17-Nov-2016 06:15 AM
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जब भी उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश में चुनाव होते हैं बंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की हांडी चुनावी चूल्हे पर चढ़ा दी जाती है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही एक बार फिर से बुंदेलखंड को लेकर राजनीति गरमा रही है। उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड में तो वहां के निवासी भी अलग राज्य का मन बना चुके हैं। लेकिन जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि मप्र के हिस्से के बुंदेलखंड में खूब विकास हुआ है तब से यहां के नेता ही नहीं जनता भी अलग बुंदेलखंड राज्य पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री और मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ललितपुर में एक सभा के दौरान लोगों को प्रदेश के बंटवारे का प्रलोभन दिया है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो बुंदेलखंड राज्य बन सकता है। लेकिन भारती के इस बयान को उत्तर प्रदेश तक ही सीमित माना जा रहा है।
दरअसल, मप्र की कोशिश रहती है कि बुंदेलखंड अलग राज्य न बने। क्योंकि अगर बुंदेलखंड अलग राज्य प्रांत बनता है, तो मध्यप्रदेश के हाथ से खजाना निकल जाएगा। इसलिए मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से एक तर्क यह भी दिया जाता है कि बिना आर्थिक सम्पन्नता के कोई नया राज्य कैसे बन सकता है? उस राज्य का खर्च कैसे चलेगा? केंद्र से कर्ज लेकर कोई नया राज्य कब तक स्थापना खर्च चलाएगा? जबकि, बुंदेलखंड की आर्थिक सम्पन्नता किसी से छुपी नहीं है! मध्यप्रदेश के जिन छ: जिलों को पृथक बुंदेलखंड में शामिल किए जाने की मांग हो रही है, वे भी खनिज संपदा के मामले में धनी हैं। अकेले पन्ना जिले से केंद्र सरकार को 700 करोड़ रुपए और मध्यप्रदेश सरकार को करीब 1400 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। पन्ना पिछले 5000 सालों से हीरा खदानों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां अब तक करीब 40 कैरेट हीरा निकाला जा चुका है, जबकि अनुमान है कि 14 लाख कैरेट के भंडार अभी मौजूद हैं। बुंदेलखंड के तालाबों की मछलियां कोलकाता में खूब बिकती हैं। यहां के जंगलों में मिलने वाला तेंदूपत्ता हरा सोना कहा जाता है। खजुराहो और दतिया जैसे पर्यटन स्थल सालभर लोगों को आकर्षित करते रहते हैं।
बीना (सागर) में मध्यप्रदेश की संभवत: सबसे बड़ा उद्योग तेल शोधक परियोजनाÓ तैयार है। इस पर करीब 6400 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। 60 लाख टन ली. क्षमता का यह तेल शोधक संयन्त्र भारत तथा ओमान सरकार के सहयोग से स्थापित हुआ है। अनुमान है कि दोनों राज्यों के बुंदेलखंड मिलकर लगभग 1000 करोड़ रुपए का राजस्व सरकार के खाते में जमा कराते हैं, लेकिन दुर्भाग्य इसका 10 फीसदी भी उस पर खर्च नहीं होता। यह ठीक वैसी स्थिति है जब छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश एक थे। छत्तीसगढ़ कमाता था और मध्यप्रदेश उसके हिस्से को डकारता था। अब मध्यप्रदेश नहीं चाहता कि बुंदेलखंड भी उससे मुंह मोड़ ले! देश की राजनीतिक दृष्टि से देखें तो बुंदेलखंड खासी अहमियत रखता है। फिर चाहें वह प्रादेशिक राजनीति हो या देशिक राजनीति। इसीलिए बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग भी उठती रहती है। परंतु इस क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा किये गए प्रयासों को देखा जाये तो वह नकाफी नजर आते हैं क्योंकि धरातल पर उतरते-उतरते वह प्रयास भ्रष्टाचार का शिकार हो गए। यदि प्रयासों के सही क्रियान्वयन की व्यवस्था सरकार ने कर दी होती तो स्थिति इतनी भयावह नहीं होती। न तो यहां किसी समस्या का निष्पक्ष आंकलन होता है और न ही सही रिपोर्ट ऊपर तक पहुंचती है। सही सोच और देशज नजरिया सबकुछ बदल सकता है। कभी जल, जंगल और जमीन के सौंदर्य से भरपूर बुंदेलखंड आज कराह रहा है, इसके लिए सरकार को वृहद योजनायें बनाने की बजाय छोटे-छोटे स्तर तक जाकर काम करना होगा। घावों पर संवेदना का मरहम तभी लगाया जा सकता है, जब हम मरीज के पास जायें।
सरकार से अधिक माफिया कर रहे संपदा का दोहन
कारखानों की बात छोड़ दी जाए, तो ज्यादातर खनिज संपदा का सरकार से ज्यादा माफिया दोहन कर रहे है। यह भी बुंदेलखंड के पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण है। सन 1950 में जब बुंदेलखंड में व्यापक सर्वेक्षण का कार्य हुआ तो इसके काफी अच्छे नतीजे देखने को मिले। ग्रेनाइट, सिलिका, गैरिक, गोरा पत्थर, बाक्साइट, चूना, डोलोमाइट, फास्फोराइट, जिप्सम, ग्लैकोनाइट, लौह अयस्क आदि खनिजों का प्रचुर भंडार मौजूद है। जबकि, कहा ये जाता है कि बुंदेलखंड खनिज रहित है। लम्बे समय तक लोगों की यही धारणा रही कि हीरे को छोड़कर बुंदेलखंड खनिज के मामले में बंजर है। वास्तविकता ये है कि ये धरती लोहा, सोना, चाँदी, शीशा, हीरा और पन्ना से समृद्ध है। ये सच चौंका सकता है कि अभी तक बुंदेलखंड में 40 हजार कैरेट से ज्यादा हीरा निकाला जा चुका है! अभी भी 14 लाख कैरेट हीरे के भंडारों खुदाई शेष है। कहा गया है कि हीरे की नई खोजी गई खदानों से भी इतना ही कच्चा हीरा मिल सकता हैं। लेकिन, ये बुंदेलखंड का राजस्व कहलाएगा, जब मध्यप्रदेश के गर्भ से नया राज्य जन्म लेगा!...
-सिद्धार्थ सिंह पाण्डे