17-Nov-2016 06:17 AM
1234828
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव 2018 में होने वाला है। इसको देखते हुए अभी से मैदान तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस और आम आदमी की पार्टी ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर आरोपों की बौछार करनी शुरू कर दी है। और इसमें घी का काम किया है सरकार के एक निर्णय ने। दरअसल छत्तीसगढ़ में भारतीय वन सेवा के एक अफसर राजेश चंदेला के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में कार्रवाई नहीं होने को लेकर हंगामा मचा हुआ है। आरोप है कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह की अनुशंसा के बाद भी कार्रवाई की फाइल केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई। इसको लेकर कांग्रेस और आप ने प्रदेशभर में आंदोलनात्मक रुख अख्तियार कर रखा है।
असल में 2014 में भारतीय वन सेवा के अफसर राजेश चंदेला के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई की थी और कई करोड़ रुपये की अनुपातहीन संपत्ति जब्त की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री ने चंदेला के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी। इसके बाद चंदेला के कथित भ्रष्टाचार की फाइल को अभियोजन के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाना था। लेकिन यह फाइल कभी केंद्र सरकार को भेजी ही नहीं गई। दो दिन पहले सार्वजनिक हुई इस बात के बाद राज्य सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। आम आदमी पार्टी के नेता सुबीर राय कहते हैं, छत्तीसगढ़ भ्रष्ट अफसरों की सबसे पसंदीदा जगह है। सरकार के साथ मिल कर अफसर मजे उड़ा रहे हैं और राज्य की भाजपा सरकार जीरो टॉलरेंस का दावा कर रही है। सुबीर राय की बात से असहमत होना आसान नहीं है।
असल में भ्रष्टाचार के मामलों को रफा-दफा करने या उनकी फाइलों को बंद करने में छत्तीसगढ़ देश में सबसे आगे है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश के 29 राज्यों में पिछले साल एंटी करप्शन ब्यूरो तथा विजिलेंस विभाग द्वारा संज्ञेय अपराध के रूप में दर्ज 147 मामलों की जांच नहीं की गई या उनकी जांच बंद कर दी गई। इन 147 मामलों में से अकेले 81 मामले छत्तीसगढ़ के हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल कहते हैं, हम पहले ही कहते रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की सरकार देश की भ्रष्टतम सरकार है और केंद्र की एजेंसी ने इस बात को सही ठहराया है। राज्य में जितने भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं, मुख्यमंत्री रमन सिंह उनको दबाने का काम करते हैं। लेकिन भाजपा के प्रवक्ता और विधायक श्रीचंद सुंदरानी एनसीआरबी के आंकड़ों को सही नहीं मानते। सुंदरानी कहते हैं, रमन सिंह की सरकार भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में लगातार काम कर रही है। एनसीआरबी के जो आंकड़े हैं, वो पुराने होंगे। रमन सिंह के कार्यकाल में हमने भ्रष्टाचार पर काबू पाया है। हालांकि किसान नेता आनंद मिश्रा इससे सहमत नहीं हैं। आनंद मिश्रा का कहना है कि भ्रष्टाचार के इन आंकड़ों के अलावा पिछले कई सालों से राज्य में 45 आईएएस अफसरों के खिलाफ मामले पड़े हुये हैं और सरकार उन मामलों में जांच की अनुमति नहीं दे रही है। आनंद मिश्रा कहते हैं, सरकार का एक विभाग जिस मामले में भ्रष्टाचार की बात कहता है, उसी मामले में सरकार का दूसरा विभाग सरकार को क्लिनचिट दे देता है।
भ्रष्टों के खिलाफ सरकार का नरम रुख
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भूपेश बघेल कहते हैं, 17 अफसरों की गिरफ्तारी, दो आईएएस अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति और बरामद किये गये करोड़ों की नगदी सच है या सरकार का हलफनामा? दोनों ही कार्रवाई राज्य सरकार ने ही की है। यह बताता है कि छत्तीसगढ़ सरकार किस तरह से काम कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस के पास भी ऐसे मामलों की भरमार है। कांग्रेस नेता शैलेष नितिन त्रिवेदी पिछले साल 12 फरवरी को एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा की नागरिक आपूर्ति निगम में 28 जगहों पर छापामारी का उदाहरण देते हुए दावा करते हैं कि इस मामले में 36 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा जब्त एक कथित डायरी के हवाले से इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भी रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे। एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में 17 बड़े अफसरों को गिरफ्तार किया और इनमें से कई अभी भी जेल में हैं। इस मामले में राज्य सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की केंद्र से अनुमति भी मांगी। लेकिन सरकार की ओर से ही छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शपथपत्र देकर कहा गया कि ऐसा कोई घोटाला हुआ ही नहीं है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला