18-Oct-2016 07:26 AM
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संगठन को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले अरविंद मेनन की जगह जब भाजपा आलाकमान ने सुहास भगत को प्रदेश भाजपा का संगठन महामंत्री बनाया तो हर कोई आश्चर्य चकित हुआ। क्योंकि भगत का राजनीति से दूर-दूर तक का नाता नहीं था। सुहास भी अपनी इस कमजोरी का समझते थे, इसलिए उन्होंने सबसे पहले अपनी राजनीतिक कमजोरी दूर की। और अब धीरे-धीरे वे भी अपनी चौसर बिछाने में माहिर होते जा रहे हैं। अब वे धीरे-धीरे संगठन में संघनिष्ठों को जगह दिलाते जा रहे हैं।
भगत को प्रदेश भाजपा का संगठन महामंत्री बनाए जाने के बाद से ही माना जा रहा था कि अब संगठन में भी संघ की झलक देखने को मिलेगी। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जिस तरह से संघ की अनदेखी कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लालबत्ती दी उससे नाराज भगत ने इस बार ग्वालियर में हुई कार्यसमिति के दौरान संघ की कार्यशैली में संगठन मंत्रियों की ताजपोशी कर सूबे के मंत्रियों के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष तक को चौका दिया। हालांकि संगठन मंत्रियों की तैनाती के दौरान इंदौर में अब तक काम देख रहे पूर्व संगठन महामंत्री रहे अरविंद मेनन के करीबी शैलेन्द्र बरुआ को जिस तरह से उनके गृह इलाके ग्वालियर का दायित्व दिया गया है, उससे माना जा रहा है कि वे अब भगत की गुड लिस्ट में आ गए हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग से संगठन मंत्री प्रदीप जोशी की विदाई और उनकी जगह शैलेंद्र बरुआ की ताजपोशी अंचल में नए सियासी समीकरणों की ओर इशारा कर रही है। वहीं इस नियुक्ति से भाजपा के अंदर ही अंदर खलबली मची हुई है। भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पद से अरविंद मेनन की विदाई और उनकी जगह पर सुहास भगत की ताजपोशी के बाद संभागीय संगठन मंत्रियों के दायित्वों में फेरबदल के कयास तो पहले से ही लगाए जा रहे थे, लेकिन माना जा रहा था कि इनकी तैनाती में स्थानीय सांसद और मंत्रियों की राय ली जाएगी। माना जा रहा है कि प्रदेश कार्यसमिति में भाग लेने आए राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत पहले से ही संभागीय संगठन मंत्रियों में बदलाव का मन बनाकर आए थे।
प्रदेश कार्यसमिति के दूसरे दिन समापन सत्र के चंद मिनट पहले राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और सुहास भगत ने संभागीय संगठन मंत्रियों की लिस्ट तैयार कर ग्वालियर संभाग के तत्कालीन संगठन मंत्री प्रदीप जोशी से पूछा कि आपको उज्जैन भेजा जा रहा है कोई आपत्ति तो नहीं है? जोशी ने मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी स्वीकृति दे दी, जिसके बाद इसकी विधिवत घोषणा कर दी गई। पार्टी सूत्रों की मानें तो संगठन मंत्रियों में बदलाव की न तो प्रदेश अध्यक्ष को कोई खबर थी और न ही स्थानीय सासंद एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, स्थानीय मंत्री माया सिंह एवं जयभान सिंह को इसकी भनक भी नहीं थी, न ही इनसे कुछ पूछा गया। बताया जाता है कि संघ ने सीधे अपनी पसंद न पसंद के आधार पर शैलेंद्र बरुआ को ग्वालियर-चंबल संभाग की बागडौर सौंप दी और प्रदीप जोशी को उज्जैन के लिए रवाना कर दिया। मंच से जब संगठन मंत्रियों के
फेरबदल की घोषणा हुई तो स्थानीय मंत्री भी अचंभित रह गए, क्योंकि उनको इसकी कतई भनक नहीं थी कि इतनी जल्दी संगठन मंत्रियों को बदल दिया जाएगा।
संभागीय संगठन मंत्री प्रदीप जोशी ने विगत 2011 में ग्वालियर संभाग का दायित्व संभाला, लेकिन कुछ समय से उनकी शिकवे-शिकायत कुछ ज्यादा ही होने लगे थे। उन पर वर्ग विशेष और एक लॉबी को ज्यादा तवज्जो देने के भी आरोप लगे थे। उनकी विदाई का एक कारण यह भी माना जा रहा है। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नंदूभैया ने जैसे ही शैलेंद्र बरुआ का नाम ग्वालियर-चंबल संभाग के संगठन मंत्री के रूप में घोषित किया तो उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें बधाई देते नजर आए। कुछ तो 14 साल का वनवास कटा यह कह कर उन्हें बधाई देते नजर आए। बरुआ मुख्यत: भिंड जिले की अटेर विधानसभा से आते हैं और एबीवीपी से अपनी राजनीति की शुरुआत करने के बाद अटल सरकार के दौरान इन्हें जीवाजी विश्वविद्यालय का कार्यपरिषद सदस्य बनाया गया था। वर्तमान में वे इंदौर संभाग के संगठन मंत्री थे।
भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष पर अब सबकी नजर
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा होने के बाद अब कार्यकर्ताओं को मोर्चा और प्रकोष्ठों के गठन का इंतजार है। जिसके लिए दावेदारों द्वारा पूरी दमखम के साथ दावेदारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पार्टी के युवाओं को अब भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष को लेकर बेसब्री से इंतजार है। इस पद के लिए कई मौजूदा पदाधिकारी भी दौड़ में शामिल हैं। इसमें मोर्चा के महामंत्री अभिलाष पांडे व मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत मानी जा रही है। अभिषेक भार्गव युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। प्रदेश संगठन इन दोनों के साथ ही कई अन्य नामों पर भी विचार कर रहा है, लेकिन एक नाम तय नहीं कर पा रहा है। भाजपा में युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री मनोरंजन मिश्रा के नाम पर भी विचार किया जा रहा था, लेकिन मिश्रा राष्ट्रीय स्तर पर संभावना तलाश रहे हैं। इसके अलावा युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री मारूति शिशिर ने भी प्रदेशाध्यक्ष के लिए दावेदारी ठोंकी है। खातेगांव से विधायक आशीष शर्मा का नाम भी इस पद के लिए आया था, लेकिन संगठन ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुमित मिश्रा भी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इनके अलावा भोपाल से अंशुल तिवारी भी दावेदार हैं। लेकिन बताया जाता है कि यहां भी सुहास भगत की ही चलेगी। इसलिए दावेदार सुहास की परिक्रमा करने में जुट गए हैं।
-श्याम सिंह सिकरवार