अपने ही दांव में घिरी सरकार
03-Jan-2017 06:55 AM 1234836
कभी-कभी आपका एक दांव आप पर ही भारी पड़ जाता है। ऐसे ही एक दांव में छत्तीसगढ़ की डॉ. रमन सिंह सरकार फंस गई है। दरअसल नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए घोटाले में केंद्र ने दो आईएएस अफसर डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ आपराधिक प्रकरण चलाने की अनुमति दे दी है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक साल पहले केंद्र से अनुमति मांगी थी। अब विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने में जुट गया है। विपक्ष का कहना है कि जब अफसर दोषी हैं तो सरकार क्यों नहीं। उधर ब्यूरो अब दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी में जुटी है। एडीजी मुकेश गुप्ता ने बताया कि इसमें 2 से 3 माह का समय लग सकता है। ज्ञातव्य है कि पिछले साल 12 फरवरी को छापे के बाद ईओडब्ल्यू ने डॉ. शुक्ला और टूटेजा के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था। उस वक्त शुक्ला खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव और टूटेजा नान के एमडी थे। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने की अनुमति दे दी थी और आईपीसी में अभियोजन के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी। यह सिफारिश पिछले साल 18 जुलाई को डीओपीटी से की गई थी। दोनों अफसरों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसमें इन्होंने ईओडब्ल्यू द्वारा चावल की क्वालिटी और परिवहन में गड़बड़ी को लेकर सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए बयान को आधार बनाया है। इसमें सरकार ने किसी तरह की अनियमितता से इंकार किया था। हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। इसे देखते हुए ब्यूरो चार्जशीट को लेकर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहता है। सूत्रों के अनुसार, बीते 4 जुलाई को डीओपीटी से अभियोजन की मंजूरी के बाद से ईओडब्ल्यू विधि विभाग से लगातार चर्चा कर रहा है। समझा जा रहा है कि हाईकोर्ट में जवाब पेश करने के बाद दोनों अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है। सचिव जीएडी निधि छिब्बर ने केंद्र की अनुमति की पुष्टि की है। एडीजी गुप्ता ने बताया कि केंद्र की अनुमति का पत्र मिला है। विधि विभाग के साथ मिलकर पूरे मामले की जांच की जा रही है। जानकारों का कहना है कि जब जांच आगे बढ़ेगी तो निश्चित रूप से इसकी कडिय़ा खुलती जाएंगी। ऐसे में नान घोटाला भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। नान घोटाले से जुड़ी एक डायरी में दो मंत्रियों, एक पूर्व मंत्री सहित कई अधिकारियों के नाम आने के बाद सरकार घिरती जा रही है। विपक्ष इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले में फंसे प्रदेश के नौकरशाहों और मंत्रियों पर एक्शन लेने से बच रही है। प्रदेश भाजपा का कहना है कि यह इतना बड़ा घोटाला नहीं है, जिसकी सीबीआई जांच हो। मुख्यमंत्री का कहना है कि हम विधिक लड़ाई ही लड़ सकते हैं। इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के अतिरिक्त महानिदेशक मुकेश गुप्ता ने बताया कि भ्रष्टाचार की परत खोलने के लिए नान के सभी गोदामों और अधिकारियों के ठिकानों की जांच की जा रही है। उधर कांग्रेस का आरोप, चना खरीद में भी घोटाला हुआ है कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य में चना खरीदी में भी 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व छत्तीसगढ़ प्रभारी मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में राशन दुकानों से बांटने के लिए हो रही चना खरीदी में 100 करोड़ रुपए के घपले का आरोप लगाया है। अकबर का दावा है कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने निविदा में जान-बूझकर ऐसी शर्तें जोड़ी हैं कि प्रदायकर्ता अपनी मनचाही दर भर सकें। इसका नतीजा यह हुआ कि अब रायपुर दुर्ग एवं बस्तर संभाग में चना 5175 रुपए प्रति क्विंटल, सरगुजा संभाग में 5038 रुपए प्रति क्विंटल और बिलासपुर दुर्ग संभाग में 5004 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा गया। अकबर ने कहा कि सरकार अगर समर्थन मूल्य पर किसानों से चना खरीदती, तो इससे किसानों को लाभ होता, लेकिन सरकार की प्राथमिकता व्यापारी हैं। शुक्ला का प्रमोशन खटाई में, 18 कर्मी निलंबित अभियोजन की स्वीकृति के बाद डॉ. शुक्ला का अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर प्रमोशन भी खटाई में पड़ गया है। उनकी पदोन्नति जनवरी 2017 से होनी है, लेकिन तब तक मामले का निपटारा होना मुश्किल है। ऐसे में उम्मीद है कि उनकी जगह उनके बैच के प्रमुख सचिव सुनील कुजूर और अजयपाल सिंह प्रमोट होंगे। आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा पर प्रक्रिया के तहत कार्रवाई हो रही है। नागरिक आपूर्ति निगम के राजधानी स्थित कार्यालय से एक करोड़ 62 लाख 97 हजार 500 रुपए की बरामदगी के बाद 18 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित और दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। नागरिक आपूर्ति निगम के नए प्रबंध संचालक ब्रजेश चंद्र मिश्रा का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री सभी विभागों में जीरो टॉलरेंस की नीति लागू करना चाहते हैं, इसलिए उनके निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। ब्रजेश चन्द्र मिश्रा ने पदभार ग्रहण करने के बाद 18 अधिकारियों व कर्मचारियों के निलंबन व संविदा में कार्यरत दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। -रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^