02-Nov-2016 08:23 AM
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1981 में स्थापित कूनो सेंचुरी के अब भाग्य बदलने वाले हैं। यानी इस सेन्चुरी को जल्द ही नेशनल पार्क का दर्जा मिलने वाला है। साथ ही गुजरात सरकार कूनो के लिए गिर नस्ल के 16 शेर देने तैयार हो गई है। इससे मध्यप्रदेश का गौरव और बढ़ेगा। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश में वन्य-जीव संरक्षित क्षेत्र 10989.247 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो देश के दर्जन भर राज्य और केंद्र शासित राज्यों के वन क्षेत्रों से भी बड़ा है। मध्यप्रदेश में 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र हैं। यहां 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्य-प्राणी अभयारण्य हैं। कूनो 11वां नेशनल पार्क बनने जा रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि करीब तीन महीने पहले मप्र सरकार ने कूनो को नेशनल पार्क बनाने का प्रस्ताव दिल्ली भेजा था। कूनो सेंक्चुरी में हजारों प्रजाति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे व जड़ी-बूटियां के अलावा कई विविधताएं देख भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कूनो को नेशनल पार्क बनाने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। कूनो सेंक्चुरी की स्थापना तो 1981 में हुई थी, लेकिन गुजरात की गिर सेंक्चुरी से गिर नस्ल के शेर श्योपुर कूनो सेंक्चुरी में शिफ्ट करने की सिंह परियोजना 1995 में स्वीकृत हुई। लेकिन गुजरात सरकार की आपत्तियों के कारण 21 साल बाद भी गिर के शेर कूनो नहीं आ पाए। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद गुजरात सरकार 16 शेर कूनो को देने तैयार है। गुजरात से कूनो में शेर शिफ्टिंग के लिए नवंबर महीने में गुजरात व दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम श्योपुर आ रही है।
कूनो सेंक्चुरी श्योपुर के डीएफओ बृजेन्द्र श्रीवास्तव कहते हैं कूनो अभी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी है, लेकिन कूनो में वह सभी विशेषताएं हैं जो नेशनल पार्क में होती हैं। भारत सरकार को हमारा प्रस्ताव पसंद आया है जल्द ही कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा मिलने की पूरी संभावना है। गिर के शेरों की शिफ्टिंग की प्लानिंग अंतिम चरणों में ही है। शेर व नेशनल पार्क की मान्यता मिलते ही श्योपुर की कूनो का नाम दुनियाभर में होगा। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में गठित एक्सपर्ट कमेटी की हाल ही में हुई 5वीं बैठक में गुजरात के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जमाल अहमद खान ने इस पर पहली बार खुलकर बात रखी। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने जब पालपुर के वातावरण पर संदेह जताया, तो मप्र के तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रवि श्रीवास्तव ने दौरा करने को कहा। खान ने शेर देने के लिए कूना को नेशनल पार्क बनाने की शर्त भी रखी है। इसके बाद शिफ्टिंग के मसले पर निरीक्षण सहित त्रिपक्षीय समझौते का मसौदा तय किया गया। इसकी पुष्टि खुद पीसीसीएफ श्रीवास्तव ने की है। उल्लेखनीय है कि बब्बर शेर की इस प्रजाति को बचाने के लिए केंद्र ने 1995 में शिफ्टिंग की रणनीति पर काम शुरू किया था। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम ने सेटेलाइट की मदद से शेरों के लिए अनुकूल जगह तलाशी थी, जिसमें कूनो सबसे मुफीद मिला तो राज्य सरकार ने 14 गांव के लोगों को शिफ्ट कर 2005 में इसे शेरों के लिए तैयार करा दिया, लेकिन अब जाकर गुजरात शेर देने को तैयार हुआ है।
जावड़ेकर की सहमति
से खुला रास्ता
मोदी सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बने प्रकाश जावड़ेकर कूनो सेंक्चुरी के विकास के पक्ष में हैं क्योंकि वह मप्र से राज्यसभा सदस्य बनने के बाद मंत्री बने हैं। श्री जावड़ेकर ने ही गुजरात के शेर बूनो में लाने के लिए अब तक के सबसे सार्थक प्रयास किए हैं। पांच महीने पहले उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि कूनो में गुजरात के शेर लाए जाएंगे। कूनो को नेशनल पार्क बनाने के प्रस्ताव को भी सबसे पहले श्री जावड़ेकर ने ही अपनी सैद्धांतिक मंजूरी देकर आगे बढ़ाया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर की मंजूरी के बाद भारत सरकार ने भी कूनो को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। शेरों के लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। केंद्र ने पहले पालपुर अभयारण्य का एरिया बढ़ाने को कहा था। राज्य सरकार ने 320 वर्ग किमी एरिया बढ़ाने की तैयारी की है। हफ्तेभर में इसका नोटिफिकेशन भी हो जाएगा। इसके बाद अभयारण्य का एरिया 665 वर्ग किमी होगा।
-भोपाल से राजेश बोरकर