17-Dec-2016 07:33 AM
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अमेरिका की सेन्ट्रल इंटलिजेंस एजेन्सी (सीआईए) ने दावा किया है कि रूस ने साल 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी की थी। इस दखलंदाजी से रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प को अमरीका का अगला राष्ट्रपति बनने में मदद मिली। खबर के मुताबिक सीआईए अपने गोपनीय आंकलन में इस नतीजे पर पहुंची है।
सीआईए ने बंद कमरे में कुछ-कुछ महत्वपूर्ण सीनेटर्स के साथ अपने हाल के इस आंकलन को साझा किया है। सीआईए ने पिछले सप्ताह कैपिटल हिल में एक सीक्रेट मीटिंग में यह जानकारी साझा की थी। एजेन्सी ने यह जानकारी विभिन्न खुफिया सूत्रों के जरिए जुटाई। रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया एजेन्सी ने ट्रम्प की मदद करने वाले जिन लोगों की पहचान की है, वे सभी रूसी सरकार के सम्पर्क में थे। इन लोगों ने विकीलीक्स (खुफिया सूचनाएं, न्यूज लीक्स और अज्ञात स्रोतों के जरिए जानकारियां प्रकाशित करने वाला अंतरराष्ट्रीय संगठन) को वे हजारों ई-मेल उपलब्ध कराए जो डेमोक्रेटिक नेशनल कॉमेटी और अन्य से हैक किए गए थे। इनमें से कुछ ई-मेल हिलेरी क्लिंटन के अभियान के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा के भी हैक किए गए थे। इनमें से कुछ अधिकारियों से रूसी अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने रूस के साथ किसी तरह के संबंध होने से इनकार किया है। उन्होंने एक टीवी साक्षात्कार में कहा है कि उनके स्रोत का रूसी सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।
रूस ने रिपब्लिकन नेशनल कॉमेटी के कम्प्यूटर सिस्टम को भी हैक कर लिया था लेकिन उन्होंने रिपब्लिकन नेटवर्कस से जो जानकारियां हासिल कीं, उसे जारी नहीं किया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, जिन्होंने एफबीआई की एक जांच के बारे में ब्रीफ किया हुआ है, कहते हैं कि रिपब्लिकन कमेटी के सिस्टम को समझ पाने की कोशिश सफल नहीं हो सकी थी। कोई नहीं जानता कि रिपब्लिकन कमेटी से कितनी फाइलें चुराई गईं थीं। ये साइबर हमले बसन्त के मौसम में हुए थे।
सितम्बर में, अमरीकी खुफिया और लॉ इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों को जांच के दौरान पता चला था कि रूसी सहयोग से अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया जा रहा है और डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनावी अभियान पर अटैक कर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अब हमें यह जानकारी हो गई है कि वे एक कदम और आगे बढ़ गए थे। अब यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या ट्रम्प ने यह चुनावी रूसी हस्तक्षेप के बिना जीता है।
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने, सीनेटरों के साथ एक गोपनीय बैठक में जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह खुफिया संगठनों का आंकलन है कि रूस का उद्देश्य एक प्रत्याशी की मदद करना था ताकि ट्रम्प को जिताने में मदद की जा सके। यह अपने से मिलते-जुलते विचारों का नतीजा था।
महीनों से ओबामा प्रशासन इस उधेड़बुन में था कि रूस के अनुचित हस्तक्षेप का कैसे जवाब दिया जाए। व्हाइट हाउस के कुछ अधिकारियों ने आपस में बैठकर इस बात पर चर्चा की थी कि उनके प्रतिउत्तर से रूस के साथ तनाव में इजाफा तो नहीं हो जाएगा। एजेन्सी के अधिकारियों को व्लादिमिर पुतिन और उनके सहयोगियों से भी विश्वसनीय जानकारी जुटाने में काफी अड़चनों, समस्याओं का सामना कर पड़ रहा था। कोई भी इन करीबी संबंधों को काफी स्पष्टता से आपस में जोड़ सकता है। रूस का हस्तक्षेप ट्रम्प की आश्चर्यजनक जीत में किसी वैधानिकता का भी सवाल नहीं खड़ा करता है। लेकिन अमेरीकियों को इस बात का डर सता रहा है कि हमेशा उनके दुश्मन के तौर पर काम करने वाला रूस अब उनके अंदरूनी मामलों में दखल न देने लगे। हालांकि हाल फिलहाल इसके आसार तो
नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन ट्रंप और पुतिन के करीबी रिश्ते इस बात की आशंका जरूर पैदा कर रहे हैं।
ट्रम्प का इनकार
उधर, ट्रम्प और उनकी टीम चुनाव के दौरान रूस से किसी भी तरह की मदद मिलने के आरोपों से इनकार कर चुकी है। ट्रम्प ने रूसी हैकिंग के सभी खुलासों को खारिज करते हुए कहा है कि आरोप लगाने वाले वे ही लोग हैं जिन्होंने कभी कहा था कि सद्दाम हुसैन के पास भारी विध्वंस करने वाले घातक हथियार हैं। अब चुनाव खत्म हो चुके हैं। यह जीत इतिहास में सबसे बड़ी चुनावी जीत है। अब वक्त आ गया है कि हम अमरीका को फिर महान बनाएं। ट्रम्प ने टाइम मैग्जीन से बातचीत में कहा था कि मैं नहीं मानता कि उन्होंने दखलंदाजी की है। यह रूस हो सकता है। यह चीन हो सकता है। और कुछ लोग अपने घर न्यू जर्सी में भी हो सकते हैं। इसके आगे, ट्रम्प की टीम ने, एक बयान में कहा है कि ये वे ही लोग हैं जिन्होंने कहा था कि सद्दाम हुसैन के पास विनाशकारी हथियार हैं।
द्यराजेश बोरकर