17-Nov-2016 06:38 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने महानिवेश का जो अभियान शुरू किया था, वह अधूरा रह गया है। दरअसल मेक इन महाराष्ट्र के नाम पर 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के लिए यह लक्ष्य पाना लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है। अब तक महज 1.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश आ सके हैं। महाराष्ट्र सरकार के साथ निवेश के लिए करार करने वाली फॉक्सकॉन जैसी दिग्गज कंपनियां पीछे हटने लगी हैं, जबकि सरकार ने उस कंपनी को नवी मुंबई में बेशकीमती जमीन दे रखी है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव अपूर्व चंद्रा कहने लगे है कि विदेश की कई नामी कंपनियां महाराष्ट्र में निवेश करने नहीं आएंगी क्योंकि उन्हें यहां ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।
अचानक महाराष्ट्र से निवेशकों का मुंह मोडऩा सरकार के लिए बड़ा झटका है। इसको लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने देश के पहले मेक इन इंडिया सप्ताह के दौरान विभिन्न कंपनियों के साथ 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू साइन किए थे। तब मुख्यमंत्री फडणवीस ने दावा किया था कि 8 लाख रुपये के निवेश से करीब 30 लाख नए रोजगार पैदा होंगे। आईटी, पर्यटन, ऑटोमोबाइल, रियल इस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में 2,594 एमओयू हुए थे। तब इन एमओयू के तहत होने वाले निवेश के बारे में पूछने पर उद्योग मंत्री सुभाष देसाई सवाल करते थे कि आप क्यों शक कर रहे हो। अब वह बोलने से कतराने लगे हैं। मेक इन इंडिया वीक से पहले और उसके बाद भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने कई विदेशी दौरे किए। वह इन दौरों पर ही निवेश से संबंधित बड़ी घोषणाएं और दावे करते थे। अब सरकार के दो साल पूरे होने आए हैं और उनके दावों का पोस्टमॉर्टम होने लगा है।
अगस्त 2015 में मुख्यमंत्री फडणवीस और अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सकॉन के बीच समझौते के अनुसार, अगले पांच साल में कंपनी को 5 अरब डॉलर का निवेश करना था। सरकार ने कंपनी को नवी मुंबई के महापे में 1,500 एकड़ जमीन भी दे दी। फॉक्सकॉन के चेयरमैन टेरी गॉउ ने कहा था कि महाराष्ट्र वित्तीय केंद्र होने के साथ-साथ अच्छे मानव संसाधन और सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर की एकीकरण सुविधाओं की दृष्टि से अच्छी जगह है। इस करार के लिए मुख्यमंत्री ने 7 बार बैठक की थी। मगर अब फॉक्सकॉन निवेश करने से पीछे हट गई है, क्योंकि निवेश करने के लिए महापे में जहां जगह दी गई है वहां एक साल बीतने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा।
महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकार तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और सहयोगी घटक शिवसेना द्वारा जब-तब छींटाकशी एवं आरक्षण के लिए मराठा समुदाय के अभियान सहित कई आंतरिक एवं बाहरी चुनौतियों के बावजूद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की स्वच्छ छवि को सबसे अधिक सकारात्मक पहलू के तौर पर देखा जाता है। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों ने पिछले दो साल में इस सरकार के कामकाज को मिला-जुलाÓ बताया। फडणवीस के नेक इरादों और विकास पर जोर दिए जाने के बावजूद उनकी टीम की ओर से उचित सहयोग एवं जोर की कमी के चलते मुख्यमंत्री के प्रयासों के अपेक्षित नतीजे सामने नहीं आए हैं। यानी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री ने जिस स्तर पर विकास का वादा किया था वह अधूरा ही रह गया है। अब देखना यह है कि आने वाले दो साल में सरकार विकास के क्या रंग दिखाती है। हालांकि भाजपा मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की परफारमेंस से खुश है।
विकास के दावे झूठे
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार ने हाल ही में दो साल पूरे कर लिए हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया विकास के विभिन्न क्षेत्रों में महाराष्ट्र अव्वल नंबर पर है। लेकिन कांग्रेस नेता और विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे-पाटील ने मुख्यमंत्री के दावे को झूठा करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते दो सालों में राज्य में किसानों की आत्महत्या, अपराध और भ्रष्टाचार के ग्राफ बढ़े हैं। विकास के नाम पर राज्य में भाजपा-शिवसेना सरकार की यही उपलब्धि है। विखे-पाटील ने कहा कि यह सरकार नहीं बल्कि इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है। सरकार ने जनता को दिए एक भी आश्वासन पूरा नहीं किया है बल्कि जनता का विश्वास गंवाया है। शिवसेना ने भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का काम किया है। इधर, नागपुर में मुख्यमंत्री ने पिछली कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भाजपा-शिवसेना की सत्ता आई तो उस समय राज्य की परिस्थिति अच्छी नहीं थी। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर थी। इससे कैसे निजात पाया जाए, इस पर काम किया गया।
-मुंबई से ऋतेन्द्र माथुर