18-Oct-2016 08:22 AM
1234802
पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत हमेशा के लिए अपनी सीमाओं को अभेद बनाने की तैयारी कर रहा है, ताकि पाकिस्तान के बार-बार के नापाक मंसूबों से बचा जा सके। इसके तहत पाकिस्तान के सीमावर्ती राज्यों जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की पाकिस्तान से सटी 3,323 किमी लंबी सीमा अभेद बनेगी। सीमा पर कंक्रीट, लेजर बीम, रडार और सैटेलाइट सेंसर की दीवार खड़ी की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी बॉर्डर मैनेजमेंट डिविजन को दी गई है। तय समय पर काम पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। पंजाब में 45 जगहों पर और कश्मीर में 6.9 किलोमीटर लंबी लेजर वॉल पहले ही लगाई जा चुकी है।
दरअसल नियंत्रण रेखा पर हर वक्त चौकसी बहुत मुश्किल है। सीमा रेखा पर हर समय चौकसी सेना के लिए मुश्किल काम है। सेना के जवानों को थकान महसूस होती है। नियंत्रण रेखा पर 13 साल पहले बाब्र्ड वायर लगाई गई, जिसे अब भी उतना ही सुरक्षित नहीं माना जा सकता। हालांकि उस पर सेंसर और रडार लगे हुए हैं, बावजूद इसके खतरा है। इसलिए अब चारों राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ चर्चा के बाद सीमाओं को अभेद बनाने की पहल की है। साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान सेनाध्यक्ष रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक का इस सम्बन्ध में कहना है कि दरअसल सैंकड़ों किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा में से घुसपैठ को पूरे तरीके से रोक पाना बहुत मुश्किल है। इतने बड़े हिस्से की पूरी तरीके से तैनाती सेना के लिए मुश्किल काम है, ऐसे में जहां खतरा ज्यादा होता है, वहां सेना की पोस्ट थोड़ी नजदीक और बाकी जगह थोड़ी दूर बनाई जाती हैं। पाकिस्तान से लगने वाली भारत की 3,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा का 1,225 भारत प्रशासित कश्मीर, 1,037 राजस्थान, 553 पंजाब और 508 किलोमीटर गुजरात से गुजरता है। पंजाब से सटी सीमा पर नियंत्रण रेखा जैसी बाब्र्ड वायर तक उप्लब्ध नहीं है। 2015 में पठानकोट और गुरदासपुर में हमले इसी रास्ते हुए थे, लेकिन अभी तक इस सीमा को सुरक्षित नहीं किया जा सका है।
पठानकोट और गुरदासपुर हमले के बाद सीमा पर घुसपैठ को समझने के लिए अप्रैल 2016 में सरकार ने एक समिति बनाई और अगस्त में उसकी रिपोर्ट आई। पूर्व गृह सचिव मधुकर गुप्ता की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब और राजस्थान से गुजरने वाली भारत-पाक सीमा पर लेजर और सेंसर लगाने के साथ निगरानी बेहद जरूरी है। इसलिए अब सरकार इन सीमाओं को सील करने की तैयारी कर रही है।
इसी सिलसिले मेें गत दिनों राजस्थान पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से सटी प्रदेश की सीमा को पूरी तरह से सील करने के निर्देश दिए हैं। जिसका पालन भी शुरू हो गया है। पाकिस्तान की लगातार घुसपैठ की हरकतों के मद्देनजर यह फैसला अहम माना जा रहा है। पहले भी पाकिस्तान की सीमा से परेशानी के रूप में संदिग्ध भारत में आते रहे हैं। राजस्थान में पिछले पांच साल में एक-दो बार नहीं 75 बार घुसपैठ हुई है, लेकिन हमारे जवानों ने हर बार इसे नाकाम कर दिया है। वर्तमान में राजस्थान के चार जिले हैं जो पाकिस्तान बॉर्डर से जुड़े हैं इनकी सीमा पर तारबंदी और अन्य सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। लेकिन सुरक्षा और ज्यादा मजबूत करने के लिए अब और कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा सीमा जैसलमेर जिले की पाक से संपर्क में है। उसके बाद बाड़मेर और गंगानगर का कुछ हिस्सा आता है। बीकानेर जिले का भी कुछ हिस्सा पाकिस्तान की सीमा पर है। कुल 1024 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान की सीमा से सटी हुई है। अत: अब इन सीमाओं को सील किया जा रहा है।
पाक बॉर्डर पर सेना के सामने कई चुनौतियां
पाकिस्तान के बॉर्डर पर सेना के सामने कई चुनौतियां हैं। खासकर राजस्थान में तो सबसे अधिक परेशानी है। पाकिस्तान से लगे राजस्थान की सीमा 1037 किमी की है। यहां 50 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में जूते जल जाते हैं। रेत के 80-90 फीट ऊंचे शिफ्टिंग वाले टीले। बड़े-बड़े जानकार भी भटक जाते हैं। यहां तारबंदी रेत में दब जाती है। बॉर्डर का पता नहीं चलता। सांप-बिच्छू का डर अलग है। इतनी लंबी सीमा की रखवाली सेना पारंपरिक तरीके से पैदल, ऊंटों से गश्त, तारबंदी पर घंटियां बांध कर करती है। वहीं तकनीकी उपाय के तहत फ्लड लाइट, सैंड स्कूटर, हाइटेक कम्पास, 90 फीट ऊंचे टावर का उपयोग होता है। इन सब के बावजुद घुसपैठ होती रहती है। खासकर इस सीमा पर सबसे अधिक तस्करी होती है। इसलिए सरकार ने निर्णय लिए है कि राजस्थान सहित जम्मू-कश्मीर, गुजरात और पंजाब की सीमा को भी कांक्रीट की दीवार, लेजर बीम और रडार से सील की जाए।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी