17-Nov-2016 06:54 AM
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राजस्थान में इन दिनों डॉन आनंद पाल भले ही वहां की सरकार और पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है, लेकिन यहां लेडीस डॉन का तांडव भी कम नहीं है। प्रदेश में करीब आधा दर्जन से अधिक लेडीस डॉन सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी हुई है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में इनमें से कई जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुकी हैं। इनमें से अनुराधा चौधरी उर्फ अनुराग, सीमा चौधरी उर्फ मिंटू चौधरी, खुशबू शर्मा, सुनीता विश्नोई जेल में रहते हुए भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
इनमें से सबसे कुख्यात सुनीता विश्नोई है। जोधपुर के ओसियां में एक ढाणी है- बानों के बास। यहां सुनीता विश्नोई कभी गाय-भैंस चराया करती थी। क्योंकि चौथी कक्षा फेल हो गई थी और पढाई छोड़ चुकी थी। पिता किसान थे। लेकिन सुनीता का सपना था कि अमीरों की तरह महंगी कारों में सवारी हो और बंगलों में ऐशो-आराम की जिंदगी मिले। अच्छे कपड़ों के लिए बचपन में गुल्लक में एक-एक रुपए जमा करने वाली इस सुनीता के घर में हाल ही में जब पुलिस ने दबिश दी तो चार मंजिला मकान की तलाशी लेने में पूरा एक दिन लग गया। मकान में बाथरूम से लेकर हर कमरे में ऐसी और विदेशी फर्नीचर लगा था। हाईटेक सिक्युरिटी लॉक लगे घर से पुलिस ने पांच लग्जरी कारें बरामद की। वहीं उसकी बैंक अकांउट में करोड़ों की प्रॉपर्टी मिलने का अंदेशा है। उसके इस बंगले की कीमत है तीन करोड़ रुपए। यह पूरा पैसा उसने कमाया डोडा तस्करी से। उसे मारवाड़ और मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी डोडा तस्कर कहा जाता है। उसका तस्करी नेटवर्क तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में फैला है।
राजूराम भादू से बाल विवाह के बाद 2001 में सुनीता का गोना हुआ। शादी के कुछ सालों में दो बेटे हो गए, लेकिन बेरोजगार पति के कारण तंगहाली में जीवन गुजर रहा था। शौक पूरे करने और बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए 2010 वर्ष में सुनीता पति को गांव से जोधपुर ले आई। शहर में किराए के मकान में रहने लगे। बेरोजगार पति नौकरी नहीं ढूंढ पाया तो कुछ रिश्तेदारों से पति के लिए नौकरी तलाशने का कहा। इसी दौरान एक रिश्तेदार ने राजूराम विश्नोई से मिलवाया। अनपढ़ होने के बावजूद राजूराम को महंगी कार में देख वह एक बार तो चौक गई, रिश्तेदार से पूछने पर पता लगा कि वह गुजरात में अवैध शराब का सबसे बड़ा तस्कर है। अमीर बनने का राजूराम का तरीका उसे जंच गया। उसने राजूराम से नजदीकी बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे उसके काम करने के तरीके और नेटवर्क को समझने लगी। लेकिन राजूराम ने यह कहकर उसे काम देने से मना कर दिया कि महिला का तस्करी में कोई काम नहीं है। लेकिन एक बार शराब की डिलीवरी के लिए एस्कॉर्ट वाहन का ड्राइवर नहीं आया तो सुनीता ने कहा कि उसे कार चलाने का शौक है और वह एस्कॉर्ट कर देगी।
इस तरह वह तस्करी के धंधे में शामिल हो गई। पहली बार में उसे 10 हजार की कमाई हुई। फिर सुनीता ने शराब से भरी गाडिय़ों को नियमित रूप से एस्कॉर्ट करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे राजूराम की पार्टनर बन गई। आगे चलकर इसका आतंक इतना बढ़ गया कि राजस्थान के बड़े-बड़े तस्कर उसके आतंक से कांपने लगे हैं। सुनीता तस्कर राजूराम विश्नोई को प्रेमजाल में फंसाकर पहले उसकी पार्टनर बनी और फिर दूसरे जिलों के तस्करों से संपर्क कर डोडा पोस्त, अफीम, शराब सप्लाई करने लगी। लेकिन इस बीच मांजू अन्य गिरोह ने उनकी शराब से भरी गाडिय़ां लूट ली। इससे गैंगवार हुआ और एक पुलिस अधिकारी पर फायरिंग करने के मामले में राजूराम को जेल जाना पड़ा। ऐसे में सुनीता पर गिरोह की जिम्मेदारी आ गई और उसने पुलिस अधिकारियों को अपने प्रेमजाल में फांसकर अन्य गिरोहों का सफाया करवाकर अपनी धाक जमाई।
डोडाचूरा के कारण राजस्थान में पैदा हो रहे तस्कर
राजस्थान में तस्करों की बढ़ती भरमार के पीछे मुख्य वजह डोडाचूरा को बताया जा रहा है। बताया जाता है कि डोडाचूरा की तस्करी कर काली कमाई करने में महिलाएं भी कम नहीं हैं। सुनीता की तरह राजस्थान में अनुराधा चौधरी उर्फ अनुराग भी कुख्यात है। राजस्थान के क्राइम की दुनिया में ये नाम मशहूर है। कोई इसे गैंगस्टर तो कोई लेडी डॉन कहता है। वैसे किडनैपिंग करने में अनुराधा को एक्सपर्ट माना जाता है। राजस्थान के जयपुर में रहने वाली इस महिला को लेडी डॉन के नाम से जाना जाता है। उसका शहर में इतना आतंक है कि पुलिस के उसके नाम से पसीने छूटने लगते हैं। उसके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे है। लेकिन असल में ये महिला हमेशा से लेडी डॉन नहीं थी, इसे लेडी डॉन बनाने के लिए जिम्मेदार है हालात। आर्थिक तंगी और अकेलापन ने इसे लेडी डॉन का तमगा दिला दिया। राजस्थान में 22 साल की सीमा चौधरी उर्फ मिंटू चौधरी भी कुख्यात गैंगस्टर हैं। सीमा देवराजनगर, तनमदरामपुरा की रहने वाली है। राजस्थान में फर्जी आईएएस बनकर धोखाधड़ी करती रही लेडी डॉन खुशबू शर्मा भी सरकार के लिए सिरदर्द बनी रही।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी