03-Oct-2016 11:19 AM
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अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का सपना संजोए सत्तारूढ़ डैमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन ने अपना सर्वस्व दांव पर लगा रखा है। यही नहीं राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं, लेकिन लगता नहीं है कि उनके भाग्य का छींका टूट पाएगा। ऐसे में अमेरिका में भी यह कहावत चल पड़ी है कि हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की लालकृष्ण आडवाणी बनने जा रही हैं। दरअसल भारत में 10 साल तक लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री बनने का सपना सजोए रखा, लेकिन वह ऐन वक्त पर चकनाचूर हो गया। वैसा ही कुछ अमेरिका में हिलेरी क्लिंटन का हाल लग रहा है।
अमेरिकी वोटर 8 नवंबर को अपना नया राष्ट्रपति चुनने जा रहे हैं। सत्तारूढ़ डैमोक्रेटिक पार्टी से हिलेरी क्लिंटन और विपक्ष में बैठी रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप में चुनाव होना है। जनता के सामने एक विकल्प अपने लिए पहली बार किसी महिला को राष्ट्रपति बनाने का है तो दूसरा एक ऐसे शख्स को सबसे ताकतवर गद्दी पर बैठाने का है जो अमेरिका में अच्छे दिन वापस लाने के लिए मुसलमान समेत सभी गैर-अमेरिकियों को देश निकाला तक देने का वादा कर रहा है। अमेरिकी चुनावों में अहम भूमिका प्रेसिडेंशियल डीबेट की भी रहती है। माना जाता है कि लगभग 20 फीसदी वोटर इन डीबेट के बाद ही तय करते हैं कि वह किसे राष्ट्रपति चुनेंगे। ऐसे में डीबेट से पहले दोनों पार्टी के प्रत्याशियों की पॉप्यूलैरिटी लेवल अगर बराबर पर पहुंच जाए तो अमेरिकी राजनीति के जानकार मानते हैं कि नतीजा दोनों में से अंडरडॉग के पक्ष में बैठेगा।
ट्रंप की मजबूत होती दावेदारी का आधार सिर्फ कुछ राजनीतिक जानकारों का मत नहीं है। अमेरिकी यूनीवर्सिटी में इतिहास के एक विख्यात प्रोफेसर ऐलन लिचमैन बीते 30 साल से चुनाव के पहले होने वाली डीबेट्स के वक्त ही भविष्यवाणी कर बता देतें हैं कि कौन नया राष्ट्रपति बनने जा रहा है। इस बार ऐलन ने डोनाल्ड ट्रंप का नाम घोषित कर दिया है। प्रोफेसर ऐलन लिचमैन ने इस भविष्यवाणी के लिए 13 सवालों का एक खांका तैयार किया है। इन सवालों का हां और नहीं में जवाब दर्ज किया जाता है और आखिरी सवाल का जवाब पहली डीबेट में मिल ताजा है। इसी के आधार पर ऐलन बीते 30 साल से सटीक भविष्यवाणी करने में सफल हो रहे हैं।
अब अगर ऐलन लिचमैन की भविष्यवामी एक बार फिर सटीक बैठती है तो हिलेरी क्लिंटन के लिए निसंदेह राष्ट्रपति की कुर्सी को छूकर लौटने जैसा ही माना जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि अमेरिकी की पहली प्रथम महिला नागरिक रहते हुए ही उन्होंने इस पद पर काबिज होने का सपना संजोया। पति और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खिलाफ महाअभियोग प्रस्ताव के लगभग पास होने के बाद व्हाइट हाऊस छोड़ते ही उनका इरादा एक बार इस पद पर काबिज होने के लिए और बुलंद हो गया। वह सीनेट पहुंची। फिर 8 साल पहले डेमोक्रैटिक पार्टी से बराक ओबामा के खिलाफ प्राइमरी की दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनीं। याद कीजिए, इन चुनावों में पहली बार अमेरिका में महिला राष्ट्रपति बनाने का मुद्दा पहली बार किसी अश्वेत को राष्ट्रपति चुने जाने से ज्यादा बड़ा था। लेकिन पार्टी और पार्टी के अंदर की राजनीति देखिए। हिलेरी को प्राइमरी में ही बराक ओबामा के पक्ष में इस वादे के साथ बैठा दिया गया कि ओबामा के मंत्रीमंडल में उन्हें सबसे अहम ओहदा दिया जाएगा और इसके साथ ही पार्टी 8 साल बाद उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा देगी। बहरहाल अब तो अंतिम नतीजे ही यह तय करेंगे कि क्या एक बार फिर प्रोफेसर ऐलन की भविष्यवाणी सटीक बैठी। तमाम तरह के मिले संकेतों से अब ऐसा लग रहा है कि नियति को ही यह तय नहीं है कि हिलेरी राष्ट्रपति बने। अब इंतजार है कि 8 नवंबर को अमेरिका में होने वाले चुनाव के नतीजों का जो यह तय करेगा कि क्या वाकई हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की लालकृष्ण आडवाणी साबित होंगी।
हिलेरी क्लिंटन का पॉप्यूलैरिटी ग्राफ हो रहा डांवाडोल
हिलेरी क्लिंटन बीते 10 साल से भी अधिक समय से अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का सपना देख रही हैं। लेकिन जिस तरह के हालात दिख रहे हैं उससे लगता है कि हिलेरी क्लिंटन के हाथ मायूसी लगने वाली है? क्योंकि बीते एक साल से उनका पॉप्यूलैरिटी ग्राफ ऊपर और पहली डीबेट होते ही उनमें और ट्रंप में अंतर न के बराबर दिखाई दे रहा है। ऐसा हुआ तो जाहिर है अमेरिकी राजनीति में हिलेरी क्लिंटन की हालत ठीक वैसी हो जाएगी जैसी भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की हो गई। मतलब साफ है कि 8 नवंबर को चुनाव अगर डोनाल्ड ट्रंप का होता है तो हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका का आडवाणी कहना गलत नहीं होगा।
-अक्स ब्यूरो