वास्तु दोष या वहम
02-Nov-2016 08:39 AM 1235106
आधुनिक भारत के सबसे बड़े आर्किटेक्ट माने जाने वाले पद्मश्री चाल्र्स कोरिया ने देश में कई महत्वपूर्ण इमारतें डिजाइन करके दी हैं, लेकिन एक इमारत के बहाने आज उनके डिजाइन को मनहूस तक कहा जा रहा है। यह डिजाइन है मध्यप्रदेश विधानसभा की।  विधानसभा का आर्किटेक्ट इतना शानदार है कि इसे देश की खूबसूरत इमारतों में गिना जाता है। लेकिन अपने निर्माण के समय से ही वास्तुदोष के कारण चर्चा में रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के इस भवन में विधानसभा शुरू होने  से अब तक 30 विधायकों का देहावसान हो चुका है। और हर मृत्यु को विधानसभा के वास्तुदोष से जोड़ दिया जाता है। एक बार फिर विधानसभा के वास्तुदोष का मामला सुर्खियों में है। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यदेव कटारे के निधन के बाद इस बात को इस बार हवा दी है भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने। कैलाश ने कटारे के निधन के तुरंत बाद ट्वीट किया- नए विधानसभा भवन में विधानसभा लगने के बाद से विधायकों का दुखद निधन जारी है... फिर आगे कैलाश अपनी ही बात पर सवालिया निशान लगाते हैं और लिखते हैं- यह केवल संयोग है, वास्तुदोष है या कुछ और...? विजयवर्गीय के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। कई लोग फेसबुक और ट्वीटर पर तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं। कुछ लोगों ने तो इसे हॉरर विधानसभा भी बताया है। इस बड़ी इमारत की डिजाइन और वास्तु दोष को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 1956 में मध्यप्रदेश के गठन से 1996 तक मप्र विधानसभा मिंटो हॉल में लगती थी। फिर नए विधानसभा के निर्माण के बाद विधानसभा 1981 से उसमें लगने लगी। वर्ष 2006 तक 16 विधायकों की मौत से सरकार को भी बयान देना पड़ गया था कि वह इस विधानसभा का निरीक्षण वास्तुशास्त्रियों से करवाएगी। इसके बाद कई साल तक विधानसभा का एक गेट बंद कर दिया गया था। सन 2006 की बात है जब एक के बाद एक विधायकों की आकस्मिक मौत होने लगी तो सरकार भी चिंतित हो गई थी। उस समय भाजपा सरकार ने तय किया था कि वह विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार चाल्र्स कोरिया की डिजाइन किए गए इस विधानसभा का निरीक्षण वास्तुशास्त्रियों से करवाएगी। कैलाश विजयवर्गीय जब लोक निर्माण मंत्री थे तब उन्होंने यह बात कही थी कि निरीक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट सीएम को दी जाएगी और यदि जरूरी हुआ तो विधानसभा को वास्तुसंगत बनाने के लिए छोटी-मोती तब्दीलियां भी की जाएगी। 2008 से 2013 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे ईश्वरदास रोहाणी ने भी वास्तुदोष शांति के लिए विशेष पूजा करवाई थी। इसके बाद रोहाणी का भी आकस्मिक निधन हो गया था। नई विधानसभा भवन का गोलाकार होना गलत माना जाता है। इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम से आती हुई सड़क, नजदीक में छोटे तालाब को वास्तु के लिहाज से भी उचित नहीं माना जाता है। जब एमएन बुच विधानसभा निर्माण समिति के अध्यक्ष थे तो उनका भी निधन हो गया था। हालांकि वे विधानसभा के वास्तुदोष से इत्तेफाक नहीं रखते थे। एमएन बुच ने भी दस साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि विधानसभा भवन की डिजाइन बनाते समय चाल्र्स कोरिया ने वास्तु पुरुष मंडल नामक सिद्धांत को अपनी डिजाइन में शामिल किया था। इस सिद्धांत को ऊर्जा उत्पन्न करने वाला सिद्धांत माना जाता है। ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री ने अपने अध्ययन के बाद विधानसभा भवन के कुछ वास्तुदोष गिनाएं है। पं धर्मेन्द्र शास्त्री मानते हैं कि इन वास्तुदोष के कारण विधानसभा भवन के सदस्यों की असामायिक मौत हो रही है। धर्मेन्द्र शास्त्री के अनुसार मध्यप्रदेश विधानसभा भवन में तीन मुख्य वास्तुदोष हैं। पहला विधानसभा भवन का गोलाकार चारों कोने कटे हुए है और नाभि स्थल ब्रह्म स्थान सबसे नीचा है इस कारण उसके सदस्यों की हानि होती है। दूसरा दक्षिण-पश्चिम दिशा के द्वार से आने वाली सड़क भी वास्तुदोष से पीडि़त है। तीसरा भवन के पास में स्थित छोटा तालाब भी वास्तुदोष का कारण है। पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री विधानसभा के वास्तुदोष के निवारण के उपाय भी बताते हैं। उनका कहना है कि विधानसभा भवन के अन्दर चारों कोण को ठीक करवाने का काम काम किया जाए, चारों कोणों में दर्पण लगवाकर वास्तुदोष समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा विधानसभा भवन की चारों दिशाओं में अभिमंत्रित वास्तुदोष निवारक यंत्र विधि विधान