17-Dec-2016 07:30 AM
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विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने के बाद से भाजपा देश में अपनी जमीन और मजबूत करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में पार्टी ने बिहार, राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों में कार्यालय बनाने के लिए जमीनें खरीदी हैं। भाजपा का यह जमीन खरीदना विपक्षियों को नागवार गुजरा है। आलम यह है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और जद(यू) समेत कई राजनीतिक दलों ने भाजपा पर नोटबंदी से ठीक पहले अपने पैसे को ठिकाने लगाने का आरोप लगाया है। इन दलों का आरोप है कि भाजपा ने नोटबंदी से पहले बिहार समेत देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदीं हैं।
जमीन खरीदी का यह मामला सबसे पहले बिहार में सामने आया उसके बाद अब कई प्रदेशों में भाजपा द्वारा जमीन खरीदने के मामले सामने आ रहे हैं। भाजपा जहां इसे सामान्य प्रक्रिया मान रही है वहीं विपक्ष इसे नोटबंदी से जोड़ रहा है। विपक्ष के अनुसार नोटबंदी से ठीक पहले नवंबर के पहले हफ्ते तक भाजपा ने बिहार एवं अन्य जगहों पर करोड़ों रुपये की जमीनें खरीदीं। रिपोर्ट के अनुसार भाजपा अगस्त 2016 से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में जमीन खरीद रही थी। भाजपा ने ये संपत्तियां अपने कार्यकर्ताओं के नाम पर खरीदी हैं। इनमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ओर से पार्टी के सीनियर कार्यकर्ता और विधायकों को सिग्नेचरी बनाया गया है।
जमीन खरीदी विवाद के बीच बिहार प्रदेश जदयू प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार व राजीव रंजन प्रसाद ने पार्टी कार्यालय में संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन कर नोटबंदी से पहले भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीद को लेकर इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं के अलग-अलग और बार-बार बदलते बयान पर सवाल उठाया। जदयू प्रवक्ताओं ने कहा है कि पिछले दिनों एक इंटरव्यू में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष 2015 का अधिकार पत्र दिखाकर आरोप लगा रहा। हकीकत यह है कि बिहार भाजपा के नेताओं को जो अधिकार पत्र अमित शाह ने दिये, वह फरवरी 2016 का है। अमित शाह का बयान था कि कार्यालय के लिए जमीन खरीदने का निर्णय जनवरी 2015 में हुआ था। मगर केंद्रीय मंत्री और इनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद का बयान है कि जमीन खरीदने का निर्णय जुलाई 2015 में हुआ था। यहां सवाल उठता है कि नोटबंदी से ठीक पहले बिहार में जमीनों की खरीददारी क्यों की गई? भाजपा ने अगर 2015 में एक भी जमीन खरीदी हो तो बतायें कि कहां और कब खरीदा? शाह का बयान कि जनवरी 2015 से ही जमीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है और इस दौरान अब तक देशभर में 170 जमीनों की खरीददारी की गई। हमारा आरोप है कि बिहार में सभी जमीन हाल के दिनों में ही खरीदी गई है। शाह ने कहा कि जमीन खरीदी का सारा कैश समय-समय पर बैंक के जरिये भेजा गया है और सारा डिटेल आयकर विभाग और चुनाव आयोग के पास है। हमारा सवाल है कि बिहार के सात जिलों में नगद भुगतान से जमीन खरीदी गई और छह ऐसे जिले भी हैं, जहां भुगतान की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया है।
बिहार भाजपा के नेताओं ने माना कि पार्टी ने बिहार के साथ ही देश भर में जमीनें खरीदी हैं। नेताओं का कहना था कि ये जमीनें पार्टी कार्यालय और पार्टी के तमाम दूसरे कामों के लिए ली गई हैं। नेताओं के अनुसार पार्टी ने बिहार के साथ और भी जगह जमीन खरीदी है। एक नेता ने कहा कि हम लोग तो सिर्फ सिग्नेचरी अथॉरिटी हैं, पैसा तो पार्टी की तरफ से आया था। यह पूछे जाने पर कि खरीदारी नगद हुई या चेक के जरिए? चौरसिया ने कहा, पार्टी का काम एक नंबर से होता है। उसका तरीका अलग-अलग होता है। पर नगद लेनदेन नहीं हुआ होगा। भाजपा के एक अन्य नेता और सिग्नेटरी लाल बाबू प्रसाद ने स्वीकार किया है कि उन लोगों ने जमीनें नगद पैसे से खरीदी हैं, इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने चंदा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार भाजपा द्वारा खरीदी गई जमीनों का रकबा आधा एकड़ से 250 वर्गफीट के बीच है। इनकी कीमत 8 लाख से 1.16 करोड़ के बीच है। सबसे महंगी जमीन करीब 1100 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर से खरीदी गई है। कुछ मामलों में भाजपा खुद ही खरीददार पार्टी है और पता 11 अशोक रोड दर्ज है।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी जमीनों की खरीदी का मामला गर्माया है। पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने माना है कि इन खरीद के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पैन कार्ड का इस्तेमाल हुआ है। पार्टी ने बरुइपुर, साउथ 24 परगना, कोलकाता में दम-दम एयरपोर्ट के पास मखतल सुकांता पाली और बर्दवान में जमीनें खरीदीं। बरुइपुर और बर्दवान दोनों जगह एक-एक एकड़ जमीन की खरीदी की गई है और प्रति एकड़ की कीमत एक करोड़ रुपए चुकाए गए है। इसी तरह सुकांता पाली में 16 एकड़ जमीन प्रति क_ा (32 क_ा का एक एकड़) 25 लाख रुपए में खरीदा गया है।
