मप्र में अब आनंद ही आनंद
17-Nov-2016 06:09 AM 1234853
तमाम तरह की समस्याओं और आपाधापी के कारण व्यक्ति जीवन का आनंद लेना भूल गया है। ऐसे में मप्र सरकार ने अपने प्रदेशवासियों को आनंद की अनुभूति का अहसास कराने और इसे प्राप्त करने के तरीकों को बताने के लिए आनंद विभाग का गठन किया है। अपने उद्देश्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार 14 से 21 जनवरी के बीच मध्य प्रदेश के करीब 10 हजार गांवों में आनंद उत्सव मनाने जा रही है। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए 15000 रुपए की राशि मंजूर की गई है। सरकार की मंशा है कि प्रदेश में विकास के साथ ही आमजन समस्या मुक्त होकर आनंद की अनुभूति करे। इसके लिए सरकार ने जमीनी तैयारी शुरू कर दी है। गत दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आनंद विभाग ने अपना प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में फैसला लिया गया कि आनंदोत्सव की सीएम मॉनिटरिंग करेंगे। इस आयोजन के लिए आनंद दल का गठन होगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि 6-8वीं तक की क्लास में आनंद सभाओं का आयोजन होगा।  इसमें उन्हें बतलाया जाएगा कि किस तरह वे कम अंक आने पर असफल होने पर अपना परफार्मेंस सुधार सकते हैं। वहीं कॉलेज में लाइफ स्टाइल और स्किल डेवलपमेंट की कला सिखाई जाएगी। इसके तहत सरकारी और अर्धसरकारी कर्मचारी अपने-अपने दफ्तर में 15-20 मिनट तक मेडिटेशन कर सकेंगे। यह उनकी ड्यूटी टाइम में शामिल रहेगा। अपने उद्देश्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार 12 जिलों में 3600 मास्टर ट्रेनर नियुक्त करने जा रही है। ये लोगों को जीने की कला सिखाएंगे। इसके लिए प्रदेशभर में 10 नवंबर से पंचगनी कार्यशाला आयोजित करने जा रही है। आनंद उत्सव के संबंध में सरकार ने निशा फाउंडेशन, आईआईएसईआर, यूनिसेफ, रिलायंस फाउंडेशन, स्कूल-खेल विभाग आदि से एमओयू साइन किया है। ये सभी आनंद विभाग के तहत लोगों को आनंद की अनुभूति प्राप्त करने के तरीके बताएंगे। आनंद विभाग सीधे सीएम की निगरानी में होगा। इसके साथ ही आनंद दल का गठन भी किया जाएगा, जिसमें आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। फरवरी 2017 में प्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स का सर्वे होगा। जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य मंत्री और राजनीतिज्ञ की सोच में आनंद विभाग का गठन अत्यंत शुभ परिवर्तन का संकेत है। दरअसल पहली पंचवर्षीय योजना से लेकर वर्तमान की बारहवीं योजना तक सभी में समाज की भौतिक उन्नति के कई सफल एवं कुछ असफल प्रयास हुए हैं। आज देश में संसाधनों की भरमार है। कई मामलों में सभी आत्मनिर्भर हैं। मगर इन सब विकास और उन्नति से क्या समाज पहले से अधिक संतुष्ट, प्रसन्न, सुखी और आनंदित है? आंकड़ों का आधार लें या अनुभव का इस सवाल का जवाब तो नÓ ही है। और इसी नÓ को हांÓ में बदलने की कवायद है आनंद विभाग। मंत्रियों को दिया गया पांच इंडेक्स का परिपत्र भरने को सरकार ने अपने मंत्रियों के आनंद का आंकलन करने के लिए उन्हें एक परिपत्र दिया है। जिसे उन्हें भरकर अपने पास रखना है। इस परिपत्र में पांच इंडेक्स हैं। जिनके लिए सात मापदंड तय किए गए हैं। मंत्रियों को उस पर टिक लगाना है। परिपत्र में पहला इंडेक्स है-मेरे लिए जो आदर्श है मेरा जीवन अधिकांश दृष्टिकोण से उस आदर्श के नजदीक है। दूसरा-मैं अपने जीवन से संतुष्ट हूं। तीसरा-मेरे जीवन की परिस्थितियां उत्कृष्ट हैं। चौथा-अभी तक मैंने अपने जीवन में जो महत्वपूर्ण था उसे पा लिया। पांचवा- अगर मुझे अपना जीवन दुबारा जीने का अवसर मिले तो लगभग कुछ भी नहीं बदलना चाहूंगा। इन इंडेक्स के सामने सात घेरे बनाए गए थे जिनमें पहले में पूर्णत: असहमत और सातवें में पूर्णत: सहमत लिखा हुआ है जबकि बीच के पांच घेरे खाली हैं। मंत्रियों को इन पर टिक लगाना है। इससे मंत्रियों के आनंद का आंकलन किया जाएगा। -कुमार राजेंद्र
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