से स्थापित करवाकर भी वास्तुदोष समाप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही विधानसभा भवन में वास्तु मंत्र के पांच लाख जाप करवाकर विधिवत वास्तुदोष शान्ति पूजा अनुष्ठान करवाने से वास्तुदोष निवारण होगा। लेकिन विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह कहते हैं कि विधायकों के निधन को विधानसभा के वास्तुदोष से जोड़ा जाना ठीक नहीं है। जहां तक वास्तुदोष की बात हैं तो विधानसभा के वास्तुदोष की बात निर्माण के तुरंत बाद सामने आयी थी और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने विशाल हवन पूजन भी करवाया था। वहीं दक्षिण -पश्चिम द्वार में जो वास्तुदोष बताया जा रहा है। उसका पहले ही उपाय कर उसे बंद कर दिया गया था। एपी सिंह ये भी कहते हैं कि विधायक तो सिर्फ विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा पहुंचते हैं। विधानसभा के कर्मचारी तो हमेशा यहीं रहते हैं। उनके साथ तो ऐसी घटनाएं नहीं हो रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव कहते हैं कि  विधायकों की मौत को अक्सर वास्तु-दोष से जोड़ा जाता रहा है, अगर वास्तव में ऐसी कोई बात है तो इस पर सभी विधायकों की एक राय हो तो जांच करवानी चाहिए, पिछले दो दशकों में तकरीबन 25 विधायकों की मौत हुई है जिनमें से अधिकांश मामलों को वास्तुदोष से जोड़ा गया है। हमने देखा है कि समय-समय पर इसे लेकर पूजा-हवन भी होता रहा है, लेकिन इसके बावजूद अगर सबकी राय हो तो सरकार इस पर जांच करवा सकती है। वहीं गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि विधायकों की मौत को लेकर पहले भी ऐसी बातें होती रही हैं। लेकिन किसी भी विधायक की मृत्यु का वास्तुदोष से कोई लेना-देना नहीं है। जितनी भी मौत हुई है वो या तो लंबी बीमारी के कारण अस्वस्थ्य रहने से हुई हैं या फिर अन्य कारणों से सत्यदेव कटारे की मौत से हम सभी दुखी हैं लेकिन इसको किसी वास्तु दोष से जोडऩा दुर्भाग्यपूर्ण है। कुल मिलाकर देखा जाए तो विधानसभा के वास्तुदोष को लेकर अभी भी असमंजस है। दिग्विजय सिंह ने करवाया था वास्तुदोष निवारण यज्ञ विधानसभा में वास्तुदोष की चर्चा उसके निर्माण के समय से ही शुरू हो गई थी। सितंबर 1984 में भवन का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। विश्व विख्यात वास्तुकार चाल्र्स कोरिया विधानसभा भवन के मुख्य वास्तुकार थे। सन् 1981 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने नई विधानसभा भवन का शिलान्यास किया था और दिसंबर 1984 में भोपाल गैस कांड हुआ तब भी वास्तु दोष की चर्चाएं होती रहीं। दुनिया की इस भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड का दोषी भी कथित रूप से नए विधानसभा भवन की डिजाइन को मान लिया गया था। उसके बाद बराबर विधानसभा का वास्तुदोष चर्चा में रहा। वास्तुदोष की आशंका के चलते दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते वास्तु दोष निवारण के लिए यज्ञ करवाया था। लेकिन विधायकों के निधन का सिलसिला चलता रहा।  2006 में एक के बाद एक कई विधायकों की मौत के बाद भी विधानसभा के वास्तुदोष को लेकर काफी चर्चाएं होती रहीं। तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने वास्तु के जानकार लोगों से जांच की बात कही थी। अंधविश्वास के चलते ही विधानसभा का एक गेट बरसों से बंद है। वहीं विधायकों के प्रवेश के लिए मजार के पास से एक नया रास्ता बनाया गया है। फिर भी विधायकों का निधन हो रहा है। इस विधानसभा में इनका रह गया सफर अधूरा नई विधानसभा में जबसे सदन की कार्यवाही शुरू हुई है तबसे लेकर अब तक 30 विधायकों की असमय मृत्यु हुई है। इनमें से कुछ का बीमारी तो कुछ का अन्य कारणों से देहावसान हुआ है। लेकिन इसे वास्तुदोष से जोड़कर देखा जाता है। सबसे अधिक 11वें विधानसभा में 10 विधायकों का देहांत हुआ है। वहीं 14वीं विधानसभा में अभी तक 6 विधायकों का देहांत हो चुका है। 11वीं विधानसभा (1998-2003) :- ओंकार प्रसाद तिवारी, कृष्णपाल सिंह, मगनसिंह पटेल, रणधीर सिंह, लाल सिंह पटेल, दरियाव सिंह सोलंकी, शिवप्रताप सिंह, संयोगिता देवी, लिखिराम कांवरे, वेस्ता पटेल। 12वीं विधानसभा (2003-2008) :- लक्ष्मण सिंह गौड़, प्रकाश सोनकर, दिलीप भटेरे, किशोरीलाल वर्मा, सुनील नायक, अमर सिंह कोठार, लवकेश सिंह। 13वीं विधानसभा (2008-2013):- जमुना देवी, ईश्वरदास रोहाणी, रत्नेश सॉलोमन, माखनलाल जाटव, खुमान सिंह शिवाजी, हरवंश सिंह। 14वीं विधानसभा (2013 से अब तक):- तुकोजीराव पवार, सज्जनसिंह उइके, राजेश यादव, राजेंद्रसिह दादू, प्रभात पांडे और अब सत्यदेव कटारे। -विशाल गर्ग
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