फिर गूंजेगा मंदिर वहीं बनाएंगे
02-Nov-2016 08:52 AM 1234875
दशहरा के दिन लखनऊ के ऐशबाग में आयोजित रामलीला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनुष पर बाण चढ़ाकर संधान किया था तो जोरदार तालिया बजी थी और जय श्रीराम के नारे लगे थे। विपक्षी इसे चुनाव से जोड़कर देख रहे थे। लेकिन मोदी ने यहां आतंकवाद और भ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज बुलंद की। साथ ही लोगों को आश्वस्त किया कि आतंकवाद और भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। लेकिन कोई भी यह नहीं समझ पाया कि इस प्राचीनतन रामलीला में मोदी के आने का असली मकसद क्या था? इस मकसद को जगजाहिर किया केन्द्रीय संस्कृति  मंत्री महेश शर्मा ने। 18 अक्टूबर को शर्मा ने अयोध्या में एलान किया कि मन बन चुका है, माहौल बन चुका है, राम लला का आदेश हो चुका है, अब मंदिर बनाने का समय आ गया है। यानी अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा यूपी विधानसभा में राम मंदिर कार्ड खेलने वाली है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा से लेकर उमा भारती और  विनय कटियार जैसे राम मंदिर के पक्ष में खुलकर बोलने लगे हैं। तुलसीदास की रामचरित मानस में एक जगह पवन पुत्र हनुमान की वानर सेना का वर्णन है। लंका पहुंचने के लिए व्याकुल इस सेना की हर कोशिश जब नाकाम हो जाती है तो सभी वानर राम का नाम जपना शुरू कर देते हैं। इसके बाद समुद्र पर वानरों का पुल तैयार हो जाता है। उत्तर प्रदेश में सिंहासन पर बैठने को बेताब भाजपा ने भी वानर सेना की तर्ज पर राम का नाम जपना शुरू कर दिया है। जपे भी क्यों नहीं। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के पक्ष में माहौल बनाने के लिए देश के कई हिस्सों में रथ यात्रा की थी। जिससे भाजपा को संजीवनी मिली थी। तबसे राम मंदिर भाजपा का पसंदीदा मुद्दा है। बस मौका मिलते ही पार्टी इस चिंगारी को हवा देने में लग जाती है। दरअसल भाजपा को मालूम है कि यह धमाका जितना बड़ा होगा, बीजेपी का वोट भी उतने ही बढ़ेंगा। वहीं अगर पार्टी नेताओं से राम मंदिर निर्माण पर सवाल होते हैं तो सभी कहते हैं कि उनके हाथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं। महेश शर्मा जैसे नेता जहां इस मुद्दे पर आम जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भाजपा ने भी पार्टी को इस मुद्दे पर खुलकर बोलने की छूट दे दी है। वहीं 1990 में अयोध्या में राममंदिर के हिंसक आंदोलन का चेहरा रहे विनय कटियार ने उसी दिन कहा कि रामायण म्युजियम का आइडिया तो एक लॉलीपॉप है और मंदिर बनाने का आह्वान किया। राम मंदिर आंदोलन का एक और चेहरा रहीं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी 2017 तक राम मंदिर बनाने का वादा किया है।  उन्होंने साफ कहा कि विवादित स्थल सदा राम का ही रहेगा। राम मंदिर भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में एक लोकप्रिय और आजमाया हुआ मुद्दा है। भाजपा को मालूम है कि जातिगत ध्रुवीकरण और हिन्दू वोटरों को लुभाने के लिए उसके पास इससे बड़ा चुनावी हथियार नहीं है। मोदी की दलितों तक पहुंच, महेश शर्मा का दादरी दौरा, कैराना मसले को निपटाना, तीन तलाक पर बहस और अब राम मंदिर, ये सब एक ही बड़ी योजना का हिस्सा हैं। भाजपा के लिए मंदिर, सर्जिकल स्ट्राइक और कैराना जैसे मुद्दों को हवा देना इसलिए जरूरी है क्योंकि पार्टी अपनी पुरानी गलतियों से भी सीख रही है। पार्टी सूत्रों ने माना है कि बिहार में राम मंदिर कोई मुद्दा नहीं था। फिर बिहारी बनाम बाहरी और आरक्षण पर मोहन भागवत के बयान से राज्य में हमारा चुनाव प्रचार फीका पड़ रहा था। मगर उत्तर प्रदेश में हम शुरू से ही तीन तलाक, कैराना, दादरी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों को उठाकर चल रहे हैं। सूत्रों ने कहा, पार्टी 2004 में भी ऐसी ही गलती कर चुकी है, जब पार्टी इंडिया शाइनिंग पर ही बात करती रही और राष्ट्रवादी हिन्दू भावनाओं की उपेक्षा कर गई। उत्तर प्रदेश में पार्टी यह गलती दोहराना नहीं चाहती। इसलिए मंदिर मुद्दा फिर से उठाया जा रहा है। शर्मा की अयोध्या यात्रा का मकसद था कि किसी तरह भाजपा और आरएसएस एक विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण को चुनावी मुद्दा बना दें। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.