02-Nov-2016 08:45 AM
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लगभग तीन साल बाद राजधानी के नर्मदा भवन में 24-25 अक्टूबर को हुई कमिश्नर-कलेक्टर कांफेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नायक फिल्म के हीरो अनिल कपूर की तरह नजर आए। यानी उन्होंने नाफरमानी, भ्रष्टाचार और गुड़ाराज के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को फ्री-हैंड दे दिया। दो दिनों तक चली इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अफसरशाही को साफ-साफ संदेश दे दिया की अब कोताही बर्दास्त नहीं होगी तथा विकास और प्रशासनिक कार्यों में बाधक बनने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री से फ्री-हैंड पाकर अफसर भी बेहद खुश हैं। दरअसल, अफसरों के नजरिए से देखें तो राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण विकास कार्य बाधित हो रहे थे। अब मुख्यमंत्री द्वारा फ्री-हैंड मिलने के बाद अफसरों के सामने बड़ी चुनौती है। आने वाले समय में अफसर मुख्यमंत्री की मंशा पर कितना खरा उतरते हैं यह देखने वाली बात होगी।
हालांकि शासन द्वारा प्रशासन को मिले फ्री-हैंड का असर दिखने भी लगा है। इसका पहला नजारा संस्कारधानी जबलपुर में देखने को मिला है। यहां 27 अक्टूबर को सिविक सेंटर स्थित वंदे मातरम चौक पर कुछ विहिप कार्यकर्ता और एक आर्मी अधिकारी में वाहन पार्किंग को लेकर झगड़ा हो गया। इसी बीच ड्यूटी पर तैनात एक एएसआई और दो सिपाही दौड़कर पहुंचे, जिन्होंने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद उन्होंने युवकों को जाने की हिदायत दी लेकिन एक युवक पुलिस पर बिफर गया और खुद का नाम रूपेश नायडू बताते हुए विहिप कार्यकर्ता होने का हवाला देते हुए संगठन के नाम से पुलिस कर्मियों को धमकाते हुए कहने लगा कि जानते नहीं हम संगठन से जुड़े हुए हैं, दो मिनट लगेगा तुम्हारी वर्दी उतरने में। पुलिस ने भी तत्काल पलटवार करते हुए कहा कि पहले तो आप तमीज से बात करिए, गलती करते हैं और संगठन की धमकी देते हैं। हमें भी मुख्यमंत्री जी ने गुंडागर्दी रोकने का आदेश दिया है, चलिए निकलिए...। पुलिस का कड़क मिजाज देखते हुए चारों युवक भी फटक लिए। इस दौरान इलाके में हड़कंप की स्थिति बन गई थी। वायरलैस सेट पर कॉल होते ही कई थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया। गुंडागर्दी करने वालों के खिलाफ प्रशासन के इस कड़े रूख को देखकर लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन यह सिस्टम कब तक कायम रहता है यह भी देखने वाली बात है।
निश्चित रूप से मुख्यमंत्री चाहते हैं कि शासन और प्रशासन के कार्यों से जनता राहत महसूस करे। इसीलिए कांफ्रेंस के पहले ही दिन जहां उन्होंने अधिकारियों को अनुशासन और कर्तव्य परायणता की घुट्टी पिलाई वहीं स्वच्छ भारत मिशन में लापरवाही के मामले में बालाघाट और अशोकनगर सीईओ को हटाकर सीएम ने साफ संदेश दे दिया है कि लापरवाही और ढिलाई किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही सतना सीईओ से स्पष्टीकरण मांगने को कहा। मुख्यमंत्री ने इससे अफसरों को स्पष्ट संदेश दे दिया की भ्रष्टाचारियों, अपराधियों और नाफरमानी करने वालों के खिलाफ अब सर्जिकल स्ट्राइक की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात की तर्ज पर स्वच्छता के लिए काम किया जाए। जिन जिलों में स्वच्छ भारत मिशन की परफार्मेंस ज्यादा खराब आई है, उनमें अशोकनगर, सतना, उमरिया, विदिशा, होशंगाबाद शामिल हैं। नरसिंहपुर, उज्जैन, सीधी, रीवा, आगरमालवा और हरदा जिले को इस काम में अच्छे परफार्मेंस पर बधाई दी गई। मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि जिलों का हर काम परफार्मेंस बेस्ड होगा। इसका उल्लेख अफसरों की सीआर में भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कलेक्टरों से चर्चा में उनसे बीते छह महीनों का हिसाब मांगा। सीएम ने बिजली, पानी, सड़क समेत नागरिक सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को लेकर जिलों की तस्वीर भी जानी। सीएम से कलेक्टरों ने उनके द्वारा किए जा रहे नवाचारों के बारे में भी जाना। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा कि यह सुनिश्चित करें कि काम में पारदर्शिता कैसे आए और भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लगाया जाए।
मुख्यमंत्री ने बैठक में लोक सेवा गारंटी के दायरे में आने वाले कामों पर भी फोकस किया। इस दौरान उन्होंने उन जिलों के कलेक्टरों की प्रशंसा की जिनके यहां लोक सेवा गारंटी में अच्छा काम हुआ है। वहीं जहां परफार्मेंस खराब आया है, वहां सुधार के लिए कहा गया। टाप फाइव जिलों में इंदौर व विदिशा जिले का परफार्मेंस दो सालों में खराब निकला है। वर्ष 2015-16 में अच्छा काम करने वाले पांच जिलों में उज्जैन, मुरैना, रायसेन, गुना और सागर शामिल हैं। वहीं खंडवा, इंदौर, दमोह, शाजापुर, विदिशा का परफार्मेंस खराब रहा। इसी तरह वर्ष 2016-17 में अच्छा परफार्मेंस देने वाले टाप फाइव जिलों में आगरमालवा, बालाघाट, मंदसौर, शाजापुर और कटनी शामिल हैं। वहीं इंदौर, शहडोल, उमरिया, विदिशा और अलीराजपुर जिलों का परफार्मेंस अच्छा नहीं रहा है। मनरेगा में अच्छा काम करने पर डिंडोरी कलेक्टर अमित तोमर और सीईओ को सीएम ने बधाई दी। इसके अलावा वर्ष 2016 में जिन जिलों में मनरेगा में अच्छा काम होने पर कलेक्टरों को सराहना मिली है, उनमें डिंडोरी के अलावा बालाघाट, मंडला, रीवा, इंदौर, होशंगाबाद, सिवनी, देवास, भोपाल और खंडवा शामिल हैं।
वहीं बताया जाता है कि जिलों में पदस्थ आधा दर्जन आईपीएस अफसरों के काम से मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं है। ये वे अफसर हैं जो अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहे हैं। इन अफसरों से जिलों की कप्तानी से हटाया जा सकता है। यह संकेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में दिए हैं। ये अफसर अपने जिलों में कानून व्यवस्था बनाए और अपराध रोकने में कमजोर पाए गए हैं। सांप्रदायिक घटनाओं के मामले में झाबुआ एसपी संजय तिवारी से भी सीएम नाराज है। इसके अलावा कानून व्यवस्था और अपराध रोकने के मामले में सागर जिला सबसे कमजोर रहा। सागर गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव का गृह जिला है। यहां पर कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री की लगातार नजर है। मुरैना, राजगढ़, अलीराजपुर और आगर मालवा जिला भी कानून व्यवस्था के मामले में कमजोर है। आगर मालवा में रघुवीर सिंह मीणा एसपी है। वहीं राजगढ़ में रामाश्रय चौबे, मुरैना में विनीत खन्ना और अलीराजपुर में कुमार सौरभ एसपी है। मुख्यमंत्री इन जिलों के पुलिस अधीक्षकों के काम से संतुष्ट नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इन अफसरों ने अपने काम में सुधार नहीं किया तो