17-Nov-2016 06:33 AM
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एक तरफ मप्र करीब 1,13,000 करोड़ रूपए के कर्ज के बोझ तले दबा है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में अवैध खनन हो रहा है। इससे सरकार को हर साल हजारों करोड़ की राजस्व हानि हो रही है। इसको देखते हुए सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाकर कमाई करने के लिए कारगर तरीके अपना रही है। इसी कड़ी में पहले रेत की खदानों को देने के तरीके आसान बनाए। इस प्रक्रिया से राज्य सरकार की कमाई बढ़ी है, वहीं अवैध खनन पर रोक लगाने में भी सफलता मिली है।
अब एक बार फिर आर्थिक तंगहाली से जूझ रही प्रदेश सरकार अब खजाना भरने की प्लानिंग कर रही है। उसके मद्देनजर जीआईएस अर्थात भौगोलिक सूचना तंत्र विकसित किया जा रहा है। इस सिस्टम से न केवल अवैध खनन पर अंकुश लगेगा बल्कि नए खनन क्षेत्र चिन्हीकरण व माइनिंग लीज जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकेगी। इससे अगले दो साल में खनिज विभाग का राजस्व करीब 10 हजार करोड़ रुपए पहुंचने की संभावना है। केन्द्र सरकार की योजना के अंतर्गत जियोग्राफिकल इनफोरमेशन सिस्टम के जरिए सेटेलाइट से भोपाल में कृषि, राजस्व, माइनिंग आदि विभिन्न सेक्टरों से सम्बंधित डेटा एकत्रीकरण के आधार पर विभाग द्वारा उक्त प्लाङ्क्षनग तैयार की गई। इसमें नए खनिजों की खोज अर्थात एक्सप्लोरेशन व माइनिंग विभाग के बीच बेहतर समन्वय पर फोकस रखा गया है।
यह सिस्टम अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने में कारगर साबित होगा। दो खानों के बीच का कितना पार्ट खाली पड़ा है। ऐसे प्लॉट भी मिनटों में खोजे जा सकेंगे। ऐसे प्लॉट से भी खासा राजस्व मिलने की संभावना है। फिलहाल, ऐसे बीच वाले प्लॉट पर अवैध माइनिंग अधिक की जा रही है। चूंकि खनिज भण्डारों का पूरा खाका नक्शे पर लाया जा सकेगा अत: वहां अवैध खनन गतिविधियां काफी हद तक थामी जा सकेगी। इस सिस्टम के जरिए प्रदेश में प्रधान खनिजों की खानें दो गुना होने की संभावना है। जबलपुर, रीवा, शहडोल, कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सतना, उमरिया आदि जिलों में लगभग 500 प्रधान खनिजों की खानें चल रही हैं। सिस्टम के अस्तित्व में आने के बाद इतनी ही और खानें बढऩे की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार तमाम खदानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इन पर जिला कलेक्ट्रेट में डेटा कलेक्शन सेंटर से नियंत्रण रहेगा। पता चला है कि इससे खनिज परिवहन में होने वाली तमाम गड़बडिय़ों पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी। कितना माल भरा गया? गाड़ी का रास्ता कौन सा है? कहां पहुंची? कहां खाली हो रही है? आदि जीपीएस सिस्टम से पता लगाया जा सकेगा। संभाग स्तर पर क्षेत्रीय कार्यालयों में प्रयोगशाला नुमा डेटा कम्पाइलेशन व वेरीफिकेशन का काम होगा। ये लेब्स भोपाल में बनने वाली मुख्य लेब से जुड़ी होगी। इस पूरे सिस्टम पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च होगा। इस सिस्टम के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के खनिज विभाग का राजस्व 5000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष तक बढऩे की संभावना है।
प्रदेश में खनिज से 3610 करोड़ रुपये की आय
खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि प्रदेश में खनिज अन्वेषण और खनिज भंडारों की खोज में आधुनिक तकनीक का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्य को पिछले वर्ष खनिज राजस्व के रूप में 3610 करोड़ 56 लाख रुपये की आय हुई है। विभाग ने अर्जित आय में 102 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। इस वर्ष अप्रैल से अगस्त तक 5 माह में प्रदेश में खनिज से एक हजार करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। राज्य को हीरा खनिज के मामले में देश में एकाधिकार प्राप्त है। इसके अलावा प्रदेश में मुख्य रूप से कोयला, तांबा, मैंगनीज, लौह अयस्क, चूना पत्थर, डोलोमाइट, बाक्साइट, रॉकफास्फेट, क्ले, लेटेराइट खनिज के रूप में पाया जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा नवीन अधिनियम लागू किये जाने के बाद प्रदेश में मुख्य खनिज की स्वीकृति के लिए नीलामी की कार्यवाही की जा रही है। इस कार्यवाही से प्रदेश को करीब 30 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व प्राप्त होगा। चूना पत्थर, मेंगनीज, बाक्साइट, आयरन आदि खनिज ब्लाकों को चिन्हित किये जाने की कार्यवाही तेजी से की जा रही है। राज्य में पहली बारह विभिन्न गौण खनिज रेत, फर्शी पत्थर, खदानों की नीलामी में ई-आक्शन की प्रक्रिया को अपनाया गया है। ई-आक्शन की प्रक्रिया से कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आई है। ई-आक्शन से गौण खनिज में केवल रेत से ही 10 गुने से अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी। खनिज के परिवहन की प्रक्रिया को सरलीकरण बनाने के लिये ई-टीपी (ट्रांजिट पास) जारी किये जाने की व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था से प्रदेश में खनिज के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण पर अंकुश लगा है। राज्य के सभी जिलों में पृथक से खनिज कार्यालय भवन का निर्माण और कम्प्यूटरीकरण पूरा किया गया है। क्षेत्रीय कार्यालय रीवा और जबलपुर में कार्यालय भवन बनाये जा रहे है।
-विशाल गर्ग