश में विगत एक साल में करीब 2500 एकड़ वनभूमि पर अतिक्रमण करके खेती करने की खबर आ रही है। कुछ जगह पर अतिक्रमणकारियों को भगा दिया गया है। जबकि कई जगह बेरोकटोक खेती हो रही है। बीना के कंजिया मोहासा गांव में करीब एक दर्जन लोग वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर खेती कर रहे हैं। साल दर साल अतिक्रमण करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक-दूसरे को देखकर लोग अतिक्रमण करते जा रहे हैं। वर्तमान में करीब 250 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है। इसकी शिकायत होने के बाद भी अधिकारी मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण नहीं हटवा रहे हैं। रंजीत सिंह तथा प्रदीप सिंह ने सीएम हेल्प लाइन में इसकी शिकायत कर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मां की थी। शिकायत पर वन विभाग से रिपोर्ट मांगी कई थी। करीब 8 माह से शिकायत की जांच चल रही है। अलग-अलग अधिकारियों ने अतिक्रमण की अलग-अलग स्थिति बताई है।
-भोपाल से रजनीकांत पारे