02-Nov-2016 08:56 AM
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मप्र में एक बार फिर उपचुनाव का बिगुल बज गया है। शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। एक बार फिर प्रदेश में सत्तासीन भाजपा की सरकार और सीएम शिवराज सिंह की जहां अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना होगा तो लोकसभा में महज 45 सीटों पर सिमटी कांग्रेस शहडोल चुनाव जीतकर अपनी एक सीट में इजाफा करने का मौका है। कांग्रेस ने जहां हिमाद्री सिंह जैसा युवा चेहरा मैदान में उतारा है वहीं भाजपा ने अनुभवी ज्ञान सिंह को टिकट दिया है। ज्ञान सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं। शहडोल में आंकड़े भाजपा के पक्ष में हैं, जबकि हवा कांग्रेस के पक्ष में। उधर नेपानगर से भाजपा ने मंजू दादू को तो कांग्रेस ने अंतरसिंह बर्डे को उम्मीदवार बनाया है।
शहडोल सीट पर 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दलपत सिंह परस्ते ने 2 लाख 41 हजार 301 मतों के भारी अंतर के साथ जीत दर्ज की थी, लेकिन परस्ते के निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में भाजपा के सामने अपनी सीट बरकरार रखने की चुनौती है। इस मामले में कांग्रेस को ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि कांग्रेस के पास राजीव गांधी शासन काल में केंद्रीय मंत्री रहे दलवीर सिंह और पूर्व सांसद राजनंदिनी सिंह की बेटी हिमाद्री सिंह जैसा युवा चेहरा एक प्रत्याशी के तौर पर है। चुनावी माहौल देखकर यही लग रहा है की दोनों उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान बनाम कांग्रेस है। दरअसल, 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा उपचुनाव के बाद में पूरे देश सहित प्रदेश में माहौल में बदलाव आया है। ज्यादातर मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार से प्रदेश की जनता का विश्वास उठा है। हालांकि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के जरिए फिर अपने पक्ष में माहौल बनने का दावा कर रही भाजपा का ये दावा कितना मजबूत है। ये चुनाव परिणाम के बाद ही सामने आएगा। लेकिन मौजूदा हालात दिसम्बर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव और मई 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान की मोदी लहर जैसे नहीं है। ऐसे में पारम्परिक तौर पर कांग्रेस की तरफ झुकाव वाला माना जाने वाला आदिवासी मतदाता शहडोल में दोनों सरकार के विपरीत चुनाव परिणाम दे सकता है।
फिलहाल शहडोल संसदीय क्षेत्र के आंकडों पर गौर करें तो शहडोल संसदीय क्षेत्र के लिए 19 नवम्बर को होने वाले उप चुनाव में 8 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। ये विधानसभा क्षेत्र चार जिलों शहडोल, कटनी, उमरिया और अनूपपुर में शामिल हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में शहडोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा के दलपत सिंह परस्ते कांग्रेस के उम्मीदवार से 2 लाख 41 हजार 301 मत से विजयी हुए थे। दलपत सिंह परस्ते को जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र से 30 हजार 196, जैतपुर से 25 हजार 669, कोतमा से 23 हजार 436, अनूपपुर से 26 हजार 704, बांधवगढ़ से 47 हजार 967, मानपुर से 48 हजार 016 औरबड़वारा से 47 हजार 165 वोट से बढ़त मिली थी। सिर्फ एक सीट पुष्पराजगढ़ से कांग्रेस 8,189 मतो से आगे रही थी। इस प्रकार से 8 विधानसभा क्षेत्रों में 7 विस क्षेत्रों पर भाजपा को जीत हासिल रही थी। आंकड़ों से साफ है कि पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से भाजपा को कुछ मत कम भी मिलते हैं तो कांग्रेस से चुनाव जीत सकती है, लेकिन रतलाम झाबुआ संसदीय उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जहां तक शहडोल संसदीय क्षेत्र का सवाल है तो यहां ऊपरी तौर पर तो कांग्रेस के पक्ष में लहर नजर आ रही है लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता कांग्रेस की लहर पर पानी फेर सकती है।
गोंगपा बिगाड़ सकती है कांग्रेस का गणित
शहडोल लोकसभा उपचुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने नामांकन दाखिल करके सबको चौंका दिया है। कांग्रेस ने तो मरकाम की उम्मीदवारी को भाजपा का खेल कह दिया है। दरअसल, हीरासिंह मरकाम की उम्मीदवारी से कांग्रेस को वोट विभाजन का खतरा बढ़ गया है क्योंकि मरकाम आदिवासियों के जिस वर्ग से आते हैं कांग्रेस प्रत्याशी हिमाद्री सिंह भी उसी कोरकू समुदाय से आती हैं। कांग्रेस ने इसी समुदाय के दम पर हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इसी दम पर हिमाद्री के पिता दलबीर सिंह तीन बार और मां राजेश नंदिनी सिंह एक बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हंै। लेकिन आदिवासियों में पकड़ रखने वाले हीरा सिंह मरकाम की उम्मीदवारी ने कांग्रेस की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। लगभग साढ़े चार लाख वाले आदिवासी वोट बैंक के विभाजित होने का खतरा जो कांग्रेस को हो गया है। वहीं जॉर्ज फर्नांडीस वाली समता पार्टी भी दमखम से शहडोल लोकसभा का उपचुनाव लड़ रही है।
-भोपाल से सुनील सिंह