03-Oct-2016 11:06 AM
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राजस्थान में इन दिनों एक कहावत हर जगह सुनी जा रही है कि अंधेर नगरी चौपट राजा। यह विपक्ष का नारा है। लेकिन जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार को कुछ मंत्रियों की कार्यप्रणाली के कारण इस कहावत का पात्र बनना पड़ रहा है। प्रदेश में मंत्रियों के हाल खराब होने से पूरी भाजपा सरकार की छवि ही बिगड़ रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी मंत्रियों के विभागों में ऐसा काम हुआ कि अब जनता पूरी सरकार को कोसने लग गई है। भाजपा की ही केंद्र सरकार अपने मंत्रियों के कामकाज का पूरी तरह से आंकलन करने में लगी है और खराब काम वाले मंत्रियों को प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की फटकार सुनने को मिलती है।
राजस्थान के कामकाज की रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंच रही है। इसमें सबसे ज्यादा सड़क, स्वास्थ्य, शहरी विकास में खासतौर पर साफ-सफाई आदि के मामलों की जानकारी भाजपा आलाकमान भी अपने स्तर पर जुटा रहा है। विकास और जनहित के मामलों में अपनी ही राजस्थान सरकार के फिसड्डी रहने की पूरी जानकारी अमित शाह तक लगातार पहुंच रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने तो प्रदेश के तमाम मंत्री बौने ही हैं, पर जब केंद्रीय नेतृत्व ने हिसाब-किताब जानने का संदेश भिजवाया तो पूरी सरकार ही चकरा गई। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी वसुंधरा राजे के करीबी मंत्रियों को हो रही है। मुख्यमंत्री कई बार मंत्रियों को हड़का चुकी हैं पर उन पर कोई असर ही नहीं होता। मंत्रियों का सीधा सा जवाब होता है कि हम क्या करें अफसर सुनते ही नहीं हैं। प्रदेश में नौकरशाही किसी मंत्री की नहीं सुन रही है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मंत्रियों की नाकामियों के किस्से अपने चरम पर पहुंच गए है।
पार्टी के प्रभारी के तौर पर संगठन मंत्री वी सतीश भी अब हार मान चुके हैं तभी तो राजमहल पैलेस मामले में आलाकमान ने सौदान सिंह को भेजकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर दबाव बनाया था। प्रदेश में राजे के करीबी मंत्रियों युनूस खान, राजपाल सिंह शेखावत, प्रभुलाल सैनी, गजेंद्र सिंह खींवसर आदि के महकमों में तो हालात बेहद खराब है। मुख्यमंत्री का खास होने का तमगा लगा कर घूमने वाले पीडब्ल्यूडी और परिवहन मंत्री युनूस खान के विभाग का कामकाज जमीन पर पूरी तरह से जीरो ठहर रहा है। प्रदेश में सड़कों की हालत खराब है और परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसी तरह नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत के महकमे में तो सबसे बुरी हालात है। शेखावत खुद जयपुर शहर से ही विधायक हैं पर स्मार्ट सिटी घोषित गुलाबी नगरी में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जयपुर के मेयर के खिलाफ नगर निगम के तमाम पार्षद मैदान में हल्ला मचा रहे हैं पर मंत्री से लेकर पार्टी सूबेदार अशोक परनामी तक चुप बैठे हंै। शेखावत की किरकिरी तो राजमहल पैलेस मामले में ऐसी हुई कि पूरी सरकार की कार्यशैली ही कठघरे में खड़ी हो गई।
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ के महकमे की हालत तो बदतर हो गई है। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से आम आदमी खासा परेशान हो उठा है। राठौड़ जब प्रदेश में किसी तरह के मलेरिया, वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया आदि की बीमारी नहीं फैलने का दम भर रहे थे तो दूसरे दिन ही खुद ही चिकनगुनिया की चपेट में आ गए। प्रदेश में हालत बदतर होने और शासन में भाजपा की किसी भी तरह की छवि नहीं झलकने से राष्ट्रीय नेतृत्व ने अब अपना दखल बढ़ाने का संदेश जरूर दिया है। इससे ही भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता थोड़े उत्साहित हैं वरना उनमें निराशा ही निराशा छाई हुई है। भाजपा के वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि कार्यकर्ताओं की सरकार में सुनवाई जरूरी है। कार्यकर्ता ही चुनाव में भागदौड़ कर उन्हें सरकार तक पहुंचाता है। लेकिन प्रदेश में जिस तरह मंत्री और अफसर बेपटरी हो रहे हैं, उससे ऐसा लगने लगा है कि सरकार पर से मुख्यमंत्री का भी कंट्रोल छूटता जा रहा है।
अधिकारी भी हुए बेपटरी
राजस्थान में मंत्रियों और जिलों के अफसरों की कार्यशैली से भाजपा सरकार की छवि बिगडऩे लगी है। इस कारण ही भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में नाखुशी पनपने लगी है। भाजपा के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि नौकरशाह उनकी नहीं सुनते हैं। इससे आम जनता की समस्याएं सुलझ नहीं पा रही हैं। राज्य में शासन चला रही भाजपा सरकार को अब जमीनी हकीकत से रूबरू होना पड़ रहा है। प्रदेश में भाजपा के विधायकों के साथ ही जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की मंत्रियों और नौकरशाही को लेकर खूब शिकायतें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक पहुंचने लगी हैं। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर शुरू किए गए कार्यकर्ताओं के सुनवाई कार्यक्रम में मंत्रियों का सामना ढेरों समस्याओं से हो रहा है। कार्यकर्ताओं की शिकायतों में ज्यादातर तो रोजमर्रा से जुड़ी हैं। ऐसी समस्याओं के लिए अब भाजपा के लोगों को ही मंत्री स्तर तक गुहार लगानी पड़ रही है। भाजपा का सामान्य कार्यकर्ता ही नहीं प्रदेश के मंत्री और विधायक तक इस सुनवाई में अपनी समस्याएं लेकर आ रहे हैं। इससे ही भाजपा सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली सामने आ रही है। विधानसभा सत्र में भी भाजपा विधायकों ने मंत्रियों की कार्यशैली को निशाना बनाया था।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी