18-Oct-2016 07:20 AM
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हमारें यहां बला की महिला महिमा है। धन की देवी लक्ष्मी है, तो ज्ञान की सरस्वती! हर अन्याय के प्रतिकार हेतु शेर पर सवार दुर्गा मैया है, तो अस्त्र-शस्त्र से लैस जबान लपलपाती काली माता! जिस देश में महिलाओं का देवी के रूप में पुजन होता है, उस देश के बुलंदशहरों की बुलंदियों को क्यो लगता है ग्रहण? क्यों होते है यहां इतने बलात्कार और वो भी गैंगरेप? सोचिए, उस बंधक बाप पर क्या बीत रहीं होगी, जब उसकी पत्नी और बेटी के साथ तीन घंटे तक यह घिनौना कृत्य किया गया! अपनी पत्नी और बेटी की चिखें गूंजती रहेगी उसके कानों में, जब-तक वह जिंदा है...!
सामान्यत: यह कहा जाता है कि रात को महिला अकेली घर से बाहर निकली थी और उसने भड़काऊ कपड़े पहन रखें थे इसलिए बलात्कारियों को प्रोत्साहन मिला! लेकिन बुलंदशहर हादसे की पीडि़ताएं अकेली नहीं थी और उन्होंने कपड़े भी कम नहीं पहने थे फिर क्यों हुआ उनके साथ गैंगरेप? आइए, हम थोड़ा इस बात पर गौर करें कि आखिर इंसान इंसानियत की सभी हदे पार करकर बलात्कार जैसे कुकर्म क्यों करता है?
बलात्कार के लिए सबसे प्रमुख रूप से उत्तरदायी है, पुरुषवादी अहंकारी सोच! प्राचीन काल से ही पुरुषों की सोच महिलाओं को सिर्फ एक भोग्या मानने की रही है। ब्रम्हापुत्रि देवी अहिल्या को भी देवराज इंद्र की काम लोलुपता का शिकार होना पड़ा था। पाप किया इंद्र ने और सजा भुगती निर्दोष अहिल्या ने! अपने पति ऋषी गौतम के शाप के बाद जड़ हो चुकी अहिल्या हजारों वर्षों के तप के बाद श्रीराम के दर्शन से वापस चैतन्य हो पाई। प्राचीन काल में युद्ध में विजयी देश के सैनिक, पराजित देश की महिलाओं पर बलात्कार करते थे। युद्ध दो देशों के पुरुषों के बीच हुआ, महिलाओं ने तो युद्ध नहीं किया, फिर उन पर बलात्कार क्यों? आज भी महिला चाहे जितनी पढ़ी-लिखी हो, बड़े से बड़े पद पर आसीन हो, पुरुषों के लिए वह सिर्फ जिस्म है शोषण के लिए। सुल्तान फिल्म के कुश्ती के दृश्यों की शूटिंग के दौरान हुई थकान की सलमान खान ने एक दुष्कर्म पीडि़ता से संवेदनहीन तुलना की थी। मानो कुश्ती की थकान और दुष्कर्म पीडि़ता का दर्द दोनों बातें समान हो! सलमान की टिप्पणी समाज में इस तरह की पुरुषवादी अहंकारी मानसिकता का आम संकेत है। बातचीत में हम आमतौर पर इस तरह की बातें सुनते है। मसलन, किसी युवा ने एक दोस्त के बाइक की खराब हालत देखी तो उसने तपाक से कह दिया कि तुमने तो बाइक का रेप कर दिया! मुद्दा यहीं है। पुरुषों के लिए रेप एक सामान्य घटना है, जब तक वह उनकी स्वयं की बहन-बेटी के साथ न हो! कोई भी युवा इस घृणित अपराध को किसी भी संदर्भ में एक बार भी विचार किए बिना इस्तेमाल करते हैं, तो यह उनकी पुरुषवादी अहंकारी सोच का ही परिणाम है।
यदि कोई व्यक्ति बहुत ईमानदारी से अपने कार्य को अंजाम दे रहा है, आसमान की बुलंदियों को छू रहा है, खुद के गैरकानूनी कामों के आड़े आ रहा है, उसे किसी भी तरह से परास्त करना नामुमकिन दिख रहा है, तो ऐसे में आसान शिकार बनती है उस पुरुष की पत्नी या बहन! बहन-बेटी की इज्जत से खेल लो, उस इंसान का गुरूर अपने-आप टूट जाएगा। किसी व्यक्ति से झगड़ा है, तो बदला लेने के लिए भी उस व्यक्ति की बहन-बेटी पर बलात्कार किया जाता है। यह नुस्खा प्राचीनकाल से ही अपनाया जा रहा है और आज भी जारी है...। क्योंकि आज भी एक औरत की इज्जत को पूरे परिवार की इज्जत से जोड़कर देखा जाता है। जब तक महिलाओं को भोग्या मानने की मानसिकता खत्म नहीं होगी, अपराधियों को कानून एवं समाज का डर नहीं लगेगा, घटना को वोटबैंक में बदलने की राजनीति खत्म नहीं होगी, तब तक बुलंदशहरों की बुलंदियों को ग्रहण लगता रहेगा!
कानून का डर न होना
अलग-अलग देशों में बलात्कार के लिए अलग-अलग सजाओं का प्रावधान है। कहीं उम्रकैद दी जाती है, तो कहीं मृत्यु दंड! लेकिन हमारे यहां क्या होता है? सोशल मीडिय़ा पर छाने के बाद प्रदर्शन... धरना... जांच आयोग... समझौता... रिश्वत... लड़की की आलोचना... राजनीतिकरण... सालों बाद चार्जशीट... सालों तक मुकदमा... जमानत... अंत में दोषी बच निकलता है! चाहे दामिनी कांडÓ हो, निर्भया कांडÓ हो या बुलंदशहर रेप कांडÓ हो, हमारे नेताओं, समाजसेवियों और मानवाधिकार के ठेकेदारों को बलात्कारियों से इतनी हमदर्दी है कि इसी हमदर्दी के चलते आज तक किसी भी बलात्कारी को सरे आम मौत की सजा नहीं दी जा सकी हैं। सभी बलात्कारी इस बात को अच्छे से जानते और समझते है कि पकड़े जाने पर, उन पर जुल्म साबित करना कानून के लिए बहुत टेढ़ी खीर है। क्योंकि कानून को सबूत चाहिए होता है और कोई भी बलात्कारी किसी के सामने बलात्कार नहीं करेगा! सनी देओल के दामिनीÓ फिल्म के मशहूर डायलॉग की तरह सिर्फ तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख... मिलती जाएगी! यदि जुल्म साबित हो भी गया तो क्या होगा? जेल के अंदर ही मनोरंजन और रहन-सहन की सभी ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी, जो शायद जेल के बाहर रहने पर भी उन्हें नहीं मिल पाती! हमारे यहां लोगों के मन में कानून का डर न होने से बलात्कार की घटनाएं ज्यादा होती है।
-ज्योत्सना अनूप यादव