17-Dec-2016 06:16 AM
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मप्र में अनाज खरीदी से लेकर भंडारण तक में गोलमाल करने की परंपरा सी बन गई है। आलम यह है कि खरीदी के दौरान किसानों के साथ ठगी करने के बाद अधिकारी उक्त अनाज को गोदामों तक पहुंचाने, गोदामों में रखवाने और फिर बिक्री में गोलमाल करके सरकार को हर साल अरबों रुपए की चपत लगा रहे हैं। शिकायतों के बाद मामला जांच में इस तरह अटक जाता है कि किसी भी दोषी पर आंच तक नहीं आ पाती है।
सतना में इसी साल गोदाम में गेहूं सड़ाने का मामला सामने आने के बाद अभी दोषियों का नाम तय नहीं हो पाया है कि समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी और इसके भंडारण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। खरीदी केन्द्र और गोदाम के बीच करीब साढ़े 13 हजार टन अनाज गायब हो गया। तीन सालों से लगातार चल रहे इस खेल से सरकारी खजाने को करीब दो करोड़ की चपत लगी है। हैरानी की बात है कि तीन सालों में भी सरकारी अमला यह पता नहीं लगा पाया कि इतने बड़े पैमाने पर अनाज कहां से और कैसे गायब हो गया। अनाज खरीदी केंद्रों और गोदाम के रिकार्ड मिलान की बात कहकर ही टाल मटोल की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में सांझा चूल्हा खाद्यान्न घोटाले के बाद सतना का यह दूसरा मामला है। गायब अनाज ई-उपार्जन के तहत किसानों से समितियों द्वारा बनाए गए समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र के माध्यम से खरीदा गया था। दस्तावेजों के अनुसार खरीदी केन्द्र से गोदाम के बीच हुए खेल में 7655 मीट्रिक टन गेहूं और 6823 मीट्रिक टन धान गायब हो गया है। इस पूरे खेल में सहकारी सोसाइटियां, विपणन संघ और नान सवालों के घेरे में हैं। गंभीर बात तो ये है कि अभी तक इस गायब खाद्यान्न से सरकारी खजाने को लगी चोट की भरपाई तक नहीं हो पाई है। सरकार को 1.98 करोड़ की चपत लगी है। सतना कलेक्टर नरेश कुमार पाल कहते हैं कि शिकायत सामने आई है। इसको लेकर अधिकारियों को पड़ताल करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि इससे पूर्व भी कलेक्टर द्वारा गेहूं सड़ाने के मामले में जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी लेकिन वह रिपोर्ट कहां है किसी को पता नहीं।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में धान की खरीदी नान के माध्यम से होती है। लेकिन यहां भी गेहूं की ही तरह गड़बड़झाला सामने आया है। विभागीय जानकारी के अनुसार सतना में वर्ष 2013-14 में समर्थन मूल्य में 57 केन्द्रों में धान खरीदी और जमा में बड़ा खेल सामने आ रहा है। इस सत्र में 4775.38 मीट्रिक टन धान लापता है। जिसकी कीमत 69.72 लाख रुपये बताई गई है। 2014-15 में 47 खरीदी केन्द्रों में गड़बड़ी सामने आ रही है। यहां से 18.93 लाख कीमत की 1392 मीट्रिक टन धान गायब हो गया है। 2015-16 में धान खरीदी और जमा में अन्तर आने वाले केन्द्रों की संख्या 45 सामने आ रही है। यहां 9.25 लाख मूल्य की 656.28 मीर्टिक टन धान लापता है।
ई-उपार्जन वर्ष 2013-14 से लेकर 2015-16 के बीच तीन सालों में अकेले 6756.5 मीट्रिक टन गेहूं गायब हो गया है। किसानों को सरकारी खजाने से पूरा भुगतान देने के बाद खरीदे गये गेहूं की स्थिति देखें तो 2013-14 में 66 सोसायटियों के माध्यम से खरीदी जमा में अन्तर 1695.84 मीट्रिक टन आया है। इसका मूल्य 25.43 लाख रुपये है। इसी तरह से वर्ष 2014-15 70 खरीदी केन्द्रों में खरीदी जमा के बीच गेहूं का शार्टेज 1431.66 मीट्रिक टन है। जिसकी कीमत 22.19 लाख रुपये है। वर्ष 2015-16 की स्थिति देखे तो खरीदी केन्द्र और विपणन संघ में जमा गेहूं का अन्तर 3629.57 मीट्रिक टन है जो गायब है। जिसका सरकारी खजाने से भुगतान 52.62 लाख रुपये होना बताया गया है। इतने व्यापक पैमाने पर गायब गेहूं की वसूली अभी तक नहीं हो सकी है। न ही इस मामले के दोषी चिन्हित हो सके हैं। जिला आपूर्ति अधिकारी आशुतोष तिवारी का कहना है कि मामला गंभीर है। प्रशासन जल्द ही पड़ताल करवाएगा।
8 करोड़ के गेंहू में 2 करोड़ की मिट्टी
उधर गरीबों को बंटने वाले गेंहू में मिट्टी की मिलावट लगातार जारी है। राजधानी भोपाल में खुलासा और हंगामे के बाद भी गोलमाल कम नहीं हुआ है। सतना में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जिलों में सप्लाई किए जा रहे गेहूं में मिट्टी की भारी मिलावट सामने आई है। इसके बाद रेलवे के 12 रैक से चार जिलों को भेजे जाने वाले गेहूं का आर्डर कैंसिल कर दिया गया है। इतना ही नहीं सतना होकर उमरिया, सिंगरौली और सीधी जिले के लिए गए गेहूं की 12 रैक में भी मिलावट की आशंका है। उनका मोमेंटम भी कैंसिल कर दिया गया है। हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार दो रैक में 50 हजार क्विंटल गेहूं आता है जिसकी कीमत 8 करोड़ रुपए हुई। इसमें औसतन 25 फीसदी मिट्टी के वजन के गेहूं की कीमत 2 करोड़ रुपए हुए। इस मामले में सतना जिला आपूर्ति अधिकारी आशुतोष तिवारी का कहना है कि सतना पहुंचे गेहूं में मिट्टी पाई गई है। सतना के डीएम नान ने भी मिट्टी होने की पुष्टि की है। इसलिए गेहूं की दो रैक का आवंटन रिजेक्ट हो गया है।
-भोपाल से कुमार राजेंद्र