अब ब्रांड बुंदेलखंड बोलिए
02-Nov-2016 08:00 AM 1234799
अक्सर बुंदेलखण्ड का नाम आते ही हमारे सामने सूखे, भूखे, प्यासे और बदहाल क्षेत्र की तस्वीर सामने आ जाती है। यही कारण है कि जब भी चुनावी चूल्हा जलता है तो उसकी आंच पर बुंदेलखण्ड के विकास की हांडी चढ़ा दी जाती है। उत्तरप्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के कारण एक बार फिर से बुंदेलखण्ड में चौसर बिछने लगी है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रांड बुंदेलखण्ड का नारा देकर वहां की जनता से समर्थन मांगा है ताकि वे उत्तरप्रदेश के हिस्से के बुंदेलखण्ड को मप्र के बुंदेलखण्ड की तरह खुशहाल बना सके। मोदी ने 24 अक्टूबर अपनी बुंदेलखंड के मोहबा यात्रा के दौरान मप्र की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने उत्तरप्रदेश के लोगों को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड का उदाहरण पेश किया। उन्होंने केन-बेतवा नदी को जोडऩे वाली परियोजना से बुंदेलखंड में खुशहाली का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड आगे है, वहां राज्य सरकार ने केंद्र के पैसे का पूरा उपयोग किया। मप्र में सरकार ने 90 फीसदी धन का उपयोग किया। जबकि उत्तरप्रदेश में 40 फीसदी ही धन का उपयोग हुआ। इसका कोई हिसाब नहीं। बाकी पैसा कहां गया, इसका कुछ पता नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार ने 47 हजार कुओं का काम पूरा किया। जबकि उत्तरप्रदेश में सपा बसपा के खिलाफ और बसपा सपा के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाती है। इसलिए अब बुंदेलखण्ड के विकास के लिए भाजपा को समर्थन दीजिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना है तो जनता को सपा-बसपा के मकडज़ाल से बाहर निकलना होगा। जनता को सपा-बसपा से बचना होगा, एक को परिवार बचाने की चिंता है तो दूसरी पार्टी सत्ता के लिए तड़प रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बुंदेलखंड अंचल में जल संकट के समाधान के लिए केन और बेतवा नदियों को जोडऩा अटल जी का सपना था और उमा भारती उस काम को आगे बढ़ा रही हैं। अटल जी ने नदियों को जोडऩे का सपना देखा था, मगर बीच में ऐसे लोग आ गये जिन्हें लोगों से ज्यादा चिंता अपने हितों की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग गुजरात में रहते हैं। मैं उनसे पूछता था कि आप किस बुंदेलखंड के हैं। मप्र वाले या उप्र वाले। वे कहते थे उप्र वाले, क्योंकि वहां रोजगार नहीं होता। मोदी ने कहा कि बुंदेलखंड में पानी का प्रबंध कर दिया तो यहां का किसान मिट्टी में से सोना उपजा सकता है। प्रधानमंत्री के आव्हान के बाद वहां के लोगों में विकास की आस जगी है। प्रधानमंत्री ने ब्रांड बुंदेलखण्ड का जो नारा दिया है उसके पीछे एक युवक का हौंसला है। क्योंकि इन दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी सहित पूरे यूपी और एमपी के बुंदेलखंड में सूखा, पिछड़ा और भूखा कहना छोडिए, अब बुंदेलखंड को ब्रांड बुंदेलखंड बोलिए कि टैगलाइन गूंज रही है। बुंदेलखंड की मिट्टी में पले बढ़े एक युवा की सराहनीय पहल ने बुंदेलखंड को ब्रांड बना दिया है। इस युवा ने चाहे बुंदेलखंड का खान-पान हो या फिर कला संस्कृति और हस्तशिल्प से जुड़ी चीजें, इन सबको पहले तो ऑनलाइन बाजार के जरिए मशहूर किया और अब उन्होंने स्टार्ट अप के जरिए बुंदेलखंड को राजधानी भोपाल के शॉपिंग मॉल की शोभा भी बना दिया है। सचिन चौधरी नाम के इस युवा की पहल पर ब्रांड बुंदेलखंड को जहां बुंदेलखंड कनेक्ट अवार्ड से नवाजा गया है, वहीं दूरदर्शन ने मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर ब्रांड बुंदेलखंड को बेहतर स्टार्ट अप की फेहरिस्त में शामिल किया है। सचिन ने बुंदेलंखड को ब्रांड बनाने के जुनून को अपने दिल में पाला और करीब 10 साल के अपने अनुभव और 2 साल के शोध के बाद बुंदेलखंड को ब्रांड बनाने का ब्ल्यूप्रिंट तैयार किया। मुख्य रूप से यूपी के ललितपुर जिले के तालबेहट के निवासी सचिन चौधरी ने अपनी योजना को साकार करने के लिए बिना किसी सरकारी या बाहरी मदद के आगे बढऩे की तैयारी की। इसलिए प्रधानमंत्री की भी मंशा है कि बुंदेलखण्ड का हर युवा इसी तरह आगे बढ़े। पिछड़ा, सूखा, भूखा कहना छोडि़ए बुंदेलखंड की नकारात्मक छवि को बदलने के लिए सकारात्मक पहलुओं को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ बुंदेलखंड को सहानुभूति की नहीं, मजबूती की जरूरत है। क्योंकि बुंदेलखण्ड प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। इसी को ध्यान में रखते हुए सचिन ने बुंदेलखंड का अपना ऑनलाइन बाजार शुरू किया। इस ऑनलाइन बाजार में बुंदेलखंड के पर्यटन, कला, संस्कृति से लेकर खान-पान, साहित्य की सुविधाएं लोगों को ऑनलाइन उपलब्ध कराई। सचिन कहते हैं कि इस कोशिश के साथ मेरा एक ही निवेदन है कि पिछड़ा, सूखा, भूखा कहना छोडि़ए, अब बुंदेलखंड को ब्रांड बुंदेलखंड बोलिए। -श्याम सिंह सिकरवार
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