पैदा करेगी आम जनता... पालेगी सरकार!
18-Oct-2016 09:22 AM 1234873
जब भारत सरकार जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक हर कदम पर, हर तरह की सरकारी सहायता कराने के लिए वचनबद्ध है, तो भारत की आबादी दिन दूनी रात चौगुनी गति से क्यों नहीं बढ़ेंगी! क्या आपको पता है कि हमारे देश की जनसंख्या लगातार क्यों बढ़ रही है? कुछ ही वर्षों में जनसंख्या के मामले में हम विश्व में नंबर वन क्यों बन जायेंगे? तो इसका मुख्य कारण है, हमारी सरकार! हमारे देश की सरकारी नीतियाँ!! आप कहेंगे कि सरकार का और जनसंख्या बढऩे का क्या संबंध है? बिल्कुल सीधा सा संबंध है। हमारे देश की आम जनता को, बच्चों को पालने के लिए कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती। या यु कहिए, हमारे देश में आम जनता बच्चे पैदा करती है और बच्चों को पालती सरकार है! ऐसे लोगों के लिए सरकार हर बरस करोड़ों रुपए सब्सिडी के रूप में खर्च कर रहीं है, जो पांच-पांच, दस-दस तक बच्चे पैदा कर रहे है और अपने कर्मों से गरीब है। सरकारी सहायता से ही ये गरीब, गरीबों की फौज बढ़ा रहे है! जबकि आयकर भरने वाले एक या दो बच्चों के माँ-बाप को, राशन की चीनी या मिट्टी के तेल से भी महरुम किया जाता है! खुद देश के जन प्रतिनिधि नहीं चाहते कि आबादी कम हो क्योंकि आज पैदा हुआ एक बच्चा 18 वर्ष बाद उनका वोटर बनेगा। बच्चा पैदा होने के बाद ही नहीं, बच्चा पैदा होने के पहले ही जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव होने पर प्रसुताओं को प्रसव के दौरान एवं प्रसवोत्तर देखभाल हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसके अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व तीन बार जांच, टीटेनस के टीके लगवाने एवं आयरन फोलिक एसिड की गोलियां उपलब्ध करवाने में केंद्र सरकार सहयोग करती है। सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली प्रसुती को अस्पताल से छुट्टी मिलते ही ग्रामीण क्षेत्रों में चौदह सौ रुपए और शहरी क्षेत्रों में एक हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इस प्रकार बच्चा पैदा होते ही उसकी माँ को सरकारी सहायता उपलब्ध करवाकर ये बता दिया जाता है कि जीवन की हर मुश्किल में भारत सरकार उसके साथ है। बच्चा तीन साल का होते ही महिला बाल विकास मंत्रालय बच्चे को स्वस्थ बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाकर बच्चे के माता-पिता को फील गुड करा देता है। इसके बाद प्राथमिक शिक्षा विभाग बच्चे को गोद लेने की जिम्मेदारी निभाता है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत जब तक बच्चा 14 साल का नहीं होता तब तक सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दी जाती है। इन सब मुफ्त की योजनाओं के सहारे बच्चा कब 8 वी पास कर लेता है, माता-पिता को पता ही नहीं चलता! गरीब ग्रामीण बच्चों को उपकृत करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग भी 12 वी पास करवा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। यदि बच्चा पढ़ाई में अच्छा है और ओबीसी, एससी आदि आरक्षित कोटे से आता है तो केंद्र की प्रतियोगी परिक्षाओं की पूरी कोचिंग फीस अब केंद्र सरकार वहन करती है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है, ऐसे बच्चों को गे्रज्युएशन करवाने के लिए सरकार उन्हें स्कॉलरशिप देकर पढऩे के लिए प्रोत्साहित करती है। अब बारी आती है बेरोजगारी भत्ते की, जिसके सहारे दो-तीन साल आराम से कट जाते है। और युवाओं के छोटे-मोटे शौक भी पूरे हो जाते है। ऐसे युवा सरकार का बदला चुकाने के लिए उसकी जन सभाओं में जोर-शोर से हिस्सा लेते है एवं अपनी सारी शक्ति नेताजी की प्रतिष्ठा बढ़ाने में लगा देते है। जो युवा कम सक्रिय है, उनके लिए सरकार ने मनरेगा नाम की एक योजना का अविष्कार किया है। जिसके अंतर्गत इस योजना से जुड़े सभी अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को 100 दिन के लिए मुफ्त के सेवक मिल जाते है। कभी-कभी सोचने पर मजबूर हो जाती हूं कि 18 साल तक एड़ी-चोटी का जोर लगाकर, इतने पैसे खर्च कर कर भारत सरकार ऐसे कुशल कामगारों का निर्माण करती है, जो मनरेगा जैसी योजनाओं में साल में सिर्फ 100 दिन काम कर कर अपने-आप को धन्य समझते है! और सरकार भी इन्हें काम देकर अपनी पीठ थपथपाती है!! अब यदि कोई 100 दिन काम करकर भी जीवनयापन न कर सके तो, सरकार उन्हें मुफ्त सरकारी राशन, सब्सिडी वाला रसोई गैस, शौचालय बनाने के लिए सरकारी मदद और इंदिरा आवास योजना अंतर्गत मुफ्त घर देती है।  चुनाव के समय तो इन लोगों की चांदी ही चांदी रहती है! मुफ्त में साड़ी, कंबल एवं दारू भी मिल जाती है। कई बार तो वोट के एवज में, नोटों से इनकी जेब तक भरी जाती है। इतना ही नहीं, हमारी सरकार तो जीवन के अंत समय में भी इनका साथ देती है। केंद्र या राज्य सरकार के किसी मजदूर की मृत्यु पर उसके अंतिम संस्कार के लिए भी सरकार आर्थिक सहायता देती है! ऐसी और भी बहुत सारी योजनाएं केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जाती है जिनका उल्लेख यहां पर नहीं किया गया है। तो मेरे देशवासियों, अब आप ही बताइए, जब भारत सरकार जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक हर कदम पर, हर तरह की सरकारी सहायता कराने के लिए वचनबद्ध है, जनता को सिर्फ बच्चे पैदा भर करना होता है। - अनाम
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