17-Nov-2016 06:59 AM
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जिस तरह अखाड़े में किसी पहलवान का पांव उखडऩे के बाद उसे पटखनी खानी पड़ती है कुछ इसी तरह की पटखनी भोपाल की गोद में स्थित स्लाटर हाउस को मिली है। यानी एनजीटी ने स्लाटर हाउस को कही और शिफ्ट करने का मसला क्या उठाया कि अब स्थिति ऐसी बन गई है कि भोपाल में नया स्लाटर हाउस बनना मुश्किल नजर आ रहा है। हालांकि एक बड़ा वोट बैंक इससे जुड़ा होने के कारण सरकार हाथ-पांव मार रही है लेकिन उसी के लोग सरकार की मंशा पर पानी फेरने में लगे हुए हैं।
उधर स्लाटर हाउस मामले में एनजीटी के खिलाफ राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाएगी। एनजीटी में स्लाटर हाउस केस की पैरवी कर रहे स्टेट गवर्नमेंट काउंसिल सचिन वर्मा ने सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में कहा है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान स्लाटर हाउस सेंटर में इन्वायरमेंटल नाम्र्स फुल फिल हो रहे हैं, इसके बावजूद एनजीटी ने स्लाटर हाउस सेंटर को शिफ्ट करने को कह रहा है। राज्य सरकार ने स्टेट काउंसिल की याचिका प्रपोजल को लॉ डिपार्टमेंट के अभिमत के लिए भेज दिया है। लॉ की मंजूरी मिलते ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। प्रस्तावित याचिका के प्रारूप में कहा गया है कि स्लाटर हाउस को तय लिमिट में हटाने के लिए राज्य सरकार से परफारमेंस सिक्योरिटी के रूप में 2 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। जबकि एनजीटी को इसके अधिकार ही नहीं है। सेक्शन 26 और 28 में कार्रवाई के अधिकार है आदेश का पालन न होने पर वह पैनाल्टी लगा सकती है या फिर प्रोसिक्यूट कर सकती है। परफारमेंस सिक्योरिटी तो सरकारी एजेंसी ठेकेदार से निर्माण कार्य कराने के लिए जमा कराती है। सिक्योरिटी जमा होने पर तय समय में काम न होने पर संबंधित एजेंसी जब्त कर सकती है। प्रस्तावित याचिका के प्रारूप में यह भी कहा गया है कि वर्तमान सेंटर का लैंड यूज प्रदूषणकारी इंडस्ट्रीयल एरिया का है। भोपाल मास्टर प्लान में भी यह लिखा गया है कि स्लाटर हाउस की शिफ्टिंग के बाद ही इस एरिया को रेसिडेंसियल यूज में बदला जा सकेगा।
हालांकि राज्य सरकार ने स्लाटर हाउस मामले में 5 अक्टूबर को दो करोड़ रुपए की परफार्मेंस गारंटी एनजीटी में जमा की। वहीं, नगर निगम ने पेनाल्टी के रूप में एक करोड़ रुपए की राशि का चेक मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल को सौंपा। राज्य सरकार 31 मार्च 2018 तक स्लाटर हाउस को अगर नई जगह पर शिफ्ट नहीं कर पाती है तो प्रतिदिन के हिसाब से 10 हजार रुपए का फाइन लगाया जाएगा। जिंसी चौराहा पर संचालित स्लाटर हाउस को बंद कर नए स्थान पर शिफ्ट करने के लिए जगह चिह्नित करने में हुई देरी पर एनजीटी ने गत 31 अगस्त को हुई सुनवाई में राज्य सरकार व नगर निगम पर यह पेनाल्टी लगाई थी। राज्य सरकार के वकील सचिन वर्मा ने परफार्मेंस गारंटी और पेनाल्टी की राशि एनजीटी में जमा करना बताया है। निगम द्वारा जमा एक करोड़ रुपए की राशि का उपयोग पीसीबी वर्तमान में संचालित स्लाटर हाउस के रखरखाव में खर्च करेगा। राज्य सरकार ने नए स्लाटर हाउस के मुगालियाकोट में बनने के विरोध के बाद जिंसी स्थित पुराने स्टड फॉर्म की जमीन चिह्नित की थी। लेकिन स्थानीय रहवासियों के विरोध के बाद राज्य शासन ने पुराने स्टड फॉर्म में इसके निर्माण से हाथ खींच लिए थे। एनजीटी के आदेश के तहत स्लाटर हाउस फिलहाल अगले 19 महीने तक पहले की तरह ही वर्तमान जगह पर संचालित होगा। यानी सरकार के सामने जल्द ही एक नई मुसीबत आने वाली है।
शिफ्टिंग पर विधायकों का विरोध
स्लाटर हाउस सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। राजधानी का कोई भी विधायक अपने क्षेत्र में स्लाटर हाउस की शिफ्टिंग नहीं होने दे रहा है। हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा कहते हैं कि विधानसभा क्षेत्र के लोगों की मंशा के खिलाफ कुछ नहीं होगा। वहीं मध्य विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह कहते हैं कि स्लाटर हाउस शहर के बाहर बनाया जाए। उधर बैरसिया विधायक विष्णु खत्री कहते हैं कि स्लाटर हाउस से प्रदूषण और बीमारियां फैलेंगी। ऐसे में कौन चाहेगा कि उसके आसपास यह बने। यही वजह है कि जिला प्रशासन और नगर निगम अब तक स्लाटर हाउस के लिए सूटेबल साईट नहीं तलाश पाए हैं। इसलिए सरकार ने अब स्लाटर हाउस सेंटर को हाईटेक बनाकर यहीं पर रखने का मन बनाया है। यही वजह है कि एनजीटी के फैसले के विरोध में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने जा रही है। जिससे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद इसी स्लाटर हाउस को हाईटेक बनाकर प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके।
-राजेश बोरकर