उलझे समीकरण,बिगड़ा गणित
18-Oct-2016 08:59 AM 1234843
शहडोल लोकसभा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए मिशन 2018 का सेमीफाइनल है। इस उपचुनाव की जीत-हार दोनों पार्टियों के लिए अहम है। इसलिए चुनाव की घोषणा हुए बिना ही दोनों दलों ने अपना दम लगा दिया है। लेकिन चुनाव की घोषणा में जितना विलंब हो रहा है उतने ही दोनों प्रमुख दलों के चुनावी समीकरण उलझने लगे हैं। अब तक प्रत्याशी चयन न हो पाने के कारण सत्ताधारी दल भाजपा की मुश्किलें ज्यादा बढ़ी हुई हैं। दरअसल, शहडोल लोकसभा के उपचुनाव की बहुत पहले तैयारियां शुरू करने से भी दोनों दलों की अब मुश्किलेें अपने-अपने कारणों से बढ़ गई हैं। जहां तक सत्ताधारी दल भाजपा की बात है तो उसने बहुत पहले अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक और संगठन से जुड़े पदाधिकारियों ने क्षेत्र में जमकर घेराबंदी की जिसका परिणाम समय से पहले शहडोल उपचुनाव को इतनी ऊंचाइयां मिल गई कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अब जनता से केवल यह कह रहे हैं कि आखिर पूरा प्रदेश छोड़कर भाजपा सरकार और संगठन शहडोल पर ही क्यों तुला हुआ है। वहीं भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी पिछले कुछ दिनों में नया राग अलापना शुरू कर दिया है। मसलन मंत्री ज्ञानसिंह जैसे क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता अब कहने लगे हैं कि बाहरी मंत्रियों को अब क्षेत्र में न भेजो। मंत्रियों के आने पर स्थानीय कार्यकर्ता काम छोड़कर मंत्रियों की आवभगत में लग जाता है। संगठन नेताओं को ज्ञानसिंह ने यह भी समझाया है कि स्थानीय नेता चुनाव लडऩे में सक्षम हैं उन्हें पूरा मौका और जिम्मेवारी दें। फिलहाल शहडोल लोकसभा के उपचुनाव को लेकर अब तक बेहतर प्रत्याशी की खोज में जुटी भाजपा को अब एक नई समस्या स्थानीय और बाहरी के बीच समन्वय बनाने की भी खड़ी हो गई है। जमीनी जमावट में बढ़त बना चुकी भाजपा आज प्रत्याशी और समन्वय को लेकर महत्वपूर्ण पहल कर सकती है। सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री चुनिंदा मंत्रियों के साथ अनौपचारिक बैठक भी कर सकते हैं जिसमें शहडोल लोकसभा उपचुनाव के लिए बेहतर प्रत्याशी और बेहतर समन्वय पर फोकस रहेगा। इस संबंध में संगठन पदाधिकारियों से भी निर्णायक सलाह मशविरा होने की संभावना है। सत्ताधारी दल हर हाल में शहडोल जीतने की तैयारी कर रहा है, जिसमें झाबुआ जैसी एक भी गलती नहीं दोहराने पर जोर है। उधर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भले ही बेहतर प्रत्याशी के रूप में हिमान्द्री सिंह का चयन कर भाजपा से बाजी मार ली है और इस कारण पार्टी को जो बढ़त मिलती दिख रही थी उस पर पार्टी की गुटबाजी अभी से पलीता लगा रही है। शहडोल में शुरूआती तौर पर अच्छे माहौल को देखते हुये कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ तेज हो गई है। प्रदेशाध्यक्ष अरूण यादव जहां प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश से समन्वय बनाकर अपना रुतबा बढ़ा रहे हैं तो कमलनाथ शहडोल की चुनावी कमान संभालने की कोशिशों में हंै जबकि संभावित प्रत्याशी हिमान्द्री सिंह इन नेताओं के साथ-साथ पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का भी सानिध्य शहडोल में चाह रही हंै। वहीं दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की अब तक शहडोल उपचुनाव में एन्ट्री ही नहीं हो पाई है। उधर, शहडोल उपुचनाव में भाजपा नेताओं की नई पीढ़ी द्वारा टिकट मांगे जाने से संगठन पशोपेश में पड़ गया है। यहां से दो बार सांसद रहे प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ज्ञान सिंह ने टिकट की दौड़ से खुद को अलग करते हुए अपने बेटे के लिए टिकट मांग लिया है, वहीं दिवंगत सांसद दलपत सिंह परस्ते के परिवार के तीन सदस्य भी टिकट मांग रहे हैं। इसमें उनकी पुत्री रूपमती सिंह, बेटे होल्कर और दूसरी बेटी गीता शामिल हैं। रूपमती सिंह अभी जिला पंचायत अनूपपुर की अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा पूर्व सांसद दलबीर सिंह के बड़े भाई के बेटे नर्मदा सिंह भी टिकट के लिए पसीना बहा रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य शहडोल लोकसभा सीट पर भाजपा का कभी एकाधिकार नहीं रहा। यही वजह है कि यहां से प्रत्याशी उतारने के मामले में पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। संगठन दावेदारों और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के लिए महाकौशल प्रांत के संगठन मंत्री अतुल राय और प्रदेश महामंत्री अजय प्रताप सिंह को यहां भेजा था। इन दोनों पदाधिकारियों के सामने राजनेताओं के पुत्र- पुत्रियों ने अपनी दावेदारी पेश की है। दावेदारों की रेलमपेल से भाजपा का चुनावी गणित फिलहाल गड़बड़ा रहा है। ऐसे में पार्टी को एक मात्र उम्मीद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लगी हुई है। यानी शिवराज ही होंगे भाजपा की चुनावी नैया के तारणहार। पहले बाजा तो बजे, ढूंढ लेंगे दूल्हा शहडोल उपचुनाव में प्रत्याशी को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह का कहना है कि पहले बाजा तो बजे, दूल्हा भी ढूंढ लेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने अभी तिथियों का ऐलान नहीं किया है। तारीख सामने आते ही हम चुनाव समिति की बैठक कर प्रत्याशी तय कर लेंगे। चौहान ने कहा कि यहां टिकट को लेकर न तो कोई संशय है और न ही पशोपेश। जिसे भी पार्टी टिकट देगी उसके लिए सभी नेता मिलकर काम करेंगे। संगठन नेताओं द्वारा टिकट के लिए की गई रायशुमारी में 40 से अधिक नेताओं ने इस सीट के लिए अपनी दावेदारी जताई है। इसमें विधायक और पूर्व मंत्री मीना सिंह, विधायक रामलाल रौतेल, अमरकंटक नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष नर्मदा सिंह, नरेन्द्र मरावी, पूर्व विधायक हीरा सिंह, सुदामा सिंह आदि के नाम शामिल हैं। -नवीन रघुवंशी
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