सूत्रों के मुताबिक दम-दम एयरपोर्ट के पास की जमीन का सौदा ब्रोकर भाइयों सुबल और चिन्मय मंडल के साथ किया गया। वहीं नार्थ 24 परगना जिले में जमीन की डील पार्टी अध्यक्ष मानस भट्टाचार्य की देखरेख में हुआ। दिलीप घोष कहते हैं, यह कौन-सी बड़ी बात है? बेवजह विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है। हमने नोटबंदी से एक महीने पहले जमीन खरीदी, तो इसमें गलत क्या है? हालांकि उनकी इस दलील से सभी सहमत नहीं हैं। बंगाल सरकार में संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, हमारे पास खबर थी कि भाजपा सांसद और विधायकों को नोटबंदी के बारे में पहले से मालूम था।Ó सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वे जमीन के इन सौदों की जांच की मांग करेंगे।
वहीं कांग्रेस आलाकमान ने भी उन राज्यों में जांच के निर्देश दिए हैं जहां उनकी सरकार है। राज्य सरकारों को पता लगाना है कि क्या उनके राज्य में भी भाजपा ने नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा ने जमीनें खरीदी हैं। भाजपा ने वेस्ट यूपी में भी जमीने खरीदी है। हापुड़ कांग्रेस विधायक गजराज सिंह ने आरोप लगाया है कि नोटबंदी की सूचना पहले से ही भाजपा नेताओं के पास थी। उन्होंने राष्ट्रपति से इसकी जांच की मांग की है। हापुड़ जिला बनने के बाद से भाजपा का जिला कार्यालय मीनाक्षी रोड स्थिति एक किराए के मकान में चल रहा था। कांग्रेस विधायक के आरोप के अनुसार, भाजपा ने अक्टूबर में ही हापुड़ में भाजपा के ऑफिस के लिए जमीन की रजिस्ट्री कराई है। भाजपा ने पहले ही जमीन खरीदकर काले धन को सफेद कर लिया। उधर इन तमाम आरोपों को भाजपा बेबुनियाद बता रही है और किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है। मामला कुछ भी हो लेकिन विपक्ष ने भाजपा को अपनी जमीन मजबूत करने के अभियान पर सवाल खड़ा कर दिया है।
हर जिले में जमीन खरीदेगी भाजपा
्रपश्चिम बंगाल ईकाई के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं कि भाजपा को जमीन को लेकर निशाना बनाया जा रहा है लेकिन भाजपा राज्य के हर जिले में जमीन खरीदेगी और जिसे जो करना है कर ले। भाजपा जमीन के कागजात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घर भेज देगी। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि नोटबंदी पर कुछ कथित बुद्धिजीवी अनाप-शनाप बक रहें हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हमारा हिसाब-किताब पारदर्शी है। इसलिए उन्हें किसी से डर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तो वाममोर्चा जुरासिक पार्क हो गया है। देश पीएम मोदी के साथ है। इसलिए विरोधियों को हजम नहीं हो रहा है।
जो जहां चाहेगा, वहां खरीदी का हिसाब देंगे
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं कि भाजपा ने जमीने चोरी-छिपे नहीं खरीदी हैं। ऐसा भी नहीं है कि केवल भाजपा शासित राज्यों में जमीन खरीदी गई हो। भाजपा ने जितनी भी जमीने खरीदी हैं उसकी जानकारी राज्य सरकारों को है फिर भी न जाने क्यों उन राज्यों के विपक्षी नेता हल्ला कर रहे हैं। भाजपा ने किस राज्य में कितनी जमीन खरीदी है इसकी जानकारी अगर कोई भी जांच एजेंसी जहां चाहेगी वहां दी जाएगी। सारे आंकड़े राज्यों की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। वह कहते हैं कि जनता के बीच भाजपा की छवि धूमिल करने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, लेकिन जनता जानती है कि हकीकत क्या है। शाह कहते हैं कि भाजपा के राजनीतिक प्रतिद्वंदी जनता के बीच हमारा मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए वे षड्यंत्र कर रहे हैं। उधर बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी कहते हैं कि जदयू के नेता आरोप लगाकर आखिर क्या सिद्ध करना चाहते हैं। वे हम से जमीन खरीदी का हिसाब मांग रहे हैं। अच्छा तो यह होता कि वे इस संदर्भ में अपनी सरकार से ही जानकारी लेते। दरअसल नोटबंदी के बाद जिस तरह भाजपा को जनता का समर्थन मिल रहा है उससे सभी दलों में घबराहट फैल गई है और वे भाजपा को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
-नवीन रघुवंशी