03-Oct-2016 11:21 AM
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इतवार के रोज दोपहर बारह बजे तक लड़के के परिवार को आना था। लेकिन कॉल आया कि किसी जरूरी काम के लिए रुके हैं, फ्री होकर ही आएंगे। लेकिन तब भी कोई समय नहीं बताया। शाम छह बजे कॉल आया कि आधे घंटे में आ रहे हैं। लड़के के माता-पिता, चाचा-चाची और दो बहनें। (इसके पहले ये भी नहीं पता था कि कितने लोग आ रहे हैं!) खैर, खातिरदारी शुरू हुई, नाश्ते परोसे गए। अमूमन होता ये है कि औरतें घर के अंदर वाले कमरे में चली आती हैं, तो वैसा ही हुआ। लड़की गई, पानी का गिलास रखा और साइड में जाकर खड़ी हुई।
लड़के की मां : तुम्हें देखने आए हैं और तुम्हीं जा रही हो!
लड़की : देखिए ना, देखिए!
चाची : जॉब करती हो?
- जी
- क्या सोचा है, आगे भी करना है?
- हां, बिलकुल
- तो कैसे करोगी, बाकी घर-परिवार?
- कैसे मतलब क्या! करती हैं लड़कियां... दोनों संभल जाता है आराम से।
- हॉबीज क्या हैं?
- पढऩा, गाने सुनना और लिखना।
- अच्छा, लिखती भी हो?
एक बहन : पर हमें तो कोई ऐसा चाहिए, जो घर पर मां के साथ रह सके... क्योंकि सब चले जाएंगे तो कोई तो हो।
लड़की : (चुप) (मन में तो सबसे अच्छा है कि एक नौकर रख लो)
चाची : नाम क्या है तुम्हारा?
लड़की ने मन ही मन ठहाका लगाते हुए अपना नाम बताया।
सब आपस में : पूछो ना, तुम पूछो, क्या पूछें, कुछ पूछ लो...
एक बहन : तो आप जॉब करोगे ही (ऐसे जैसे वह अभी के अभी हां या ना का फरमान सुनाकर चल देगी)
लड़की : हां। तुम तो देख ही रही हो, हमारी जेनरेशन कैसे चल रही है... सब काम कर रहे हैं... बच्चे भी पैदा कर रहे हैं और घर भी संभाल रहे हैं, तुम्हारी ऐज क्या है?
बहन : 23
लड़की : तो तुम तो समझ रही होगी सब। हां, जिन्दगी में आगे कैसे क्या होगा, ये तो सिचुएशन पर डिपेंड करता है।
बहन : सब कर रहे हैं, आप अपने बारे में बताइये ना!
लड़की : हां, मैं जॉब करूंगी ही।
लड़के की माता जी : तो कमी किस चीज की है।
लड़की : कमी की बात नहीं है, जॉब करने से बहुत समझदारी आती है। रिस्पॉन्सिबल होते हैं, इंडिपेंडेंट होते हैं।
माता जी : और अगर लड़के ने मना कर दिया तो?
लड़की : तब तो ये गलत है। बहुत गलत...
माता जी : गलत कैसे हुआ?
लड़की : कैसे नहीं हुआ! जब कोई बात नहीं हुई है, बात पक्की नहीं है, बात आगे नहीं बढ़ी है और कोई इस तरह की पाबंदी लगा रहा है तो वो आगे चलकर कितनी पाबंदियां लगाएगा!
दूसरी बहन : पाबंदी कहां है कोई, बस जॉब करने को ही तो मना कर रहे हैं और भइया को भी ऐसी लड़की चाहिए जो मां के साथ रहे।
लड़की की मां : आराम से जवाब दो।
लड़की : ठीक से ही तो बोल रही हूं मां या तो फिर चुप ही रहती हूं।
कई बार लड़कियों पर प्रेशर होता है, पहले चरण में ही मां-बाप की इज्जत बनाने का। मन मारकर चुप रहना पड़ता है... सोचिये, लावा कितना उबलता होगा लड़कियों के अंदर
चाची : खाना बना लेती हो?
- हां
- क्या-क्या बना लेती हो?
- सब कुछ बना लेती हूं।
- हां मतलब वही क्या-क्या? हम को तो पता नहीं है, तुम ही बताओ।
- दाल, चावल, रोटी, सब्जी, भर्ता, चटनी, और पानी उबाल लेती हूं।
- पानी तो छोटे बच्चे भी उबाल लेंगे।
- आजकल वही करना नहीं आता।
- नहीं, कुछ स्पेशल बनाती हो?
- ऐसे कैसे किस चीज का नाम लूं! हां, कुछ-कुछ ट्राई करती रहती हूं।
- मतलब कोई डिश, डोसा हो गया, इडली हो गया...
- देखा है मां को बनाते हुए, खुद से बनाया नहीं कभी... जरूरत पड़ी तो बना लूंगी।
- नहीं, सीखना चाहिए सब कुछ... आजकल लड़की को सबकुछ आना चाहिए।
- लड़की (मन में - तो फिर सबकुछ में जॉब करना भी तो आना चाहिए। और जरूरी तो दाल-चावल ही बनाना है, डोसा बनाना आ भी गया तो क्या रोज वही खाएंगे!)
ये बातें मन में इसलिए चल रही होती हैं कि कई बार लड़कियों पर प्रेशर होता है, पहले चरण में ही मां-बाप की इज्जत बनाने का। मन मारकर चुप रहना पड़ता है... सोचिये, लावा कितना उबलता होगा लड़कियों के अंदर।
एक बहन : क्या पसंद है आपको?
लड़की : अभी बताया था, लिखना, पढऩा आदि।
बहन : घूमना पसन्द है?
लड़की : हां, बहुत पसंद है... बहुत घूमती भी हूं।
दूसरी बहन : जीन्स टॉप पहनती हो?
लड़की : (मन में - ऐसे सवाल तो गांव में भी नहीं करते होंगे)
लड़की हां में जवाब देती है।
चाची : और साड़ी पहनती हो?
लड़की : हां, खूब पहनती हूं।
चाची : ऐसा तो नहीं कि साड़ी पहनकर काम नहीं होगा।
लड़की : अब ये तो पता नहीं, पर पहनती हूं।
इस बीच जब चाय-पकौड़े लाए जा रहे थे, तब लड़की ने उनकी टेढ़ी मुस्कान और मजाक उड़ाते हुए फुसफुसाते शब्द सुने चटनी बना ही लेती है... घूमती है ही... पानी उबालना आता ही हैÓ
लड़की के अंदर पानी नहीं, बहुत कुछ उबाल मार रहा था। और अचानक उन्होंने लड़की की मां से कहा, देखिए, आपकी बहू कैसे काम कर रही है, हमें भी वैसी ही चाहिए।Ó
लड़की :(मन में - ये तो जनरल एटीकेट है कि किसी के घर कोई जाएगा तो कोई ना कोई तो काम करेगा ही। तब जबकि लड़की और उसकी मां को आप ने अपने पास बिठा रखा हो।)
और अचानक द्विअर्थी सरकैस्टिक बातों से तुलनात्मक अध्ययन किया जाने लगा आपकी बहू बहुत अच्छी है, कहां की हैÓ जैसे वाक्य साफ लग रहा था कि वो लड़की को एक झटके में नीचा दिखाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। खैर, पकौड़े खाए गए, डकारें ली गईं.... और विदाई हुई।
- अनाम