कूड़े पर गर्माई सियासत
02-Nov-2016 08:16 AM 1234850
दिल्ली में आम आदमी की पार्टी की सरकार है, लेकिन फिर भी आम आदमी बेहाल है। सितंबर में चिकुनगुनिया के दर्द से कराहने वाले राजधानीवासियों का दर्द अभी कम होना शुरू हुआ ही है की डेंगू के डंक ने लोगों का बीमार कर दिया है। दिल्ली में चिकुनगुनिया और डेंगू के फैलने की मुख्य वजह है कूड़े के अंबार। लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करते हुए सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही हिदायत दी है कि दिल्ली सरकार ब्लेम गेम को छोड़े और डेंगू को रोकने के लिए उचित कदम उठाए। दरअसल, दिल्ली में कूड़ा बीमारियों का घर हो गया है। दिल्ली में बढ़ते कूड़े के अंबार की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दूसरों को समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराना दबंगई है। यह मत कहें कि शहर को साफ रखने में विधायकों की कोई जिम्मेदारी नहीं है। आपके पास इतने सारे विधायक हैं। आपको उन्हें कहना चाहिए कि वे शहर में साफ-सफाई रखने के लिए जागरूकता फैलाएं।Ó कोर्ट ने कहा है कि  कूड़े के 45 मीटर ऊंचे अंबार लगना खतरे की घंटी है।Ó सरकारों तथा नगर निगमों के रोजाना के जो दायित्व हैं, जब वे भी पूरे नहीं किए जाते तो नागरिकों को हार मान कर अदालत की शरण लेनी पड़ती है। फलस्वरूप किसी सरकार को कभी कानून-व्यवस्था को लेकर अदालत की खरी-खोटी सुननी पड़ती है तो किसी सरकार को साफ-सफाई को लेकर। ताजा मामला दिल्ली का है। अदालत ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। अदालत डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के मामले में सुनवाई कर रही थी। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ पर चिंता जताते हुए अदालत ने इसे बहुत ही खतरनाक स्थिति करार दिया। लेकिन सवाल है कि कूड़े के निस्तारण का जिम्मा जिन पर है उन्हें इसकी कितनी फिक्रहै? सच तो यह है कि इस मामले में दिल्ली सरकार और नगर निगमों का रवैया लापरवाही भरा रहा है। दिल्ली सरकार को अदालत की फटकार लग चुकी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नगर निगमों को भी ऐसा ही पाठ पढऩे को मिलेगा। सुनवाई के दौरान आप सरकार के वकील ने बताया कि दिल्ली में कुल छह लैंडफिल क्षेत्र हैं जिनमें से तीन में कूड़े का ढेर पैंतालीस मीटर ऊंचा हो चुका है। यह कुतुबमीनार की आधी ऊंचाई से ज्यादा है। इस तथ्य से अदालत का चिंतित होना स्वाभाविक था। उसने नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार से पूछा कि कूड़े का निस्तारण कैसे होगा? आपके पास क्या योजना है? इस सवाल पर दिल्ली सरकार ने कहा कि कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी निगमों की है। मगर अदालत ने दिल्ली सरकार को नहीं बख्शा और कहा कि आपके पास इतने विधायक हैं, उन्हें इस मामले में जन-जागरूकता फैलाने में क्यों नहीं लगाते? विधायक साफ-सफाई के लिए लोगों को जागरूक करें, इससे अच्छी बात और क्या होगी! पर यह सवाल अपनी जगह बना रहता है कि आखिर दिल्ली के तीनों नगर निगम क्या कर रहे हैं? लेकिन इस बार अदालत की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने देर से ही सही सफाई की व्यवस्था कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य अदालत कब तक निभाती रहेगी। आप के मंत्रियों ने विदेशी दौरों पर करोड़ों रूपए फूंके आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए दिल्ली कांग्रेस का कहना है कि सरकार के मंत्री, सरकारी तथा पार्टी के पदाधिकारियों ने अपने विदेशी दौरों पर जनता के करोड़ों रूपए बर्बाद किए जबकि डेंगू व चिकनगुनिया से दिल्ली वाले परेशान थे और मंत्री विदेश घूम रहे थे। कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी कहती हैं कि पिछले 18 महीनों मे आप पार्टी की दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने दस विदेश यात्राएं की हैं, जिसमें मनीष सिसोदिया ने सबसे ज्यादा छह विदेश यात्राएं की हैं। सिसोदिया की यात्राओं पर तीस लाख रूपए से अधिक की राशि खर्च हुई है। सिसोदिया साउथ पोलों में एक दिन का सम्मेलन अटैन्ड करने गए थे, लेकिन इससे पहले वह रियो व जेनेरियो व बाद में इगियाजु फाल व अर्जेटाईना गए, उनका दौरा भी उस समय रहा जब दिल्ली में डेंगू चरम पर था।  स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने विदेशी दौरे में दूसरे पायदान पर हैं, जिसमें उन्होंने एक साल में 3 विदेशी दौरों पर 18 लाख रूपए खर्च किए हैं। जब अरविन्द केजरीवाल मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने के उपलक्ष्य में होने वाले समारोह में रोम गए थे, उनकी दो दिवसीय यात्रा पर 13.50 लाख रूपए खर्च हुए। आप नेता आशीष खेतान सरकारी खर्च स्टडी के लिए मेनचेस्टर और स्वीडन गए, तो वहीं बिना किसी स्पष्टï कार्य के सतेन्द्र जैन भी उनके साथ दो दिन लंदन में रहे। मुखर्जी ने बताया कि सतेन्द्र जैन व गोपाल राय मंत्रियों के सहित 10 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल स्वीडन गया था, जिसमें उन्होंने प्रथम श्रेणी व बिजनेस क्लास में हवाई यात्रा की थी। इससे दिल्ली सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगी है। -अक्स ब्यूरो
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