रमेश दीक्षित कहते हैं कि भाजपा का मकसद और कारण साफ दिख रहा है कि वह अयोध्या मुद्दे को क्यों फिर से केन्द्र में लाना चाहती है। दरअसल भाजपा को अच्छी तरह पता चल चुका है कि विकास के मुद्दे को भुनाने में वह विफल हो गई है। अमित शाह का सोशल इंजीनियरिंग का मुद्दा भी फायदे का साबित नहीं हो रहा है। ऐसे में पार्टी का बेड़ा पार करने के लिए राम का ही सहारा बचता था। बहुजन समाज पार्टी ने पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी नहीं किया है। लिहाजा, भाजपा चुनाव के पहले जय श्री राम के नारे का उद्घोष कर मुस्लिम विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम करेगी। दरअसल राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के लिए इस लिहाज से भी फायदेमंद है कि इस जाल में फंसने वाला वोट जाति की परवाह किए बिना वोट करता है। हालांकि भाजपा के लिए जाति की समस्या 2014 के लोकसभा चुनाव में ही खत्म हो गई थी जब बसपा का खाता नहीं खुल सका और समाजवादी पार्टी भी अपने मुखिया मुलायम सिंह के परिवार तक ही सिमट गई थी। मुलायम परिवार के पांच सदस्य ही लोकसभा चुनाव जीत सके थे। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस राज्य में अब 2014 का इतिहास दोहराया जाना तो मुश्किल है। ऐसे में भाजपा और संघ के लोग अब रैलियों में धर्म का तड़का लगाने की फिराक में हैं। दीक्षित की राय में केवल संघ परिवार ही राम मुद्दे को भुना सकता है। समाजवादी पार्टी का प्रस्तावित राम कथा पार्क अखिलेश यादव को उतनी राजनीतिक सफलता दिला पाने में मददगार नहीं हो सकेगा। उत्तरप्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सत्यदेव त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा और संघ केवल साम्प्रदायिक कार्ड खेल रहे हैं और सपा-बसपा भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों ही दल अपने सियासी फायदे के लिए साम्प्रदायिक तत्वों की मदद ले रहे हैं। त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा राम को चुनावी मुद्दा बना रही है जो उसका चरित्र ही है जबकि अखिलेश यादव का थीम पार्क बनाना सॉफ्ट हिन्दुत्व है ताकि सपा कह सके कि वह राम विरोधी नहीं है। उधर, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भाजपा और सपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि राम तभी याद आते हैं जब चुनाव नजदीक होते हैं। बसपा प्रमुख ने दोनों पार्टियों की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि भाजपा को केन्द्र में सत्ता संभाले ढाई साल हो गया है और अखिलेश सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा कर रही है। ऐसे में दोनों को इसके पहले राम मंदिर का ध्यान क्यों नहीं आया? राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर संतों के साथ आरएसएस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मामले को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) ने राम संतों की झोली में डाल दिया है। इस मामले में आरएसएस ने संतों के साथ रहने का संकल्प दोहराया है। अवध प्रांत के संघचालक प्रभुनारायण और सह प्रांत कार्यवाह नरेन्द्र ने कहा मंदिर आंदोलन संतों का है। पहले भी इसे संघ ने नहीं चलाया। अगर संत मंदिर के लिए आंदोलन करेंगे तो संघ साथ देगा। राम मंदिर निर्माण को लेकर अभी हाल ही में भाजपा सांसद विनय कटियार ने यह कहकर माहौल गर्मा दिया था कि लॉलीपाप नहीं बल्कि हमें मंदिर निर्माण चाहिए। इसके बाद से लगा कि संघ और भाजपा से जुड़ा एक वर्ग मंदिर निर्माण को लेकर आगे कोई पहल करेगा लेकिन इस बयान से यह साफ संकेत मिला है कि आरएसएस का रुख फिलहाल संतों पर ही निर्भर है। हालांकि, संघ चालक ने यह भी कहा कि राम मंदिर हमारी आस्था का विषय है। उधर शिवसेना ने भी राम मंदिर का राग अलापना शुरू कर दिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि वे राम मंदिर के मामले में भाजपा के साथ हैैं। अयोध्या सीढ़ी है सत्ता तक पहुंचने की उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का माहौल बनते ही भगवान राम का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है।  प्रधानमंत्री ने दशहरा समापन पर जय श्री राम का नारा लगाया था और अब उनके सांसद-मंत्री उसी एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं। विजयदशमी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ की ऐशबाग रामलीला में जय श्री राम के उद्घोष से अपना भाषण खत्म किया ही था। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद में कहा कि वे बाबरी मस्जिद मामले में रोजाना सुनवाई के लिए आवेदन करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई है कि रोजाना सुनवाई से मामले का निपटारा होगा और इससे राम मंदिर निर्माण के अभियान को रफ्तार मिलेगी। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भी 25 एकड़ जमीन का मौका-मुआयना किया जहां रामायण म्यूजियम बनाया जाना है। इसके लिए उन्होंने 154 करोड़ रुपए की सौगात भी दी है। म्यूजियम में लोग भगवान राम के विविध रूपों के दर्शन कर सकेंगे। अयोध्या को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करना इसका उद्देश्य बताया गया है। इन तमाम कसरतों से अचानक ही इस पिछड़े राज्य में राम और अयोध्या का मुद्दा हावी हो गया है। -दिल्ली से रेणु आगाल
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^