18-Oct-2016 08:12 AM
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प्र में लगातार चौथी बार सरकार बनाने की तैयारी में जुटी भाजपा को अपनी व्यवस्था में बड़ी खोट नजर आई है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले विभागीय अधिकारियों को और अब मैदानी अफसरों को अपनी कसौटी पर कसने जा रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री ने 25 और 26 अक्टूबर को कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस बुलाई है। इस बैठक में कलेक्टरों से उनके जिलों की फ्लैगशिप योजनाओं का हिसाब लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के सामने अपने जिले की बेहतर तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए कलेक्टर अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। ऐसे में उन जिलों के कलेक्टरों को खासी परेशानी हो रही है जो नवागत हैं।
उल्लेखनीय है कि 14 दिसम्बर 2013 को लगातार तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पांच दिन बाद यानी 19 दिसंबर 2013 को शिवराज सिंह चौहान ने कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस बुलाई थी। जिसमें सभी जिला कलेक्टरों ने अपनी आगामी योजनाओं की जानकारी दी थी और सरकार ने अपना लक्ष्य बताया था। उसके बाद कई बार मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग कर कमिश्रर और कलेक्टर से जिलों का हाल जाना। लेकिन अब करीब 3 साल बाद एक बार फिर कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस होने जा रही है। इस कांफ्रेंस को चुनावी तैयारी माना जा रहा है। कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम जहां जिलों की फ्लैगशिप योजनाओं का हाल जानेंगे वहीं नए टारगेट भी देंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि 1 मिनट में कलेक्टरों को 3 साल का हिसाब देना होगा। अगर गलती हुई तो बचने की कोई गुंजाइश नहीं है।
राजधानी के नर्मदा भवन में होने वाली कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में कलेक्टरों को कठिन परीक्षा देनी होगी। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने संशोधन कार्यक्रम सभी जिलों में भेजा है। कांफ्रेंस में 16 नगर निगमों के कमिश्नर, सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक, आईजी रेंज, सीईओ जिला पंचायत, कलेक्टर और संभाग आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, सचिव, अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव भी शामिल होंगे। कांफ्रेंस में पहली बार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्त चार अधिकारियों को भी बुलाया गया है। कांफ्रेंस शुरू होने के पहले दिन आधा घंटे का उद्घाटन सत्र होगा। सबसे पहले नगरीय कल्याण विभाग की क्लास लगेगी। एक घंटे की पाठशाला में नागरिक-केन्द्रित सेवाओं का क्रियान्वयन, शहरी आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी स्वच्छता मिशन) पर फोकस होगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग व श्रम विभाग के लिए भी एक घंटा मिलेगा। मुख्यमंत्री कलेक्टर के अलावा कमिश्नर, सीईओ जिला पंचायत और एसीएस से भी सवाल-जवाब करेंगे। इसलिए कांफ्रेंस के दौरान कलेक्टरों के आलावा कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक और नगर निगम के आयुक्तों को भी तैयारी के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है।
