क्या बुंदेलों के दुखों का मोदी मंत्र करेगा अंत?
18-Oct-2016 06:17 AM 1234761
बेहाल बुंदेलखंड की किस्मत ही कुछ ऐसी है की लगता है यहां अब कभी खुशहाली लौट कर नहीं आएगी। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने बुंदेलखंड की हालत सुधारने के लिए जो पैकेज दिया था उसका किस तरह बंटाढार किया गया है यह किसी से छुपा नहीं है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड की बदहाली को दूर करने की कोशिश करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है की बुंदेलखंड की बदहाली को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कई बार प्रधानमंत्री के सामने अपना विचार रख चुके हैं। दरअसल, पीओके में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से देश में जय जवान का माहौल को देखते हुए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर किसानों पर पड़ी है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर को बुंदेलखंड में कृषि सिंचाई योजना को लांच करेंगे। इस योजना की लांचिंग बुंदेलखंड के महोबा में करेंगे। उत्तर प्रदेश में होने वाला विधानसभा के चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी का यह कदम भारतीय जानता पार्टी के लिए अहम माना जा रहा है। यूपी सहित और राज्यों की राजनीति में किसानों का कर्ज व सूखा ग्रस्त होने का कारण मुख्य हो गया है। यूपी के बुंदेलखंड सहित 7 जिलों में सूखे की समस्या से जूझते रहते है और इन जिलों में सिंचाई की भी बड़ी समस्या बनी रहती है। पिछले दिनों में केंद्र की तरु से पानी की ट्रेन को लेकर बहुत राजनीति हुई थी। इसलिए बुंदेलखंड में कृषि सिंचाई योजना कि लिए चुना गया है। यूपी सहित देश की राजनीति में किसान, कर्ज और सूखा एक अहम मुद्दा है। अपने एक दिवसीय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री महोबा में आयोजित एक विशाल रैली में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विभाजित मध्य भारत के विन्ध्य क्षेत्र के सूखा पीडि़त किसानों से सीधा संवाद करेंगे और उन्हें प्रधानमंत्री खेत सिंचाई योजना समेत अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं की सौगात देंगे। भाजपा के प्रदेश महामंत्री स्वतन्त्र देव सिंह ने बताया कि केन्द्र में एनडीए की सरकार गठन के बाद पहली बार बुंदेलखंड आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह दौरा पूर्व में 14 अक्टूबर को निर्धारित था, जिसे कतिपय कारणों से रद्द कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि रैली में दोनों राज्यों के बुंदेलखंड के सभी 18 जिलों के किसानो के प्रतिनिधित्व की योजना तय की गई है। पार्टी संगठन इसे कोर्डिनेट करेगा। सूबे में विधानसभा चुनाव की शुरू हुई तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री के अचानक तय हुए बुंदेलखंड दौरे को न सिर्फ बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है बल्कि इसे भाजपा के चुनावी शंखनाद की संज्ञा देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 65 प्रतिशत में सिंचाई सुविधा नहीं है। यहां बुंदेलखंड का किसान मौसम की मार का सबसे बड़ा शिकार है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में एक महीने तक यूपी में किसान यात्रा चलाई है। इस दौरान उनका जोर मोदी को किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक बताने पर था। अब पीएम की रैली के जरिए बीजेपी इस पर जवाबी वार करेगी। यूपी में बुंदेलखंड के सातों जिलों सूखे से प्रभावित रहते हैं और सिंचाई वहां की बड़ी समस्या है। पिछले दिनों केंद्र की ओर से भेजी गई पानी की ट्रेन को लेकर भी काफी राजनीति हुई थी। इसलिए कृषि सिंचाई योजना के लिए बुंदेलखंड को चुनना बीजेपी को सियासी फायदा दे सकता है। दिवाली के पहले लॉन्च हो रही योजना को पार्टी किसानों को तोहफे के तौर पर प्रचारित करेगी। मोदी पहले बरेली और सहारनपुर में किसान रैली कर चुके हैं। मोदी की बुंदेलखंड यात्रा से पहले नए बुंदेलखंड राज्य की चर्चा भी गर्माने लगी है। बुंदेलखंड क्षेत्र के लोग अक्सर दिल्ली और लखनऊ पर हमेशा अपनी उपेक्षा के आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि लखनऊ और केंद्र की सरकारें उन्हें उपनिवेश के तौर पर देखती आई हैं और क्षेत्र की समस्या का कोई समाधान करना उनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं रहा। नरेंद्र मोदी के प्रभाव में भाजपा से जुड़े राजा बुंदेला जैसे लोग पार्टी से इस क्षेत्र को एक अलग राज्य घोषित करने की मांग करते रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल पार्टी ने अलग राज्य की मांग पर कोई आधिकारिक नीति तय नहीं की है, लेकिन क्षेत्र की जनता की समस्याएं हल करने में होने वाले किसी भी प्रयास में उसने साथ देने का वादा किया है। 50 हजार करोड़ खर्च होंगे 2020 तक भले ही चुनावी चौसर ही क्यों न बिछाई जा रही हो लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम से उम्मीद है खेती-किसानी की तस्वीर बदलेगी। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 2020 तक 50 हजार करोड़ रूपए खर्च होंगे। इसमें से 5000 करोड़ रुपये मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए हैं। इसके तहत 75 प्रतिशत केंद्र और 25 प्रतिशत राज्य खर्च करेगा। सिंचाई निवेश में एक एकरूपता हर खेत को पानी का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना की पीएम की अध्यक्षता में अंतर मंत्रालय समिति निगरानी करेगी। साथ ही राज्यों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति राज्यों में काम करेगी। बेहतर क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर तक भी समिति बनेगी। -धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया
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