अब कंक्रीट के जंगलों में जंगली जानवर
17-Dec-2016 06:54 AM 1234833
पिछले एक दशक में जिस तरह देशभर के वनक्षेत्रों में अतिक्रमण बढ़ा है और वहां निर्माण कार्य हुए हैं उससे वन्यप्राणी अब वनों से निकलकर कंक्रीट के जंगल यानी गांव और शहरों की ओर आ रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि निरंतर वन्यप्राणियों और मनुष्यों में लगातार संघर्ष बढ़ रहा है। देश के सबसे बड़े वनक्षेत्र वाले मप्र में रोजाना किसी न किसी रहवासी क्षेत्र में वन्यप्राणियों के घुसने और लोगों पर हमले की खबरें आ रही हैं। आलम यह है कि अब बाघ आबादी वाले क्षेत्रों के आसपास जानवरों का शिकार कर रहे हैं। राजधानी भोपाल के आसपास आधा दर्जन से अधिक बाघ सक्रिय हैं। एक पखवाड़े में दो दर्जन जानवरों का शिकार हो चुका है। बाघों के जंगल से बाहर आने पर लोगों में दहशत है। वन विभाग के डीएफओ भोपाल एसपी तिवारी का कहना है कि यह बात सच है कि जंगल की जमीन पर बसाहट बढऩे से  वहां पर मवेशियों का मूवमेंट बढ़ा है जिसने बाघों को अपनी ओर आकर्षित किया है। वन विभाग ने अब कलियासोत से लेकर केरवा और मेंडोरा के जंगलों का एरिया चिन्हित कर लिया है। जिस एरिया में बाघों का मूवमेंट बढ़ रहा है वहां पर पटाखों और अन्य संसाधनों से उनको वापस जंगल की ओर खदेडऩे का प्रयास किया जा रहा है।  वन्यप्राणियों के रहवासी इलाकों में प्रवेश से लोग हैरान-परेशान हैं। लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि जंगली जानवर हमारे घरों में नहीं बल्कि हम उनके घरों में घुस रहे हैं। हम उनके आस्तित्व के लिये खतरा बनते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि अपनी रिहाइश को लेकर इंसान और जंगली जानवरों के बीच जंग सी छिड़ी हुई है। जंगल नष्ट हो रहे हैं और वहां रहने वाले शेर चीते और तेंदुए जैसे शानदार जानवर कंक्रीट के आधुनिक जंगलों में बौखलाए हुए भटक रहे हैं। उनके लिए जंगल और शहर के बीच का फर्क मिटता जा रहा है। अभी हाल ही में गुडगांव की अरावली के जंगलों से मंडावर गांव की तरफ भागे उस तेंदुए का गुनाह भी यही था कि वह इंसानी बस्तियों में पनाह तलाश रहा था, जहां बीते दिनों इंसानों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। इस दौरान पुलिस और वन विभाग की टीम अक्षम होकर तमाशा देखती रही। वे चाहते तो समय पर पहुंच सकते थे और तेंदुए को सुरक्षित पकड़ कर उसे भीड़ के न्याय से बचा भी सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले कुछ सालों में देशभर में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिससे पता चलता है कि जंगली जानवर अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे की वजह से जीने के नए तरीके खोजने को मजबूर हैं, लेकिन उनके लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही भोपाल शहर के कोलार क्षेत्र स्थित दानिश कुंज में बाघ को देखा गया है जिसने वहां पर एक सुअर का शिकार भी किया। मुंबई जैसे शहरों में जंगली जानवरों का दिखाई दे जाना बहुत आम हो गया है। 2011 में फिल्म अभिनेत्री और राज्य सभा सांसद हेमा मालिनी के मुंबई स्थित बंगले में तेंदुआ घुस गया था। दरअसल मुंबई शहर फैलते-फैलते जंगलों के पास तक पहुंच चुका है जहां तेंदुए और दूसरे जंगली जानवर रहते है, बढ़ते दखल के चलते अब वे गाहे-बगाहे शहर में विचरण करने को मजबूर हैं। इसी तरह से पुणे, दिल्ली, ,मेरठ और गुडग़ांव जैसे शहरों में इस तरह की घटनायें सामने आयीं हैं। गुजरात के जूनागढ़ शहर के बाहरी इलाकों में बब्बर शेरों का देखा जाना बहुत आम हो गया है। पिछले साल भोपाल के कलियासोत क्षेत्र में एक बाघ ने तो अपना इलाका ही बना लिया था। जिसकी वजह से कई महीनों तक शहर में दहशत बनी रही। जाहिर है पूरे देश में ऐसी घटनाएं रूकने की बजाए बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में सवाल पूछा जाना चाहिए कि जानवर इसानों की बस्ती में घुस रहे हैं या इंसान जानवरों के क्षेत्र को कब्जा रहे हैं? शिकारियों पर नजर भोपाल के कलियासोत और केरवा के जंगलों में अल सुबह से ही लगने वाले सैलानियों के डेरों पर अब वन विभाग की नजर है। बाघों के बढ़ते मूवमेंट के बाद वन विभाग की बढ़ी गश्त में यह मामला सामने आया है कि बाघ वाले क्षेत्रों में तेजी से लोगों का मूवमेंट बढ़ रहा है। वन विभाग ने इन लोगों को रोकने के लिए पहले चेतावनी जारी की थी, इसके  बाद बैरियर भी लगाये गए, लेकिन लोगों का जाना वहां पर कम नहीं हो पा रहा है। वन विभाग के भोपाल डीएफओ एसपी तिवारी का कहना है कि बाघों के क्षेत्र में जाने वाले लोगों को अलर्ट कर दिया गया है क्योंकि उनमें कौन सैलानी है और कौन शिकारी यह तय करना कठिन होता है। कई लोग अपने औजार झाडिय़ों में छिपा देते हंै। चार बाघों के भोपाल शहर के आसपास बार-बार मानव बस्तियों में घुसने और पालतू पशुओं को मारने की घटनाओं के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि जंगलों के बिलकुल नजदीक मकान एवं भवनों का निर्माण तेजी से बढ़ता जा रहा हैं। बाघ शिकार की तलाश में अपने ठिकाने से बाहर आ रहे हैं, क्योंकि भोपाल के आसपास मानव एवं बाघ के इलाके को विभाजित करने वाला बफर एरिया सिकुड़ता जा रहा है। -भोपाल से रजनीकांत पारे
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