02-Nov-2016 09:04 AM
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मप्र में इन दिनों कुपोषण को लेकर कोहराम मचा हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुपोषण से मुक्ति के लिए अधिकारियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। क्योंकि प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में श्योपुर में कुपोषण के कारण हुई मौतों ने सरकार की जमकर किरकिरी कराई है। लेकिन हद तो यह देखिए कि हर कुपोषित बच्चे को पोषण आहार मुहैया कराने और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाए अधिकारियों ने स्थानीय लोगों पर ही नकेल कसनी शुरू कर दी है। दरअसल अधिकारियों का मानना है कि श्योपुर में बच्चों की मौत कुपोषण से नहीं बल्कि गरीबी और गंदगी से हुई है।
गरीबी दूर करना तो अफसरों के बूते की बात नहीं है। इसलिए उन्होंने गंदगी को दूर करने के लिए फरमान जारी कर दिया है कि शौचालय नहीं तो राशन नहीं। अब पहले से ही गरीबी का दंश झेल रहे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे शौचालय बनाने की रकम कहां से लाए। क्योंकि शौचालय बनाने की रकम रसूखदारों को ही मिलती है। आलम यह है कि जिले में रसूखदार लोगों ने शौचालय निर्माण के लिए सरकार से 12 हजार रुपए तो ले लिए, लेकिन शौचालय का निर्माण नहीं करवाया। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए प्रशासन गरीबों का हुक्कापानी बंद करने पर तुला हुआ है। श्योपुर जनपद के सीईओ नितिन भट्ट गांवों में पहुंचकर चेतावनी दे रहे हैं कि जिन घरों में शौचालय नहीं होगा उन्हें सरकारी राशन नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं सरकारी दुकान से राशन बंद करने की चेतावनी देने के लिए सीईओ भट्ट रोज सुबह गांवों मेंं जाकर लोगों को शौचालय बनवाने और उनका उपयोग करने की शपथ भी दिलाते हैं।
श्योपुर जनपद की 65 ग्राम पंचायतों में 30 हजार शौचालय निर्माण होने हैं। यह काम पंचायतों को दिया गया है और मार्च 2017 तक हर हाल में शौचालयों का निर्माण पूरा होना है। साढ़े चार महीने शेष रहे हैं, लेकिन अभी तक अधिकांश पंचायतों में 20 फीसदी भी शौचालयों का निर्माण नहीं हो पाया। श्योपुर जनपद में सिर्फ ददूनी (222) व तलावदा (200) ग्राम पंचायत हैं जिन्होंने शौचालयों का निर्माण समय से पहले करा दिया है। बाकी की 65 पंचायतों की हालत बेहद खराब है। अधिकांश लोग खुले में शौच जाते हैं जिस कारण गंदगी व बीमारियां बढ़ रही हैं। जिन गांवों में शौचालयों का निर्माण नहीं हो पा रहा उन गांवों में सीईओ भट्ट सुबह 5 बजे ही पहुंच जाते हैं और जो लोग लोटा डिब्बा या बोतल लेकर खुले में शौच करने के आदी है उन्हें सीईओ टोकते हैं। अब समझाइश के साथ कार्रवाई की चेतावनी भी सीईओ देने लगे हैं। जिनके घरों में शौचालय नहीं है और वह निर्माण भी नहीं करवा रहे ऐसे लोगों को 1 रुपए किलो रुपए में पीडीएस दुकान से मिलने वाले गेहूं पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। सीईओ ने बताया कि ऐसे लोगों की खाद्यान्न पर्चियां निरस्त कर देंगे। जब तक यह शौचालय नहीं बनाएंगे और उसका उपयोग नहीं करते तब तक रियायदी दर पर राशन भी नहीं देंगे।
प्रेमसर, ननावद, गोहेडा, अजापुरा, नयागांव लोगों का कहना है कि सीईओ साहब शौचालय बनाने के निर्देश तो दे जाते हैं लेकिन हम बनाए तो कहां से। उधर हर घर में शौचालय बनवाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों के सचिवों व रोजगार सहायकों को दी गई है। जो सचिव या रोजगार सहायक लापरवाही बरत रहे हैं उनको सीईओ नितिन भट्ट की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है। सीईओ भट्ट ने ऐसे 4 पंचायत सचिवों के वेतन काट दिए जो, शौचालय निर्माण की प्रोगे्रस रिपोर्ट भी जनपद को नहीं भेज रहे। सीईओ ने दलारना कला, उदोदपुरा, रामगांवड़ी, अड़वाड ग्राम पंचायत के सचिवों का 7-7 दिन का वेतन काटने की कार्रवाई भी की है। एक तरफ जहां लोग सीईओ के कदम की सराहना करते हैं वहीं लोगों को अनाज नहीं मिलने का डर सता रहा है।
इधर दावे की खुली कलई
प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फ्लेगशिप योजनाओं का क्या हाल है इसका नजारा हाल ही में रायसेन जिले के रोजड़ाचक गांव के स्कूल में देखने को मिली। जहां स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन करने के लिए एक थाली तक नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हाथ और जमीन पर रखकर मध्यान्ह भोजन करने को मजबूर हैं। ऐसे में सरकार के अफसरों की दलील पर ध्यान दिया जाए तो क्या इससे कुपोषण फैलने का डर नहीं है। सवाल यह भी उठता है कि जब प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुरेंद्र पटवा के विधानसभा क्षेत्र का यह हाल है तो बाकी क्षेत्रों का क्या हाल होगा।
-अक्स ब्यूरो