उन्हें जिले से हटाया जा सकता है। बैठक में कानून-व्यवस्था के लिये बेहतर काम करने वाले जिलों जबलपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, सिवनी, खण्डवा, देवास, खरगोन और रतलाम जिलों के कलेक्टर और एसपी को मुख्यमंत्री ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि बेहतर काम करने वाले अधिकारियों की प्रशंसा सीआर में भी दर्ज की जायेगी। महिला अपराधों के रोकथाम के लिये बेहतर काम करने वाले जिलों भोपाल, पन्ना, अशोकनगर, बैतूल और कटनी जिलों के कलेक्टर और एसपी को बधाई दी गई। इसी तरह भिण्ड जिले के कलेक्टर और एसपी को परीक्षाओं में नकल रोकने के लिये चलाये गये अभियान के लिये मुख्यमंत्री ने बधाई दी। बताया गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत राहत के लिये खरगोन, रतलाम, दमोह और गुना जिलों में बेहतर कार्य हुआ है। मुख्यमंत्री ने दो दिनी इस कांफ्रेंस में अफसरों को इस बात का अहसास करा दिया की कोताही बर्दास्त नहीं होगी और ईमानदारी पुरस्कृत होगी।
मुख्यमंत्री ने खराब प्रदर्शन वाले जिलों की रिपोर्ट मांगी
मुख्यमंत्री 20 जिलों के कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के कार्य से संतुष्ट नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने इनके बारे में वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी तलब की है। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली योजनाओं में शामिल लोक सेवा गारंटी के मामले में खंडवा, इंदौर, दमोह, शहडोल, अलीराजपुर तथा स्वच्छता मिशन के मामले में अशोकनगर, सतना, होशंगाबाद जिले की परफार्मेंस खराब है। विदिशा और उमरिया जिलों की परफार्मेंस दोनों ही कामों में खराब रही है। सीएम ने इनके साथ अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में सभी को समझाईश पत्र देने के लिए कहा है जिसमें काम में सुधार की चेतावनी भी दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि अलग-अलग योजनाओं में 20 जिलों की परफार्मेंस खराब है। ऐसे में इन सभी जिलों के कलेक्टरों को सीएम की ओर से पत्र भेजने के लिए विभागों ने प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है। ये जानकारी सीएम के पास भेजी जाएगी।
गुंडों को नेस्तनाबूत कर दो
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आईएएस-आईपीएस अफसर मिलकर कानून व्यवस्था बेहतर बना सकते हैं। गुंडों के लिए आप लोगों को सख्त होना पड़ेगा। उन्हें किसी प्रकार का संरक्षण न दें, चाहे वह कर्मचारी स्तर पर हो अधिकारी स्तर पर अथवा राजनीतिक स्तर पर हो। बेहतर तालमेल रखेंगे तो लॉ एंड आर्डर में अच्छा परिणाम आएगा। थाना और जिला स्तर पर जो गड़बडिय़ां हो रही हैं, कलेक्टर-एसपी उन पर लगाम लगाएं।
तीन में वीसी, छह माह में कांफ्रेंस
मुख्यमंत्री ने कलेक्टर-एसपी कॉफ्रेंस में विकास का 11 सूत्री एजेंडा दिया। इसमें सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, पांच साल में किसान की आय दोगुना करना, लघु-कुटीर उद्योगों को बढ़ाना, निवेश से समृद्धि, गुणवत्ता के साथ समय पर विकास कार्य, शिक्षा-स्वास्थ्य, पर्यटन को बढ़ावा, गरीब कल्याण एजेंडा, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, कुपोषण समाप्त करना तथा बेहतर कानून-व्यवस्था शामिल है। तीन माह बाद वीडियो कॉफ्रेंस और 6 माह बाद कलेक्टर-एसपी कॉफ्रेंस
में इसकी समीक्षा की जाएगी।
-कुमार राजेंद्र