17-Dec-2016 05:55 AM
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बुंदेलखंड क्षेत्र अपने विकास के लिए दशकों से तरस रहा है। सभी राजनैतिक दल इस क्षेत्र के विकास के वादे और दावे कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस क्षेत्र की विकास योजनाएं भ्रष्टाचार का गढ़ बनी हुई हैं। आलम यह है बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे बुंदेलखंड में लोगों की प्यास बुझाने के लिए जितनी भी योजनाएं बनी हैं, वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी है। इसी कड़ी मेंं बुंदेलखण्ड क्षेत्र में आने वाले उत्तरप्रदेश के सात और मध्यप्रदेश के छह जिलों में तालाब घोटाले की गूंज है। अब हर जिले के लोग अपने-अपने क्षेत्र में निर्मित तालाबों की जांच पड़ताल में जुट गए हैं।
सबसे पहला घोटाला उत्तरप्रदेश के हिस्से के बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जनपद में सामने आया है। मोहबा उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा जनपद है। इस जनपद के लिए आने वाले विकास के बजट को एनजीओ माफिया ठिकाने लगा रहे हैं और जिले के आला अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती है। पूर्व में इस जनपद में एक तालाब चोरी का मामला सामने आ चुका है। अब दूसरा ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें श्रमदान से खोदें गए तालाब में मद से काम दिखाकर 4 करोड़ 25 लाख रुपये ठिकाने लगा दिए गए। इस तालाब में पिछले 15 वर्षों से कोई भी खुदाई और मिट्टी का कार्य नहीं हुआ। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि तालाब के पुनउद्धार के नाम पर करोड़ों-रुपये डकारने वाले कौन है और इसके पीछे कौन से अधिकारी शामिल है।
बुंदेलखंड, जनप्रतिनिधियों की राजनीति का गढ़ बना है तो वहीं घोटालेबाजों के लिए भी बुंदेलखंड मुफीद साबित हो रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार इसके विकास के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कोई खास तैयारी न किये जाने से ये पैसा घोटाले और भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रहा है। महोबा जनपद में ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें विकास कार्यों को दिखाकर पैसे का बंदरबाट किया गया है। अभी हाल ही में पनवाड़ी कस्बे में एक तालाब को प्रधान और प्रधान प्रतिनिधि ने ही कब्जे की गरज से समतल कर दिया था तो वहीं अब एक बार फिर इसी कस्बे में एक तालाब का बड़ा घोटाला सामने आने से ग्रामीण आश्चर्यचकित हैं। दरअसल पनवाड़ी कस्बे के राठ रोड पर तकरीबन तीन एकड़ क्षेत्र में बाबू तालाब बना हुआ है। पूर्व में सूखे और पानी की समस्या से जूझ रहे स्थानीय ग्रामीणों सहित प्रधान प्रतिनिधि ने श्रमदान कराकर इस तालाब की खुदाई की थी। जिससे इस तालाब में इस वर्ष लबालब पानी भरा हुआ है। इस तालाब के पास ही जनप्रतिनिधियों ने अपने खर्चे से पशुओं के पानी पीने के लिए चरही का भी निर्माण कराया गया था, लेकिन इनके इस श्रमदान पर एनजीओ माफियाओं की नजर गड़ गई।
रातों-रात इस तालाब में एक संस्था द्वारा बोर्ड लगाकर इसमें काम करना दिखाया गया है। महोबा में तालाबों के पुन:उद्धार और गहरीकरण के लिए सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी संजीदा है। पूर्व में चरखारी कस्बे में आकर सीएम ने तालाबों के काम को भी देखा था पर यहां तो इसके उलट तस्वीर नजर आ रही है। पनवाड़ी कस्बे के इस तालाब में स्थानीय लोगों ने श्रमदान कर जीवन दिया था। तालाब में पानी भरा हुआ है। मगर नागरिकों की मेहनत पर किसी अज्ञात संस्था ने अपनी मोहर लगा दी है। ताज्जुब इस बात का है कि तालाब की खुदाई और पुन:उद्धार के नाम पर करोड़ों रुपये भी ठिकाने लगाए गए है। तालाब के किनारे लगे इस बोर्ड की क्या सच्चाई है ये अभी जांच का विषय है लेकिन इतना जरूर है कि बुंदेलखंड में आने वाले विकास के बजट को बंदरबाट किया जा रहा है। तालाब के किनारे रातों-रात इस बोर्ड के लग जाने से जिले के आला अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो गए है। यह मामला सामने आने के बाद ही मप्र के बुंदेलखण्ड क्षेत्र में आने वाले छह जिलों में भी जांच पड़ताल शुरू हो गई है।
अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा योजनाओं का बंटाढार
जानकारों का कहना है कि बुंदेलखण्ड में बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं का बंटाधार किया जा रहा है। लेकिन खास बात तो यह है कि तालाब के नाम पर हुए इतने बड़े घोटाले को लेकर महोबा जिले के मुख्य विकास अधिकारी को भी इसकी भनक तक नहीं है। इस पूरे मामले में मुख्य विकास अधिकारी एके सिंह का कहना है कि ये मामला मीडिया द्वारा संज्ञान में लाया गया है मामला गंभीर और पेचीदा है, इसकी क्या सच्चाई है जांच कराई जाएगी और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसमें कार्यवाही होगी। बहरहाल इस घोटाले को लेकर कई सवाल भी नजर आ रहे है। आखिर जब इस तालाब में काम ही नहीं हुआ तो फिर ये बोर्ड यहां किस गरज से और किसने लगाया है। यह एक मामला सामने आने के बाद बुंंदेलखण्ड क्षेत्र के सभी 13 जिलों में सामाजिक संगठन घोटाले ढूंढने में जुट गए हैं।
-जबलपुर से सिद्धार्थ पाण्डे