चोरी की सामग्री से बन रहे गरीबों के आवास
03-Jan-2017 06:53 AM 1234768
बुंदेलखंड और भ्रष्टाचार एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। बुंदेलखण्ड विकास की वाट जोह रहा है और घोटालेबाज विकास के सरकारी धन को ठिकाने लगा रहे है। बुंदेलखण्ड के 13 जिलों में से 7 उत्तरप्रदेश और 6 मध्यप्रदेश में पड़ते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार दोनों जगह समान रूप से हो रहा है। इस क्षेत्र में एक नए किस्म का भ्रष्टाचार सामने आया है। इसके तहत गरीबों के लिए बनने वाले सरकारी आवास चोरी की सामग्री से बनाने के घोटाले का खुलासा हुआ है। बुंदेलखंड को बदहाली से उबारने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार तमाम बड़ी योजनाएं चला रही है। उनमें एक योजना है गरीबों को छत देना। गरीबों को प्रदेश सरकार आसरा आवास बनाकर दें रही है। पर ये योजना भी घोटालेबाजों की भेट चढ़ती नजर आ रही है। सबसे पहले यह घोटाला उत्तरप्रदेश के हिस्से के बुंदेलखण्ड के महोबा जनपद में सामने आया। उसके बाद अन्य जिलों में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। उत्तरप्रदेश की सरकार गरीबों को आसरा आवास उपलब्ध करा रही है मगर सम्बंधित विभाग और कार्यदायी संस्था इन आवासों में न केवल मानक के विपरीत काम करा रहे है बल्कि इन आवासों में चोरी का मैटेरियल तक लगाया जा रहा है। घोटालेबाज सरकारी काम में चोरी के ईट लगवा रहे है। मटेरियल शॉप के मालिक ने पुलिस को तहरीर देकर जब ईट चोरी की शिकायत की तो घोटाले और चोरी की परते खुलती चली गई। दरअसल महोबा के मुहल्ला भीतरकोट में सीएनडीएम कार्यदायी संस्था द्वारा एक दर्जन आसरा आवासों का निर्माण कार्य हो रहा है मगर इन आवासों में घोटाले को अंजाम देने के लिए ठेकेदार और जेई आवासों में चोरी का मटेरियल लगा रहे है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक रॉ मैटीरियल के दुकानदार ने दुकान के बाहर रखे 10 हजार ईट चोरी किये जाने की लिखित शिकायत पुलिस को दी। मदीना मस्जिद चौराहे पर बनी बिल्डिंग मटेरियल के दुकानदार मजीद खान की शिकायत है कि बाहर रखे नंबर तीन के लगभग 10 हजार ईंटों को सीएनडीएस के ठेकेदार राजेश सिंह के कर्मचारी ट्रैक्टर में भर कर ले गए। दरअसल ठेकेदार ज्यादा मुनाफे के चक्कर में आवासों में मानक के विपरीत काम करा रहा था। इन आवासों में नंबर एक का ईटा लगना अनिवार्य है वहां चोरी का नम्बर तीन का ईटा लगाया जा रहा है। गरीबों को सरकार आवास दे रही है पर इनमें हो रहे घोटाले से आम लोगों की जिंदगी खतरे में है। ऐसे आवास कितने दिन चलेंगे ये बड़ा सवाल है। आम आदमी भी इन आवासों के घटिया निर्माण से खासा नाराज है। आवासों का निर्माण करा रहे मेठ और मिस्त्री की माने तो निर्माण में घटिया सामग्री लगाई जा रही है जो कि चोरी की भी बताई जा रही है। वहीं विभाग का जेई अजय कुछ और ही राग अलाप रहा है। उनके अनुसार कार्य सही हो रहा है। इसमें चोरी की सामग्री नहीं लगी है। बहरहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। इसी तरह हमीरपुर विकास खण्ड सुमेरपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत अतरार में वित्तीय वर्ष 2015-16 में दिये गये 11 इंदिरा आवासों में केवल दो ही पूर्ण रूप से बन सके है बाकी सभी अपूर्ण पड़े हुये है। ब्लाक में इन सभी के पूर्ण होने की रिपोर्ट दाखिल करके भुगतान का आहरण करा लिया गया है। इसका खुलासा शासन द्वारा गठित की गयी मनरेगा एवं इंदिरा आवास की सोशल आडिट टीम के सत्यापन के दौरान हुआ है। इसी तरह की शिकायतें उत्तरप्रदेश के बुंदेलखण्ड के सभी सातों जिलों से आ रही हैं। हालांकि शिकायतों को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है और जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जांच से दोषियों पर आंच आएंगी कि नहीं इसको लेकर संदेह है। इंदिरा आवास में भारी गड़बड़झाला मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड के छह जिलों में इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत निर्मित हो रहे मकानों में भारी गड़बड़झाला सामने आया है। लोगों ने शिकायत की है कि टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना आदि जिलों में बन रहे आवासों में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल हो रहा है। ठेकेदार पुरानी ईंटों को इन आवासों में लगा रहे हैं। कहींं-कहीं तो ऐसी भी शिकायत पहुंची है कि दीवारों के निर्माण में रेत और सीमेंट का प्रतिशत मापदंड के अनुसार नहीं है। कुछ जगह जांच में यह तथ्य सामने भी आया है, लेकिन अधिकारियों ने ठेकेदारों को केवल डांट कर छोड़ दिया है। स्थानीय लोग इस गड़बड़झाले की शिकायत उच्च स्तर पर करने की तैयारी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह गड़बड़झाला वर्षों से चल रहा है। -जबलपुर से धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया
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