कांफ्रेंस में स्वास्थ्य विभाग के लिए महज आधे घंटे का समय रखा गया है। इसमें मुख्यमंत्री सिर्फ बिंदू मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना, जिला अस्पतालों में डायलिसिस तथा कीमोथेरपी और शासकीय अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण व गड़बड़ी मिलने पर की गई जांच का हिसाब पूछेंगे। अन्य विभागों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय विभाग, एमएसएमई, ग्रामीण विकास, नगरीय और वित्त विभाग से संबंधित योजनाओं की जानकारी ली जायेगी।
सभी कलेक्टरों को कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस में यह बताना होगा कि पिछली कांफ्रेंस से लेकर अब तक जिलों में क्या प्रगति रही है। खास तौर पर पिछले एक साल के दौरान राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, सबके लिए आवास, किसानों को जीरो फीसदी पर कर्ज वितरण, खाद-बीज वितरण, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से कितने लोगों को रोजगार दिया गया।
सीएम की क्लास में पास होने के लिए कलेक्टर तैयारी में जुटे हैं। हितग्राहीमूलक योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई संबंधी रिकार्ड दुरुस्त किए जा रह हैं। कलेक्टरों द्वारा तैयारी यहां तक की जा रही है कि अगर सीएम किसी शिकायतकर्ता से सीधे बात भी करना चाहें तो उन्हें यही उत्तर मिले कि समस्या का समाधान हो गया हैÓ। सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों को निल करने के लिए कलेक्टरों का होमवर्क जारी है। सागर के कलेक्टर विकास नरवाल ने कांफ्रेंस के पहले नवाचार भी शुरू कर दिया है। उन्होंने निर्णय लिया है कि शिकायतकर्ताओं की संतुष्टि के लिए संतुष्टि कार्यक्रम चलाया जायेगा। कलेक्टरों ने अधिनस्थ अफसरों को ताकीद किया है कि उनके अनुभाग के अन्तर्गत लंबित सभी मामलों का निराकरण सीएम कांफेंस होने के पहले हों। सागर कलेक्टर ने सभी अफसरों को तलब करते हुए फटकार भी लगाई है। उन्होंने कहा है कि कलेक्टोरेट की जनशिकायत शाखा में शिकायतें दो दिन से अधिक लंबित नहीं रहना चाहिए। खासतौर पर सीएम हेल्पलाइन के तहत एल-1 (तहसील) स्तर पर निराकरण करने कहा है।
विभागीय मंत्रियों से भी होगा सवाल-जवाब
इस कांफ्रेंस में विभागीय मंत्रियों से भी सवाल-जवाब होगा। इसलिए सभी मंत्रियों को भी तैयारी करके आने को कहा गया है। मंत्रियों से भी योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में पूछताछ हो सकती है। अफसरों द्वारा पहले से तय हुए बिन्दुओं पर अपने विभाग के मंत्रियों को परफेक्ट किया जा रहा है। वैसे इस बैठक को मिशन 2018 की तैयारी भी माना जा रहा है।
बताया जाता है कि संघ की रिपोर्ट के साथ ही मुख्यमंत्री को भी अपनी यात्राओं के दौरान यह देखने को मिला है कि जिलों में योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरती जा रही है। अगर इस स्थिति को नहीं सुधारा गया तो मिशन 2018 पर पानी फिर सकता है। वैसे दो साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं लेकिन मौजूदा स्थिति में सरकार के खिलाफ जमीनी स्तर पर माहौल बन रहा है। पिछले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन ठीक-ठाक नहीं रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस के जरिए महत्वकांक्षी योजनाओं की जमीनी हकीकत का अंदाजा लेंगे और मिशन 2018 के तहत नई रणनीति बनाकर काम करेंगे। साथ ही बैठक में सरकारी कामकाज को और बेहतर करने और पब्लिक डिलीवरी सिस्टम सुविधाजनक बनाने के लिए प्रदेश में रिवॉर्ड और पनिशमेंट पालिसी पर भी विचार होगा। इसके तहत राज्य में अच्छा काम करने वाले अफसरों को रिवॉर्ड और लापरवाह अफसरों को पनिशमेंट देने की नीति बनाई जाएगी। वर्तमान में अफसरों की जवाबदेही तो तय है लेकिन इसका कोई मापदंड नहीं है।
संघ के सर्वे के बाद उठाया कदम
बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सरकार को रिपोर्ट दी है की प्रदेश के आधे से अधिक जिलों में योजनाओं का बंटाढार हो गया है। इसको लेकर जनता में सरकार के प्रति आक्रोश है। तब जाकर मुख्यमंत्री ने इस कलेक्टर-कमीश्रर कांफ्रेंस को बुलाने का फैसला लिया। चूंकि दो साल बाद फिर विधानसभा चुनाव है इसलिए मुख्यमंत्री चाहते है कि जिलों में मैदानी तौर पर राज्य सरकार की योजनाओं का भलीभांति क्रियान्वयन हो। आम जनता की जिलेवार जरुरतों और समस्याओं का आंकलन कर उनका निपटारा किया जाए। इसलिए उन्होंने जिलों की समस्या, आवश्यकता और अब तक जिलों में कलेक्टरों ने क्या किया उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है। विभागवार निर्धारित किए गए समय के अनुसार एक कलेक्टर को 1 मिनट में पूरी बात बतानी होगी। कांफ्रेंस में प्रमुख फोकस स्वच्छ भारत अभियान और केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर होगा। प्रदेश की फ्लैगशिप योजनाओं पर भी कलेक्टरों से पूछताछ होगी।
3 साल बाद प्राथमिकता का क्या है हाल
19 दिसंबर 2013 को हई कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के आम आदमी के कार्य बगैर किसी अड़चन के हों यह मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। आम जन को महसूस हो कि यह उनका अपना शासन है। मुख्यमंत्री की तरह अधिकारी भी अपने आप को शासक नहीं, जनता का सेवक मानें। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जन सुनवाई रस्म अदायगी न होकर जनता की समस्याएं हल करने वाली हों। प्रशासन कर्मचारियों की सुविधा का ध्यान रखें पर पैनी निगाह रखकर भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टालरेंस की व्यवस्था लागू करें। हर जिला गुड गनर्वेंस का उदाहरण बने। कलेक्टर अपने जिले के विकास का प्रारूप तथा एक साल का एक्शन प्लान बनाएं। इसी से उनके काम का मूल्यांकन होगा। लेकिन बात आई गई हो गई की स्थिति में सिमट गई। क्योंकि उसके बाद इस कांफ्रेंस की प्राथमिकताओं की किसी ने सुध नहीं ली। मुख्यमंत्री ने पिछली कांफे्रंस में निर्देश दिए थ कि कलेक्टर अपने जिले में जन-कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से कराएं। लोकतंत्र में जनता की आकांक्षाओं को पूरा करें और प्रदेश के बेहतर विकास में योगदान करें। जन-सुनवाई जैसे कार्यक्रम रस्मी नहीं बनें बल्कि इनके माध्यम से आम जनता से बेहतर संवाद स्थापित करें। सबका आदर करें और उन्हें सुनें। जनता के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरें। आम आदमी की जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए काम करें। प्रक्रियाओं का सरलीकरण करें, आधुनिक तकनीक का उपयोग करें और आम जनता को मिलने वाली सुविधाएं तेजी से दिलवाएं। लोक सेवा गारंटी को और अधिक प्रभावी बनाएं। कलेक्टर जिले के सीईओ की तरह कार्य करें। भ्रष्टाचार के विरूद्ध राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है, कलेक्टर पैनी निगाह रखें और कहीं भी गड़बड़ी मिलने पर तत्काल कार्रवाई करें। अपने अमले की सुविधाओं का ध्यान भी रखें। पूरी गंभीरता से प्रदेश के निर्माण में सहयोग करें, लोगों की जिन्दगी में खुशियां लाएं और अपने जीवन को सार्थक करें। प्रत्येक काम को समय-सीमा में पूरा करें। विजन 2018 और जनसंकल्प को पूरा करने में सहयोग करें। लेकिन सभी निर्देश कागजी बन कर रह गए। गरीबों के लिये बनेंगे 15 लाख आवास, मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना, समग्र स्मार्ट कार्ड योजना, 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई, फसल बीमा और फसल हानि राहत, युवाओं को रोजगार के लिए कौशल उन्नयन, जिलों में सेल्फ इम्प्लायमेंट सेल की घोषणाओं के क्रियान्वयन की गति बेहद धीमी है।
-भोपाल से सुनील सिंह