18-Oct-2016 06:21 AM
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स्तर में माओवाद उन्मूलन के नाम पर बेकसूर आदिवासियों की मौत से परेशान आदिवासी संगठनों और राजनीतिक दलों ने विवादों से घिरे आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूरे बस्तर संभाग में कल्लूरी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और रैलियों का सिलसिला चल पड़ा है। इस बीच सुकमा जिले से एक आदिवासी ने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार को फोन करके एक और आदिवासी युवक की हत्या की बात कही है। युवक न फोन पर हिमांशु कुमार को बताया कि हुंगा नाम का 17 वर्षीय आदिवासी युवक पड़ोस के गांव में अपनी बहन के घर जा रहा था। रास्ते में डीआरपी के जवानों ने उसे आतंकी बताकर उस पर गोली चला दी। इस संबंध में हिमांशु कुमार की आदिवासी युवक से हुई बातचीत का ऑडियो भी दर्ज है।
बस्तर में दो आदिवासी बच्चों सोनकू और बीजलू की मौत को जहां आईजी कल्लूरी जायज ठहरा रहे हैं तो वहीं उनके परिजनों का कहना कि दोनों बच्चों का माओवादियों के साथ किसी तरह का कोई संबंध नहीं था। दोनों रिश्तेदारी में एक शोक संदेश लेकर गए थे जहां से पुलिस ने उन्हें अगवा किया और फिर कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार दी। दांतेवाड़ा की विधायक देवती कर्मा जो सलवा-जुडूम की अगुवाई करने वाले नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी है वह अब तक पुलिस के पक्ष में और माओवादियों के खिलाफ ही बोलती रही है, लेकिन पहली बार देवती कर्मा ने भी माना कि माओवादियों के खात्मे के नाम पर पुलिस ने बेकसूर बच्चों को अपना निशाना बनाया है। आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी आदिवासी नेत्री सोनी सोरी का आरोप है कि पुलिस सरकार के इशारों पर आदिवासियों के सफाए के अभियान में लगी हुई है। सोनी के मुताबिक ऐसा लगता प्रदेश को आदिवासी मुक्त राज्य बनाने की कोशिश है। हाल में हुई दोनों युवकों की मौत के बाद बस्तर में बेकसूर आदिवासियों की मौत को मुद्दा बनाते हुए आदिवासी युवा छात्र संगठन ने कांकेर, कोंडागांव, भानुप्रतापपुर में आईजी कल्लूरी का पुतला फूंककर विरोध जताया है। संगठन के बस्तर संभाग के अध्यक्ष योशीन कुरैटी ने बताया, इसी महीने तीन अक्टूबर को आदिवासी युवा पूरे प्रदेश में अपना विरोध दर्ज करेंगे। कुरैटी ने कहा कि कल्लूरी को माओवादियों के आतंक का पर्याय बताकर प्रचारित किया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि उनकी दहशतगर्दी भोले-भाले ग्रामीणों पर देखने को मिल रही है। बस्तर से कल्लूरी को हटाने की मांग को लेकर प्रदेश के दुर्ग में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने भी एक बड़ी बैठक की है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सीआर बख्शी ने कहा कि कल्लूरी ने खुद को हिटलर में तब्दील कर लिया है। उनकी तानाशाही के चलते बस्तर में लोकतंत्र खत्म हो गया है।
प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थीं और अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे तब कल्लूरी को उनका सबसे करीबी अफसर समझा जाता था, लेकिन अब जोगी ने भी उनसे किनारा कर लिया है। जोगी कहते हैं, सरगुजा में पदस्थापना के दौरान कल्लूरी ने माओवाद के खात्मे के लिए ठीक-ठाक कोशिश की थी, लेकिन जब से उन्होंने गरीब आदिवासियों को मौत की सजा सुनानी शुरू कर दी है तब से मेरी नजर से वे गिर गए हैं। मैं उन्हें एक ऐसा अफसर मानता हूं जो अपने तमगे बढ़ाने के लिए बेगुनाहों की जान लेने से भी परहेज नहीं करता। हम सब चाहते हैं कि बस्तर से माओवाद का खात्मा हो, लेकिन हममें से कोई यह नहीं चाहता कि माओवादियों के नाम पर बेकसूरों को गोलियों से भूना जाए। जोगी कहते हैं, कल्लूरी ने अपनी पदस्थापना के दिन से ही बस्तर को युद्ध के मैदान में बदल दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार एक सनसनीखेज खुलासे में बताते हैं, कल्लूरी ने बस्तर के अधिकांश पत्रकारों को ठेके देने का प्रलोभन दे रखा है। कुमार बताते हैं कि कल्लूरी ने आदिवासी नेत्री सोनी सोरी को भी खरीदने की कोशिश की थी। सोनी सोरी को 30 लाख रुपए का प्रस्ताव देते हुए कहा था कि उन्हें बस आदिवासी मौतों पर खामोश रहना है। जब सोनी सोरी ने प्रस्ताव ठुकरा दिया तो उन पर एसिड अटैक करवा दिया गया। लोगों का कहना है कि बस्तर में कल्लूरी की वजह से सांस लेना भी दूभर है। उधर, सरकार इस पूरे मामले में मौन है।
आंध्र के माओवादियों को कल्लूरी का संरक्षण?
बस्तर के सांगवेल गांव में दो बच्चों की मौत पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल ने माओवादी अभियान के महानिदेशक डीएम अवस्थी को कल्लूरी की करतूतों का कच्चा चि_ा सौंपा हैं। प्रतिनिधि मंडल का आरोप है कि जब से बस्तर में कल्लूरी की पदस्थापना हुई है तब से वे असली माओवादियों को नहीं बल्कि सरकार के सामने खुद को हीरो साबित करने के लिए भोले-भाले ग्रामीणों को माओवादी बताकर मौत के घाट उतार रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि आईजी कल्लूरी मूल रूप से आंध्र के रहने वाले हैं और उन्होंने अब तक आंध्र के किसी भी माओवादी लीडर को अपना निशाना नहीं बनाया है। उनकी नजर में स्कूली बच्चे, खेतिहर मजदूर और किसान ही माओवादी है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला